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अब जीआइ टैग के साथ लीजिए बागपत का रटौल आम, पाकिस्‍तान से है इसका खास कनेक्‍शन

Rataul Mango उत्‍तर प्रदेश के बागपत जिले के गांव रटौल से आम की इसी नाम की प्रजाति का सबंध है। यह उस समय चर्चा में आया था जब पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति जनरल जिया उल हक ने भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को इसे तोहफे में भेजा था।

By Parveen VashishtaEdited By: Updated: Wed, 11 May 2022 07:50 AM (IST)
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बागपत का रटौल आम अब जीआइ टैग के साथ मिलेगा

बागपत, जागरण संवाददाता। रटौल आम का जिक्र छिड़ते ही जेहन में बागपत का गांव रटौल आ जाता है। दरअसल, इस गांव को पहचान मिलने का बड़ा कारण यह आम भी है। विशेष स्वाद और सुगंध के चलते पहले ही देश-विदेश के लोग इस आम के मुरीद हैं।

जीआइ टैग मिलने पर मशहूरियत और बढ़ी

जियोग्राफिकल इंडिकेशंस (जीआइ ) टैग मिलने के बाद तो इसकी मशहूरियत और बढ़ गई है। आम की इस प्रजाति पर पाकिस्तान शुरू से अपनी दावेदारी करता रहा लेकिन पेटेंट के बाद जीआइ टैग मिलने से यह सच दुनिया के सामने आया कि इस आम का जन्म भारत के रटौल में ही हुआ। जीआइ टैग के साथ पहली बार यह आम बाजार में दिखेगा। खाड़ी देशों के लोग इसकी एडवांस बुकिंग कर रहे हैं।

रटौल के साथ वेस्‍ट यूपी के कई जिलों में पैदा होता है यह आम

रटौल प्रजाति का आम बागपत के गांव रटौल के अलावा पश्चिम उत्तर प्रदेश के कई जिलों में भी पैदा होता है। जिले में लगभग 85 हेक्टेयर में इसकी खेती होती है। रटौल आम उस समय चर्चाओं में आया था, जब पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति जनरल जिया उल हक ने भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को यह आम तोहफे में दिए थे। बाद में रटौल का एक प्रतिनिधिमंडल तत्कालीन केंद्रीय परिवहन मंत्री चौधरी चांदराम के नेतृत्व में इंदिरा गांधी से मिला और उन्हें रटौल आम भेंट किए। इंदिरा गांधी को बताया कि यही असली रटौल आम है। इसके बाद इंदिरा गांधी ने भी जनरल जिया उल हक को ये आम तोहफे मे भिजवाए। तभी से इस आम के पेटेंट की जिद्दोजहद चल रही थी।

छह अक्टूबर-2021 को हुआ आम का पेटेंट

छह अक्टूबर-2021 को वाराणसी में रटौल आम का पेटेंट हुआ। पेटेंट के बाद ही जीआइ टैग मिल गया। दरअसल, जीआइ टैग मिलने के बाद अंतरराष्ट्रीय बाजार में संबंधित उत्पाद का महत्व और कीमत बढ़ जाती है। निर्यात के साथ-साथ उत्पाद की विशिष्टता भी बढ़ती है।

ज्ञानी जैल सिंह व अटल बिहारी आए थे रटौल 

इस आम का स्वाद चखने के लिए हर साल मई माह से रटौल गांव में देशी-विदेशी लोग आने लगते हैं। पूर्व राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह, पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी, अभिनेता फारुख शेख के अलावा तमाम केंद्रीय मंत्री भी रटौल में आकर आम का स्वाद ले चुके हैं। 

रटौल से पाकिस्तान गया था आम

रटौल प्रजाति को ईजाद करने वाले आफाक फारुख रटौल गांव के थे। देश के बंटवारे के दौरान उनके रिश्तेदार अनवारुल हक रटौल इस आम की पौध पाकिस्तान ले गए थे। इसी कारण पाकिस्तान में यह आम अनवर रटौल के नाम से मशहूर हो गया।

इन्‍होंने कहा

रटौल आम का रकबा लगातार घट रहा है। सरकार को इस आम के पेड़ों का कटान रोकना चाहिए। आम उत्पादकों के लिए भी कुछ करना चाहिए।

-डा. मेहराजुद्दीन, प्रसिद्ध आम उत्पादक

सरकार पर्याप्त सुविधाएं दे तो रटौल आम के बाग बढ़ेंगे। जीआइ टैग लगने के बाद इसकी मांग लगातार बढ़ रही है। खाड़ी देशों के लोग इंटरनेट मीडिया के जरिए रटौल आम बुक कर रहे हैं।

-जुनैद फरीदी, आम उत्पादक

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