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Ram Mandir: 'रामायण के राम' की अनसुनी कहानी; कैसे मिला वो किरदार, जिसने रच दिया इतिहास, पढ़िए अरुण गोविल की 'रघुबीर' बनने की स्टोरी

Ram Of Ramayana Serial Arun Govil Story 25 जनवरी 1987 को रामायण का दूरदर्शन पर प्रसारण शुरू हुआ था। 78 एपिसोड में 31 जुलाइ 1988 को इसकी आखिरी कड़ी प्रस्तुत की गइ। अरुण गोविल की लोकप्रियता के आगे बड़े अभिनेता तक धूमिल पड़ गए। फिल्मों और धारावाहिकों में भूमिका निभाने के लिए गोविल की चौखट पर निर्माताओं का मेला लगने लगा।

By Jagran News Edited By: Abhishek Saxena Updated: Mon, 22 Jan 2024 10:57 AM (IST)
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'रामायण के राम' की अनसुनी कहानी; कैसे मिला वो किरदार, जिसने रच दिया इतिहास

जागरण संवाददाता, (संदीप शर्मा) मेरठ। मेरठ की मर्यादा...रामायण के पुरुषोत्तम यानी अभिनय के अरुण। सनातन एवं धर्म विग्रह प्रभु श्रीराम की मूर्ति की सोमवार को प्राण प्रतिष्ठा है, जहां पर्दे के श्रीराम अरुण गोविल की एक झलक पाने को भक्त व्यग्र हैं।

राम मंदिर आंदोलन को जनांदोलन बनाने धारावाहिक रामायण में मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम की भूमिका को जीवंत करने वाले मेरठ निवासी अरुण गोविल प्राण प्रतिष्ठा में शामिल होने को धर्मनगरी अयोध्या में हैं। अरुण गोविल ने तीसरी से पांचवीं तक की शिक्षा पूर्वा महावीर स्थित सरस्वती शिशु मंदिर से प्राप्त की।

इसके बाद उन्होंने छठी में गर्वमेंट इंटर कालेज से दसवीं की परीक्षा उत्तीर्ण की। इसके बाद नगर पालिका मेरठ(अब नगर निगम) में तैनात अरुण गोविल के पिता चंद्र प्रकाश गोविल का तबादला शहांजहांपुर हो गया। अरुण गोविल के साथ हाईस्कूल तक पढ़े राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के आनुषांगिक संगठन प्रज्ञा प्रवाह के प्रांत शोध समन्वयक अजय मित्तल बताते हैं कि उन्हें बचपन से अभिनय का शौक था।

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रामायण के श्रीराम के अंतर्मन में विराजता है मेरठ

अरुण गोविल पचास साल पहले मेरठ से मुंबई चले गए, लेकिन जीआइसी मैदान में क्रिकेट खेलना, बाबा औघड़नाथ मंदिर में साइकिल से दर्शन करने जाना और नौचंदी मेले में नान खटाई खाना। ये स्मृतियां उनके मन में बसी हैं। गोविल बहुत अच्छे क्रिकेटर भी थे। बाद में उन्होंने अभिनय को कैरियर के रूप में चुना।

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धाराप्रवाह संस्कृत उच्चारण ने दिलाई श्रीराम की भूमिका 

अरुण गोविल की सहज और सरल संवाद प्रस्तुति ने हर भारतवासी और विदेशों में बसे भारतवंशियों का मन श्रीराम के प्रति श्रद्धा से भर दिया। जब रामायण के आडिशन चल रहे थे तो लक्ष्मण की भूमिका निभाने वाले सुनील लहरी का चयन श्रीराम के लिए हो चुका था।

अरुण गोविल ने जब संस्कृत के श्लोकों का धारा प्रवाह उच्चारण किया तो रामायण के निर्माता निर्देशक रामानंद सागर पुलकित हो गए। उन्होंने तभी अरुण गोविल को प्रभु श्रीराम की भूमिका के लिए तय कर दिया। 

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