Good News: पर्यटन के नक्शे पर अब हस्तिनापुर सैंक्चुअरी का भी नया मैप Meerut News
विश्व पर्यटन के नक्शे में नए सिरे से नजर आने वाले हस्तिनापुर में वाइल्ड लाइफ सैंक्चुअरी का भी नया मैप तैयार हो रहा है। यह क्षेत्र के लिए एक अच्छी खबर है।
By Prem BhattEdited By: Updated: Fri, 14 Feb 2020 09:59 AM (IST)
मेरठ, [संतोष शुक्ल]। विश्व पर्यटन के नक्शे में नए सिरे से नजर आने वाले हस्तिनापुर में वाइल्ड लाइफ सैंक्चुअरी का भी नया मैप तैयार हो रहा है। 2073 वर्ग किमी. क्षेत्रफल में फैली सैंक्चुअरी अब 1094 वर्ग किमी में सिमटेगी, हालांकि ये तब भी प्रदेश में सबसे बड़ी रहेगी। वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट देहरादून की रिपोर्ट पर शासन ने रकबा बदलने की कसरत तेज कर दी है। बता दें कि इंस्टीट्यूट को यह काम 2019 में सौंपा गया था। नई सीमाबंदी में मेरठ और बिजनौर की भागीदारी ज्यादा होगी।
सैंक्चुअरी की गोद में संग्रहालयकेंद्र सरकार ने हस्तिनापुर में राष्ट्रीय संग्रहालय और आर्कियोलॉजिकल साइट बनाने का निर्णय लिया है। ये सभी काम सैंक्चुअरी क्षेत्र में होने हैं। ऐसे में शासन से वन विभाग को अनापत्ति लेना होगा। मेरठ, बिजनौर, मुजफ्फरनगर व बुलंदशहर समेत पांच जिलों में 2073 वर्ग किमी. क्षेत्रफल में फैली हस्तिनापुर सैंक्चुअरी कई बार विवादों में रही। 1986 में सैंक्चुअरी का नोटीफिकेशन जारी किया गया।
रेस्क्यू सेंटर में होगा वन्य जीवों का इलाज वन्यजीवों की सुरक्षा और इलाज के लिए प्रदेश का दूसरा रेस्क्यू सेंटर भी बनाया जाएगा। विभाग ने सेंट्रल जू अथॉरिटी से अनुमति मांगी है। इसमें वन्यजीवों को रखने के लिए बड़ा पिंजरा, प्रशिक्षित स्टाफ और हाइटेक अस्पताल भी होगा। हाल में बिजनौर में तेंदुए के आठ बच्चों को रेस्क्यू कर चिड़ियाघर भेजा गया। एक रेस्क्यू सेंटर आगरा में है।
कई प्रजातियों का बड़ा निवास डीएफओ अदिति शर्मा ने बताया कि हस्तिनापुर वन्य जीव सैंक्चुअरी में चीतल, पाड़ा, सांभर व बारहसिंघा आदि प्रजातियों का बड़ा निवास है। तेंदुए और सियार समेत दर्जनों अन्य जीव भी हैं। कई बार गांवों में पहुंचने की वजह से जंगली जीव घायल हो जाते हैं, जिसके लिए रेस्क्यू सेंटर बनेगा। वन्य क्षेत्र का नया रकबा भी जारी होगा।
वन्य जीव खतरे में, बदल जाएगा नक्शा वर्ष 2000 में वन विभाग ने वन्य क्षेत्र का रकबा 406.30 वर्ग किमी. करने का प्रस्ताव शासन को भेजा। तर्क दिया कि सैंक्चुअरी क्षेत्र कई टुकड़ों में होने से वन्यजीवों की सुरक्षा खतरे में है। जिलों के बीच सीमा विवाद के साथ ही ग्राम्य विकास, पंचायत, सिंचाई विभाग समेत अन्य विभागों की जमीनें भी फंस गई हैं। हाल में मेरठ मुख्यालय ने प्रदेश सरकार से पत्रचार कर सैंक्चुअरी के रकबे को नए सिरे से तय करने की मांग की।
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