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Swami Swaroopanand Saraswati: शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती शाकंभरी के भी थे अनन्य उपासक ,यहां पर बना है आश्रम

Swami Swaroopanand Saraswati गुरु पूर्णिमा पर्व के अवसर पर अपने गुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी महाराज की आरती उतारते आश्रम प्रभारी स्वामी सहजानंद जी महाराज (फाइल फोटो)। सिद्धपीठ श्री शाकंभरी देवी परिक्षेत्र में भी उनका आश्रम पुराने समय से प्रतिष्ठित है।

By Prem Dutt BhattEdited By: Updated: Mon, 12 Sep 2022 09:36 AM (IST)
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Swami Swaroopanand Saraswati ब्रह्मलीन हुए शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती का सहारनपुर से भी नाता रहा है।

सहारनपुर, जागरण संवाददाता। Swami Swaroopanand Saraswati रविवार को ब्रह्मलीन हुए द्वारका एवं शारदा पीठाधीश्वर जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी महाराज सहारनपुर में माता श्री शाकंभरी देवी के भी अनन्य उपासक थे। सिद्धपीठ श्री शाकंभरी देवी परिक्षेत्र में भी उनका आश्रम पुराने समय से प्रतिष्ठित है।

शंकराचार्य पद पर आसीन

शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी महाराज 99 वर्ष के थे। भाद्रपद की हरितालिका तीज पर उनका जन्मदिन मनाया जाता है। ब्रह्मलीन स्वरूपानंद सरस्वती जी महाराज वर्ष 1973 में पहले शंकराचार्य कृष्ण बोध आश्रम जी महाराज के बाद शंकराचार्य पद पर आसीन हुए थे।

गोरक्षा आंदोलन में भाग

वह ब्रह्मलीन शंकराचार्य ब्रह्मानंद सरस्वती जी महाराज के शिष्य थे। उन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन में भी भाग लिया था। वह गोरक्षा आंदोलन के साथ ही कई धर्म रक्षा के कार्यों के प्रणेता भी रहे। श्री शाकंभरी देवी सिद्धपीठ के व्यवस्थापक राणा आदित्य प्रताप सिंह ने अपने व अपने परिवार की ओर से शोक संवेदना व्यक्त कर श्रद्धांजलि अर्पित की।

सनातन संस्कृति के लिए बहुत क्षति

उन्होंने कहा कि ब्रह्मलीन शंकराचार्य जी महाराज ने अपने जीवन काल में सदैव धर्मगुरु के रूप में धर्म की रक्षा के लिए अग्रणी भूमिका निभाई। उनका देहावसान समस्त सनातन संस्कृति के लिए बहुत बड़ी क्षति है।

आश्रम के संत व शिष्य शोकाकुल

उनके ब्रह्मलीन होने की खबर शाकंभरी आश्रम में लगते ही सभी शोकाकुल हो गए। आश्रम प्रभारी स्वामी सहजानंद जी महाराज तत्काल उनके मुख्य आश्रम नरसिंहपुर परमहंसी गंगा आश्रम मध्य प्रदेश, जहां उन्होंने अंतिम सांस ली के लिए रवाना हो गए। सहजानंद महाराज शनिवार की भोर में ही नरसिंहपुर से जन्मदिन कार्यक्रम में शामिल होकर लौटे थे।

मेरठ से भी रहा नाता 

जगतगुरू शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी महाराज जी का मेरठ से विशेष लगाव रहा। सम्राट पैलेस स्थित राज राजेश्वरी मंदिर में उनका आश्रम है। मंदिर की स्थापना उन्हीं के कर कमलों से 1990 में हुई थी। रविवार को महाराज जी के देहांत से उनके अनुयायियों में शोक की लहर दौड़ पड़ी। स्वरूपानंद सरस्वती जी महाराज सम्राट पैलेस स्थित राज राजेश्वरी मंदिर में आते रहते थे। अंतिम बार वह अप्रैल 2021 में मेरठ आए थे। आश्रम के प्रभारी ब्रह्मचारी राधिकानंद जी ने बताया कि रविवार को बेहद दुखद सूचना मिली। 

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