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नौचंदी मेले को मिलेगा मुकाम, राजकीय मेला होगा घोषित

प्रदेश सरकार ने नौचंदी मेले को राजकीय मेला घोषित करने की कवायद शुरू की है। जिला प्रशासन ने रिपोर्ट सौंप दी है।

By Taruna TayalEdited By: Updated: Mon, 19 Nov 2018 12:09 PM (IST)
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नौचंदी मेले को मिलेगा मुकाम, राजकीय मेला होगा घोषित

मेरठ (नवनीत शर्मा)। उत्तर प्रदेश के एतिहासिक और ङ्क्षहदू-मुस्लिम एकता के प्रतीक नौचंदी मेले को प्रदेश सरकार ने असल मुकाम देने की कवायद शुरू की है। गढ़ कार्तिक मेले की तर्ज पर अब नौचंदी मेले को भी राजकीय मेला घोषित किया जाएगा। राजकीय मेले का तमगा मिलने पर शहर का गौरव और मेले की चमक-दमक बढ़ेगी।

मेले का है विशिष्‍ट महत्‍व

नौचंदी मेला के विशिष्ट महत्व को समझते हुए अब प्रदेश सरकार ने इसे मुकाम देने का निर्णय लिया है। सप्ताह भर पहले प्रदेश सरकार ने मेले के संबंध में जानकारी के साथ एतिहासिक महत्व और आमजन में मेले के महत्व को लेकर जिला प्रशासन से रिपोर्ट तलब की थी। रिपोर्ट में मेले को राजकीय दर्जा देने के लिए बिंदु भी तय किए थे। शासन द्वारा मांगी गई रिपोर्ट पर डीएम ने संबंधित विभागों से मेले के संबंध में जानकारी मांगी और मांगे गए बिंदुओं पर रिपोर्ट तैयार कर शासन को भेज दी। रिपोर्ट में मेले के एतिहासिक महत्व के साथ वर्तमान हालत, हर साल मेले में आने वाली भीड़, व्यवस्था, आयोजन आदि के संबंध में जानकारी उपलब्ध कराई गई है। साथ ही मेले आयोजन मैदान को लेकर भी अलग से रिपोर्ट तैयार की गई है।

मिलेगा अनुदान, बदलेगी सूरत

पिछले साल प्रदेश सरकार ने गढ़ कार्तिक पूर्णिमा पर लगने वाले चार दिवसीय गंगा मेले को राजकीय मेले का दर्जा प्रदान किया था। साथ ही करीब 60 लाख रुपये का अनुदान भी मेला आयोजन में व्यवस्था बनाने के लिए प्रदान किया था। ऐसे में नौचंदी मेले को भी राजकीय दर्जा मिलने पर प्रदेश सरकार हर वर्ष आयोजन के लिए अनुदान प्रदान करेगी। जिससे मेले की चमक-दमक तो बढ़ेगी ही, साथ ही मेले में आने वाले आमजन को मिलने वाली सुविधाओं में भी वृद्धि होगी।

350 सालों का इतिहास समेटे है मेला

इतिहासकारों के अनुसार नौचंदी मेला करीब 350 सालों से मेरठ में लग रहा है। मुगलकाल से लेकर अंग्रेजी हुकुमत और स्वतंत्रता संग्राम की आग को भी मेला अपने दामन में समेटे हुए हैं। मेला स्थल पर जहां एक और हजरत बाले मियां की दरगाह है, वहीं पास में ही नवचंडी देवी (नौचंदी देवी) का मंदिर भी है। मेले के दौरान मंदिर के घंटों की आवाज के साथ अजान की आवाज भी सुनाई देती है। मेला चैत्र मास के नवरात्र त्यौहार से एक सप्ताह पहले (होली के करीब) लगता है और एक माह तक चलता है। वर्तमान में एक वर्ष जिला पंचायत और अगले वर्ष नगर निगम के जिम्मे आयोजन की जिम्मेदारी की व्यवस्था है।

इनका कहना--

नौचंदी मेले को राजकीय मेले का दर्जा प्रदान करने के लिए प्रदेश सरकार स्तर से कवायद शुरू की गई है। मांगी गई तमाम जानकारी उपलब्ध करा दी गई है। जिला प्रशासन स्तर से भी प्रक्रिया शुरू की गई है।

-अनिल ढींगरा, जिलाधिकारी 

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