ग्रामीणों के परिवार का हिस्सा बन गया पिलखन का पेड़
नगर की तहसील रोड से करीब चार किलोमीटर दूर छबड़िया गांव में गुरुद्वारा श्री गुरुनानक सत्संग दरबार के सामने पिलखन का हरभरा वृक्ष ग्रामीणों के परिवार का हिस्सा बन गया है।
By JagranEdited By: Updated: Mon, 15 Mar 2021 05:45 AM (IST)
मेरठ, जेएनएन। नगर की तहसील रोड से करीब चार किलोमीटर दूर छबड़िया गांव में गुरुद्वारा श्री गुरुनानक सत्संग दरबार के सामने पिलखन का हरभरा वृक्ष ग्रामीणों के परिवार का हिस्सा बन गया है। ग्रामीण प्रमुख तीज-त्योहार पर वृक्ष की पूजा कर गांव में सुख-शांति व परिवार की मंगल कामना करते हैं।
गुरुद्वारा सत्संग दरबार के सामने जय दुर्गा मां मंदिर के पास पिलखन का वृक्ष सौ वर्ष से ऊपर का हो गया है। इसकी गोलाई करीब सात मीटर है। यह वृक्ष गर्मी में लोगों को राहत देता है। छबड़िया गांव निवासी 88 वर्षीय चंपिया बताते हैं कि यह वृक्ष ग्रामीणों के परिवार का हिस्सा बन गया है। ग्रामीण साल के प्रमुख त्योहार होली, दीपावली व दशहरा आदि पर जय दुर्गा मां मंदिर में पूजा-अर्चना कर पिलखन के वृक्ष की भी पूजा करते हैं। यह वृक्ष सौ वर्ष से भी पुराना है। ग्रामीण जयपाल ने बताया कि गांव के बुजुर्ग वृक्ष को ऐतिहासिक बताते हैं। उधर, गुरुद्वारे के ज्ञानी मदन सरदार ने वृक्ष के आसपास साफ-सफाई कार्य को अपने दैनिक कार्य का हिस्सा बना लिया है। कई साल पहले वृक्ष की शाखा काटने पर हो गया था विवाद गांव निवासी ज्ञानेंद्र, जयपाल, चित्रा आदि ने बताया कि कई साल पहले वृक्ष काटने पर विवाद हो गया था, लेकिन गणमान्यों के हस्तक्षेप के बाद मामला शांत हो गया था। उन्होंने बताया कि इस वृक्ष की शाखा कटने से गांव का अस्तित्व भी खतरे में आ गया था। उस समय बीमारी के चलते पशुओं की मौत होने लगी थी। वहीं, हादसे भी होने लगे थे। इसके बाद से ही अधिकांश ग्रामीण तीज-त्योहार पर पूजा-अर्चना करने लगे। ग्रामीणों का मानना है कि इसके बाद से गांव में कोई बड़ी अप्रिय घटना नहीं हुई है।
सबसे अधिक देते हैं आक्सीजन सरधना क्षेत्र के वन रेंजर संजय कुमार चौधरी ने बताया कि पिलखन का वृक्ष 24 घंटे आक्सीजन देता है। जब इस पर बीज आते हैं तो उसे पक्षी खाते हैं। यही कारण है कि इस वृक्ष पर पक्षी बैठते हैं। उन्होंने बताया कि इसके पत्तों को बकरी भी खाती है।
औषधीय गुणों से भरपूर है पिलखन का वृक्ष पिलखन का वृक्ष औषधीय महत्व से युक्त है। इसके पत्तों का प्रयोग कई इलाज में असरकारक है। संजय कुमार चौधरी ने बताया कि इसके पत्ते को तोड़कर निकलने वाले दूध को अगर शरीर पर लगाया जाए, तो खाज-खुजली में आराम मिलेगा।
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।