जिला अस्पताल में बंदरों को भगाएंगे लाठीवाले, नोच डाला था ऑक्सीजन का पाइप
जिला अस्पताल में बंदरों का उत्पात बढ़ता ही जा रहा है। पिछले दिनों बंदरों ने ऑक्सीजन का पाइप नोच दिया था। अब अस्पताल में बंदरों को भगाने को लाठीवालों को रखा जाएगा।
By Ashu SinghEdited By: Updated: Tue, 27 Nov 2018 05:07 PM (IST)
मेरठ, जेएनएन। जिला अस्पताल में बंदरों का खौफ कायम है। वार्ड में घुसकर उछलकूद करने वाले बंदरों की हरकत जानलेवा हो गई है। ये मरीजों को लगाई गई ऑक्सीजन पाइपलाइन तक खींचने लगे हैं। आलम यह है कि बंदरों की यह हरकत जारी है, लेकिन अब तक इनके समाधान के लिए कोई कदम नहीं उठाया गया है। अब भी बंदर वार्ड के अंदर घुस जाते हैं और मरीज बाहर निकलने को मजबूर होते हैं। बंदरों को भगाने के लिए लाठीवालों का सहारा लेने का दावा भी धरातल पर उतरता नहीं दिख रहा।
ऑक्सीजन का पाइप नोच दिया था
गत मंगलवार को अस्पताल के वार्ड में घुसकर ऑक्सीजन की पाइप नोचने वाले बंदरों की हरकत के बाद जिला अस्पताल के प्रमुख अधीक्षक पीके बंसल ने बुधवार को घोषणा की थी वे अपने कर्मचारियों और वार्ड ब्वॉय को डंडा लेकर तैनात करेंगे ताकि बंदरों का प्रवेश वार्ड के अंदर न हो सके और मरीज निश्चिंत रहें। तय किया गया कि ओपीडी के समय पहरा घना होगा। गेट और खिड़कियां बंद रहे, यह सुनिश्चित कराया जाएगा। लेकिन घटना के बाद एक दिन के लिए तो यह सब हुआ, लेकिन अब फिर स्थिति ढाक के तीन पात हैं। लाठीवाले वार्ड ब्वॉय या कर्मचारी दिख नहीं रहे हैं, लेकिन बंदरों की मौजूदगी बराबर बनी हुई है।
नगर निगम से लेंगे मदद
जिला अस्पताल प्रशासन का यह भी तर्क है कि बंदर भटककर अस्पताल की ओर आ गए थे, वे दो-चार दिनों में खुद ही चले जाएंगे। स्थिति और बिगड़ती है तो नगर निगम से मदद ली जाएगी। इधर, नगर निगम का कहना है कि उनसे अब तक किसी ने संपर्क नहीं किया है। हालांकि नगर निगम भी अब तक इन बंदरों का इलाज नहीं ढूंढ पाया है। कई आवासीय इलाके सालों से बंदरों के उत्पात से परेशान हैं। ज्यादा हल्का मचता है, दुर्घटनाएं होती हैं तो पिंजरे मंगवाने, टेंडर जारी करने की बात की जाती है। दो-चार दिन नगर निगम भी हाथ पर हाथ रखकर बैठ जाता है। यही स्थिति अब जिला अस्पताल की भी हो गई है।
ऑक्सीजन का पाइप नोच दिया था
गत मंगलवार को अस्पताल के वार्ड में घुसकर ऑक्सीजन की पाइप नोचने वाले बंदरों की हरकत के बाद जिला अस्पताल के प्रमुख अधीक्षक पीके बंसल ने बुधवार को घोषणा की थी वे अपने कर्मचारियों और वार्ड ब्वॉय को डंडा लेकर तैनात करेंगे ताकि बंदरों का प्रवेश वार्ड के अंदर न हो सके और मरीज निश्चिंत रहें। तय किया गया कि ओपीडी के समय पहरा घना होगा। गेट और खिड़कियां बंद रहे, यह सुनिश्चित कराया जाएगा। लेकिन घटना के बाद एक दिन के लिए तो यह सब हुआ, लेकिन अब फिर स्थिति ढाक के तीन पात हैं। लाठीवाले वार्ड ब्वॉय या कर्मचारी दिख नहीं रहे हैं, लेकिन बंदरों की मौजूदगी बराबर बनी हुई है।
नगर निगम से लेंगे मदद
जिला अस्पताल प्रशासन का यह भी तर्क है कि बंदर भटककर अस्पताल की ओर आ गए थे, वे दो-चार दिनों में खुद ही चले जाएंगे। स्थिति और बिगड़ती है तो नगर निगम से मदद ली जाएगी। इधर, नगर निगम का कहना है कि उनसे अब तक किसी ने संपर्क नहीं किया है। हालांकि नगर निगम भी अब तक इन बंदरों का इलाज नहीं ढूंढ पाया है। कई आवासीय इलाके सालों से बंदरों के उत्पात से परेशान हैं। ज्यादा हल्का मचता है, दुर्घटनाएं होती हैं तो पिंजरे मंगवाने, टेंडर जारी करने की बात की जाती है। दो-चार दिन नगर निगम भी हाथ पर हाथ रखकर बैठ जाता है। यही स्थिति अब जिला अस्पताल की भी हो गई है।
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