MLA Rafiq Ansari Case: बीमारी का बहाना काम न आया, मुलायजा बैरक में 40 बंदियों के बीच में रखे गए विधायक रफीक अंसारी
MLA Rafiq Ansari News In Hindi भाजपा नेताओं ने भी विधायक के द्वारा नामाकंन के दौरान दिए गए शपथ पत्र पर सवाल उठाए। उन्होंने एसपी सिटी को ज्ञापन सौंपा जिसमें आरोप लगाया गया कि विधायक ने अपराधिक गतिविधियों को छिपाया है। उन पर एक ही घटना में 29 मुकदमे हुए थे। साथ ही नौचंदी थाने के हिस्ट्रीशीटर भी रह चुके है।
जागरण संवाददाता, मेरठ। 101 गैरजमानती वारंट में बाराबंकी से गिरफ्तार होकर जेल गए सपा विधायक रफीक अंसारी ने सोमवार की रात 11:35 बजे जेल में प्रवेश करते ही बीमार होने का दावा किया था। तब उन्हें जेल के अस्पताल में ले गए, जहां जांच कराने के बाद विधायक का स्वास्थ्य सही पाया गया। उसके बाद उन्हें 40 बंदियों के साथ मुलायजा बैरक में रखा गया।
भाजपा के महानगर अध्यक्ष सुरेश जैन ऋतुराज, लोकसभा संयोजक कमल दत्त शर्मा और अमित शर्मा ने कहा कि विधायक ने चुनाव आयोग की गलत जानकारी दी है। मंगलवार शाम को एसपी सिटी आयुष विक्रम सिंह से मुलाकात की। भाजपा नेताओं ने कहा कि 2022 के विधानसभा चुनाव में रफीक अंसारी ने जो शपथ पत्र दिया। उसमें सिर्फ एक ही मुकदमे का उल्लेख किया गया, जबकि रफीक अंसारी पर पार्षद रहते समय के काफी मुकदमे दर्ज होने की जानकारी सामने आई है।
इन मुकदमों की जानकारी शपथ पत्र में छिपाकर चुनाव आयोग को गुमराह करने के साथ कानून का उल्लंघन किया गया है। भाजपा नेताओं द्वारा दिए गए शिकायती पत्र की जांच सीओ सिविल लाइंस से कराने के आदेश दिए। उसके लिए सीओ को एक सप्ताह का समय दिया गया है।
स्वजन और पार्टी नेताओं ने जेल में की मुलाकात
जिला कारागार में बंद विधायक रफीक अंसारी से मंगलवार को उनके स्वजन और पार्टी नेताओं ने मुलाकात की है। उनके जेल अस्पताल में शिफ्ट किए जाने की चर्चा थी, इस पर वरिष्ठ जेल अधीक्षक शशिकांत मिश्रा ने बताया कि रफीक अंसारी को मुलायजा बैरक में रखने की बात कही है।
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जिला जज की अदालत में जमानत की अर्जी नहीं लगी
सपा विधायक को कोर्ट ने पांच जून तक जेल भेज दिया है। उसके बाद उनके अधिवक्ता ने मंगलवार को जमानत के लिए अर्जी लगाने का दावा किया था। लेकिल रफीक अंसारी की तरफ से जिला जज की अदालत में मंगलवार को कोई अर्जी नहीं लगाई गई है। अब बुधवार को जमानत अर्जी डालने की उम्मीद जताई जा रही है।
लखनऊ में छिप गए थे रफीक अंसारी
विधायक के दोनों घरों पर दबिश पड़ने के बाद वह यहां से लखनऊ निकल गए थे। लखनऊ के अपने आवास पर पहुंच गए। लखनऊ पहुंचने के बाद विधायक ने अपना मोबाइल फोन भी खोल लिया। पुलिस उसके आवास पर पहुंची। तब पीछे के रास्ते से निकल गए। पुलिस उनका पीछा कर रही थी। वह बाराबंकी के जैदपुर में अपनी रिश्तेदारी में जा रहे थे। तभी पुलिस ने पीछा कर उनकी कार को पकड़ लिया। जैदपुर पुलिस की मदद से उन्हें गिरफ्तार कर मेरठ लाया गया था।
ये है मामला
1992 में अंसारी और कुरैशी बिरादरी में मीट की दुकानों को लेकर विवाद हुआ था। मीट की दुकानों में तोड़फोड़ और आगजनी की गई थी। पुलिस ने तत्कालीन पार्षद रफीक अंसारी समेत 40 लोगों को आरोपित बनाया। 1995 में आरोप पत्र पर संबंधित अदालत ने अगस्त 1997 में संज्ञान लिया, तब रफीक अदालत में पेश नहीं हुए। 101 बार गैर-जमानती वारंट और धारा 82 सीआरपीसी के तहत कुर्की प्रक्रिया के बावजूद भी वह अदालत में पेश नहीं हुए।
उन्होंने आदेश के खिलाफ हाई कोर्ट में अपील दायर की थी। न्यायामूिर्त संजय कुमार सिंह ने डीजीपी निर्देश दिया कि गैर जमानती वारंट की तामील कराएं व 28 मई को ट्रायल कोर्ट में पेश करें। तक विधायक को पुलिस ने बाराबंकी के जैदपुर से गिरफ्तार कर लिया।