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UP News: सपा विधायक रफीक अंसारी को हाईकोर्ट से मिली बड़ी राहत; कभी जारी हुए थे उनके खिलाफ 101 गैर जमानती वारंट

Meerut News In Hindi मेरठ के विधायक रफीक अंसारी को दो मामलों में सशर्त जमानत मिली है। सपा विधायक के खिलाफ 101 गैर जमानती वारंट (एनबीडब्ल्यू) जारी हुए थे उन्हें पुलिस ने बराबंकी से गिरफ्तार किया था। वे 27 मई 2024 से मेरठ की जेल में बंद हैं। पुलिस की चार्जशीट में उनका नाम शामिल है लेकिन सरकार इस केस के लिए वापसी की अर्जी दे चुकी है।

By sushil kumar Edited By: Abhishek Saxena Updated: Sat, 20 Jul 2024 08:47 AM (IST)
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Samajwadi Party Mla: सपा विधायक रफीक अंसारी। सोर्सः एक्स हैंडलर।

विधि संवाददाता, जागरण, प्रयागराज/मेरठ। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने विधायक रफीक अंसारी को मेरठ के थाना नौचंदी व सिविल लाइंस में दर्ज आपराधिक मामलों में सशर्त जमानत दे दी। विधायक की तरफ से 13 आपराधिक केसों की जानकारी देते हुए कहा गया कि नौचंदी थाने में दर्ज मामला सरकार ने वापस लेने का फैसला लिया है।

सरकार की तरफ से दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 321 की अर्जी अदालत में लंबित है। सिविल लाइंस थाने में दर्ज केस में चार सह अभियुक्तों की जमानत हो चुकी है और उनकी भूमिका अपराध करने की नहीं है। इसलिए दोनों में जमानत पर रिहा किया जाए। याची ने कहा कि वह ट्रायल में पूरा सहयोग करेंगे। कोर्ट ने दोनों मामलों में सशर्त जमानत मंजूर करते हुए रिहाई का आदेश दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति राजीव मिश्रा ने रफीक अंसारी की अर्जी स्वीकार करते हुए दिया है।

वरिष्ठ अधिवक्ता सगीर अहमद ने याची की तरफ से बहस की। इनका कहना था कि एक केस दोनों पक्षों की तरफ से प्राथमिकी दर्ज कराने का है। एक तरफ से 25-30 अभियुक्त तो दूसरी तरफ से 10-15 अभियुक्त बनाए गए हैं। पुलिस रिपोर्ट पर कोर्ट ने ट्रॉयल चलाने का फैसला लिया है। याची 27 मई 2024 से जेल में बंद है। दूसरे मामले में 22 अभियुक्त नामित थे। अदालत ने इन सभी को बरी कर दिया है। पुलिस ने बाद में पूरक चार्जशीट दाखिल की जिसमें याची नामित किया गया है, लेकिन सरकार ने खुद ही केस वापसी की अर्जी दी है।

1992 से चल रहा था मुकदमा 

1992 में अंसारी और कुरैशी बिरादरी में मीट की दुकानों को लेकर विवाद हुआ था। मीट की दुकानों में तोड़फोड़ और आगजनी की गई थी। पुलिस ने तत्कालीन पार्षद (वर्तमान सपा विधायक रफीक अंसारी) समेत 40 लोगों को आरोपित बनाया था। 1995 में आरोप पत्र पर संबंधित अदालत ने अगस्त 1997 में संज्ञान लिया, लेकिन रफीक अदालत में पेश नहीं हुए।

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जारी हुए थे 101 बार गैर जमानती वारंट

101 बार गैर-जमानती वारंट और 82 सीआरपीसी के तहत कुर्की प्रक्रिया के बावजूद वह पेश नहीं हुए। उन्होंने आदेश के खिलाफ हाई कोर्ट में अपील दायर की। न्यायमूर्ति संजय कुमार सिंह ने डीजीपी को निर्देश दिया कि गैर जमानती वारंट तामील कराएं और 28 मई को ट्रायल कोर्ट में पेश करें। तब पुलिस ने सपा विधायक को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया, जहां से जेल भेज दिया गया था।

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एक मुकदमा यह भी था 

2022 के विधान सभा चुनाव में सपा विधायक और शहर सीट से पार्टी प्रत्याशी रफीक अंसारी का वीडियो इंटरनेट मीडिया में प्रसारित हुआ था। वीडियो में रफीक अंसारी भीड़ को संबोधित करते हुए बोले थे कि ‘इस सरकार ने पिछले पांच सालों में पूरी हिंदूगर्दी मचा रखी है। मेरठ का मुसलमान कभी डरा नहीं है, पांच सालों से मुसलमानों को सरकार ने दबाने का काम किया और अब, मुसलमान नहीं दबेगा।’ पुलिस ने विधायक के खिलाफ धार्मिक भावना भड़काने का मुकदमा दर्ज किया था।

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