बुलंदशहर जेल में उग रहा शिक्षा का ‘सूरज’, एक हजार बंदी-कैदी जोड़ रहे पढ़ाई से नाता
बुलंदशहर जेल अपराध मुक्ति केंद्र के रूप में तब्दील हो रही है। यहां जेल प्रशासन ऐसे प्रबंध कर रहा है जिससे सजा पूरी होने के बाद कैदी बेहतर और सम्मानजनक जीवन व्यतीत कर सकें। ऐसे में यहां बंदी-कैदी किताबों से नाता जोड़ रहे हैं। उनकी संख्या करीब एक हजार है।
बुलंदशहर, अमर सिंह राघव। जेल ऐसी जगह है, जहां दीवारें भी प्रायश्चित की गवाह बनती हैं। किसी कोने में सिसकियां सुनाई देती हैं तो किसी चेहरे पर नजर आते हैं पछतावे के भाव। बंदी-कैदियों का ज्यादातर समय इसी सोच-विचार में निकल जाता है कि अब उनके भविष्य का क्या होगा। जिला कारागार में निरुद्ध सैकड़ों बंदी-कैदी इसी भावना के साथ अपने भविष्य को स्वर्णिम करने की कोशिश में जुटे हैं।
65 कैदी कर रहे स्नातक स्तर की पढ़ाई
यहां 65 कैदी इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय (इग्नू) से स्नातक कर रहे हैं। 12 कैदी-बंदी पहली बार हाईस्कूल और छह इंटरमीडिएट की बोर्ड परीक्षा देंगे। साक्षर बनने से लेकर आठवीं तक लगभग एक हजार कैदी-बंदी यहां पढ़ाई कर रहे हैं। जाहिर है, जब शिक्षा से उनका नाता जुड़ेगा तो अपराध का स्याह ककहरा वे खुद-ब-खुद भूल जाएंगे। जिला कारागार अपराध मुक्ति केंद्र के रूप में तब्दील हो रहा है। जेल प्रशासन ऐसे प्रबंध कर रहा है, ताकि सजा पूरी होने के बाद कैदी बेहतर और सम्मानजनक जीवन व्यतीत कर सकें। इसीलिए बंदी-कैदी भी किताबों से नाता जोड़ रहे हैं। जेल प्रशासन उनकी शिक्षा का भी प्रबंध कर रहा है।
जेल में इग्नू का सेंटर स्थापित कराने के प्रयास
पहली बार जिला कारागार के 12 बंदी-कैदियों ने यूपी बोर्ड हाईस्कूल व छह ने इंटरमीडिएट व्यक्तिगत परीक्षा के लिए आवेदन किया है। पंडित दीनदयाल उपाध्याय माडल इंटर कालेज, जैनपुर को बंदी-कैदियों की व्यक्तिगत परीक्षा का पंजीकरण केंद्र बनाया गया है। कैदियों व बंदियों को पांचवीं व आठवीं कराने के लिए बेसिक शिक्षा विभाग से मान्यता ली गई है। इसके अलावा 65 कैदी इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय (इग्नू) से स्नातक कर रहे हैं। जेल प्रशासन ने इग्नू का सेंटर भी यहां स्थापित कराने के प्रयास शुरू कर दिए हैं। जिला कारागार में कुल 2,750 कैदी-बंदी निरुद्ध हैं।
लाइब्रेरी में 3500 पुस्तकें
कारागार की लाइब्रेरी में 3500 पुस्तकें उपलब्ध हैं। इनमें हिंदी व अंग्रेजी भाषा की साहित्यिक, धार्मिक पुस्तकों के साथ महापुरुषों की जीवनी व अन्य ज्ञानवर्धक पुस्तकें शामिल हैं।
इन्होंने कहा
पहली बार हाई स्कूल में 12 व इंटरमीडिएट में छह कैदी-बंदी पढ़ाई कर रहे हैं। साक्षर बनने से लेकर आठवीं तक लगभग कुल एक हजार कैदी-बंदी पढ़ाई कर रहे हैं। बंदियों के पुनर्वास के लिए तरह-तरह के प्रशिक्षण दिए जा रहे हैं।
-आरके जायसवाल, जेल अधीक्षक