प्रमुख सचिव ने कहा, खर्च की तुलना में खराब रिजल्ट होने पर एडेड स्कूलों पर होगी कार्यवाही Meerut News
प्रमुख सचिव ने कहा मेरठ में सहायता प्राप्त विद्यालयों को शासन से मिलने वाले खर्च की तुलना में खराब रिजल्ट होने पर कार्यवाही होगी। स्कूल को मिलने वाले अनुदान रोके जा सकते हैं।
By Taruna TayalEdited By: Updated: Thu, 23 Jan 2020 03:17 PM (IST)
मेरठ, जेएनएन। प्रदेश सरकार की ओर से सहायता प्राप्त करने वाले विद्यालयों में शिक्षा और शिक्षण को लेकर सख्ती बरतने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। मेरठ में निरीक्षण करने आए प्रमुख सचिव परिवहन राजेश कुमार सिंह ने जिले के सभी सहायता प्राप्त स्कूलों को मिलने वाली धनराशि और स्कूलों के रिजल्ट की तुलनात्मक रिपोर्ट मांगी है। उन्होंने स्पष्ट रूप से निर्देश दिए हैं कि सरकार से मदद मिलने के अनुरूप जिन स्कूलों का प्रदर्शन बोर्ड परीक्षा रिजल्ट में बेहद खराब है, उनकी अलग सूची बनाकर चिन्हित किया जाए। ऐसे स्कूलों को विशेष रूप से निगरानी में रखा जाए, जिससे वहां खर्च के अनुरूप रिजल्ट ठीक किया जा सके। इसके बाद भी यदि ऐसे स्कूलों का रिजल्ट नहीं सुधरता है तो उन स्कूलों को चिन्हित कर उनके तमाम अनुदान बंद करने की कार्यवाही की जाएगी। जरूरत पड़ी तो जो गैर सहायता प्राप्त विद्यालय अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं उन्हें सहायता प्राप्त विद्यालयों की सूची में शामिल किया जाएगा। प्रमुख सचिव ने कहा कि स्कूलों में भी यह प्रतिस्पर्धा होनी चाहिए जिससे उनका रिजल्ट बेहतर हो सके। स्कूलों को मिलने वाली मदद परफारमेंस बेस्ड होगा तभी स्कूलों में आपसी प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी।
निकाला जाएगा प्रति छात्र खर्च का हिसाब प्रमुख सचिव राजेश कुमार सिंह ने जिले में सरकारी व सहायता प्राप्त विद्यालयों में प्रति छात्र खर्च का ब्यौरा मांगा है। उन्होंने स्पष्ट रूप से जिला विद्यालय निरीक्षक गिरिजेश कुमार सिंह को निर्देशित किया है कि सरकारी स्कूल व सहायता प्राप्त स्कूलों के अलग-अलग डाटा तैयार कर प्रति छात्र कितना खर्च सरकार की तरफ से किया जा रहा है, इसकी रिपोर्ट तैयार की जाए। प्रति छात्र के बाद प्रति स्कूल यह खर्च निकाला जाएगा। एक स्कूल को मदद कितनी मिलती है, वहां बच्चे कितने हैं और शिक्षक कितने हैं, इसका अलग अलग व्योरा निकालकर उस पर उचित कार्यवाही की जाएगी।
20 करोड़ से अधिक है प्रति माह का वेतन जिले में 133 सहायता प्राप्त विद्यालय हैं। इनमें से 132 विद्यालयों को शासन से अनुदान मिलता है। इन स्कूलों में प्रधानाचार्य व शिक्षकों के वेतन के लिए प्रतिमाह 18 करोड़ रुपए प्रदान किए जाते हैं। इनके अलावा जिले में 16 राजकीय इंटर कॉलेज हैं। इनमें प्रतिमाह 1.72 करोड़ों रुपए वेतन जाता है। राजकीय इंटर कॉलेजो में करीब साढे़ 11 हज़ार बच्चे हैं। इनके अलावा राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान के अंतर्गत बने 27 हाई स्कूल संचालित हैं। इनमें प्रतिमाह 72 लाख रुपए का वेतन जाता है। इन स्कूलों में करीब 13 बच्चे पढ़ रहे हैं।
प्रबंधन विवाद वाले स्कूलों की मांगी सूचीप्रमुख सचिव राजेश कुमार सिंह ने सहायता प्राप्त विद्यालयों में प्रबंधन में विवाद वाले स्कूलों की भी सूची मांगी है। ऐसे स्कूल जहां विवाद चल रहे हैं और जहां शिक्षा विभाग की ओर से कंट्रोलर नियुक्त किए गए हैं, उनके भी रिजल्ट और शासन से मिलने वाले मदद की तुलना की जाएगी। साथ ही प्रबंधन में गड़बड़ी वाले स्कूलों में लगे कंट्रोलर की भी समीक्षा की जा सकती है।
दामन पर दाग नहीं होने चाहिएजिला विद्यालय निरीक्षक कार्यालय का निरीक्षण करने के दौरान प्रमुख सचिव एक शिक्षक की भूमिका में भी नजर आए। जिला विद्यालय निरीक्षक सहित हर कमरे में निरीक्षण करने के साथ ही उन्होंने कर्मचारियों से बात की। उनके कामकाज के बारे में पूछा। कुछ कमी दिखने पर उसमें सुधार के तरीके भी बताए। साथ ही उन्होंने स्कॉलरशिप में हर तरह की गड़बड़ी को दूर करने के लिए आधार बेस्ड सिस्टम से रजिस्ट्रेशन का सुझाव दिया, जिस पर कार्यवाही चल भी रही है। इसके साथ ही अलग-अलग विभागों में उन्होंने सभी को कुछ न कुछ सुझाव दिए, जिससे कार्यशैली में सुधार किया जा सके। इसके साथ ही उन्होंने जिले के रिजल्ट, बोर्ड परीक्षार्थियों, परीक्षा केंद्र और उनमें की गई तमाम व्यवस्था की भी जानकारी जिला विद्यालय निरीक्षक से ली। प्रमुख सचिव ने कहा कि आप जहां भी काम करेंगे वहां हमेशा याद किए जाएंगे। आपके कार्यों की सराहना होगी, लेकिन यह तभी संभव है जब आपके दामन पर दाग नहीं होंगे। उन्होंने सभी को सलाह दी कि कार्यक्षेत्र में दामन पर एक भी दाग नहीं लगने दें।
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