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नई थ्रीडी इमेजिंग तकनीक से कैंसर की जड़ को खोजना हो जाएगा सस्ता, अमेरिका में मेरठ के वैज्ञानिक ने विकसित की टेक्नोलॉजी

मेरठ के वैज्ञानिक प्रोफेसर राजू तोमर ने कैंसर जैसी बीमारियों की जड़ों को खोजने के लिए एक अति आधुनिक और किफायती थ्रीडी इमेजिंग तकनीक विकसित की है। लाइट शीट माइक्रोस्कोपी तकनीक से सुसज्जित प्रोजेक्टेड लाइट शीट माइक्रोस्कोपी नाम की यह तकनीक वर्तमान में बाजार में उपलब्ध तकनीक की तुलना में 50 गुना कम लागत में थ्रीडी इमेजिंग की सुविधा प्रदान करती है।

By Amit Tiwari Edited By: Abhishek Pandey Updated: Sun, 08 Sep 2024 04:07 PM (IST)
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शोध : इस थ्रीडी इमेजिंग तकनीक से कैंसर की जड़ खोजना होगा सस्ता

अमित तिवारी, मेरठ। कैंसर जैसी बीमारियों की जड़ों को खोजने और उसके शरीर में फैलाव का पता लगाने की अति आधुनिक थ्रीडी इमेजिंग तकनीक दुनिया भर में बेहद महंगी है। इस क्षेत्र में बड़ी सफलता हासिल करते हुए अमेरिका के कोलंबिया विश्वविद्यालय में कार्यरत मेरठ के वैज्ञानिक प्रोफेसर राजू तोमर ने लाइट शीट माइक्रोस्कोपी तकनीक से सुसज्जित प्रोजेक्टेड लाइट शीट माइक्रोस्कोपी तैयार किया है। इससे थ्रीडी इमेजिंग में उत्तम, सूक्ष्म व बारीक विवरणों वाली तस्वीरें ले सकते हैं।

यह वर्तमान में बाजार में उपलब्ध तकनीक व उपकरणों की तुलना में कई गुना सस्ती है। अमेरिकी बाजार में वर्तमान में यह तकनीक करीब चार करोड़ रुपये से महंगी है जबकि प्रोफेसर तोमर की तकनीक करीब नौ लाख रुपये से भी कम यानी 50 गुना कम लागत में थ्रीडी इमेजिंग तकनीक की सुविधाएं प्रदान करेगा।

गंभीर बीमारियों के अध्ययन में क्रांति ला सकती है यह तकनीक

पिछले सौ वर्षों से अधिक समय से बीमारियों का विश्लेषण करने का मानक तरीका माइक्रोस्कोप के तहत पतले पैथोलाजिकल टिशू स्लाइस की जांच करना रहा है। प्रोफेसर राजू तोमर की यह तकनीक चिकित्सकों और शोधकर्ताओं के लिए कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों का अध्ययन और निदान करने के तरीकों में क्रांति ला सकती है। हमारे अंग और ऊतक यानी टीशू थ्रीडी में कार्य करते हैं।

पारंपरिक टूडी विधि की अपनी सीमाएं हैं। इसकी बारीक परख के लिए प्रोफेसर तोमर ने नई व किफायती थ्रीडी इमेजिंग तकनीक कैंसर जैसी बीमारियां अंगों और शरीर के भीतर कैसे विकसित होती हैं और फैलती हैं, इसकी तस्वीर भी दिखाने में सक्षम है। यह तकनीक कोशिकीय यानी सेलुलर व आणविक यानी मोलिक्यूलर स्तर पर होने वाले बदलावों का बेहद सूक्ष्म और विस्तृत चित्र प्रदान करती है।

किफायती और सटीक परिणाम देना रहा चुनौतीपूर्ण

गढ़ रोड स्थित खेड़की पट्टी गांव के मूल निवासी प्रोफेसर राजू तोमर पुत्र चंद्रपाल सिंह तोमर के अनुसार नई तकनीक व वैज्ञानिक प्रगति ने शोधकर्ताओं को विशिष्ट रसायनों का उपयोग करके बड़े टिशू बायोप्सी को पूरी तरह से पारदर्शी बनाने में सक्षम बना दिया है। इस क्षेत्र में सबसे आशा जनक तकनीकों में से एक ‘लाइट शीट माइक्रोस्कोपी’ है, जो बड़े टिशू सैंपल की तेजी से और विस्तृत थ्रीडी इमेजिंग को सक्षम बनाती है। यह थ्रीडी माइक्रोस्कोपी तकनीक बेहतरीन चित्र प्रदान करती हैं लेकिन बेहद महंगी है जिससे अधिकांश शोधकर्ताओं और चिकित्सकों तक यह तकनीक पहुंचती ही नहीं है। इसे कम से कम लागत में बनाना ही चुनौतिपूर्ण था जिसमें सफलता मिली।

गाजियाबाद से स्कूली शिक्षा, आइआइटी दिल्ली से स्नातक और जर्मनी से पीएचडी कर अमेरिका के स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय से शोध शुरू करने वाले प्रोफेसर राजू तोमर ने कोलंबिया विश्वविद्यालय में अपनी शोध प्रयोगशाला बनाई है। उन्होंने मेरठ की ही इंजीनियर श्रद्धा चौहान सहित वैज्ञानिकों की अपनी टीम के साथ इस तकनीक का किफायती संस्करण पीएसएलएम यानी ‘प्रोजेक्टेड लाइट शीट माइक्रोस्कोपी’ तैयार किया है। यह आकार में छोटा और ले जाने में आसान है।

नेचर बायोमेडिकल इंजीनियरिंग जर्नल में प्रकाशित हुआ शोध

प्रोफेसर राजू तोमर का यह शोध प्रतिष्ठित जर्नल ‘नेचर बायोमेडिकल इंजीनियरिंग’ में 29 अगस्त को प्रकाशित हुआ है। उनकी टीम ने पीएलएसएम को साधारण उपभोक्ता उपकरणों, पाकेट लेजर प्रोजेक्टर, मिनी कंप्यूटर और सोनी कैमरा चिक का इस्तेमाल का बनाया है। इन्हें आप्टिकल व साफ्टवेयर नवाचारों को जोड़ा है। इसमें इमेजिंग रिजोल्यूशन को तुरंत समायाेजित करने और किसी भी इमेजिंग गलतियों को स्वयं ठीक करने की क्षमता जैसी खूबियां भी हैं।

परीक्षण में इस तकनीक का इस्तेमाल चूहे के मस्तिष्क के साथ अल्जाइमर रोग से प्रभावित बड़े मानव मस्तिष्क के टिशू सैंपल और जीवित बैक्टीरियल कालोनियों में किया जिनके परिणाम सराहनीय रहे। एनआइएच डायरेक्टर का न्यू इनोवेटर अवार्ड सहित अमेरिकी व अन्य अंतरराष्ट्रीय पेटेंट प्रोफेसर तोमर के नाम हैं। उनका विवाह मेरठ की ही नीतू राघव पुत्री अशोक कुमार राघव से हुआ है।

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