शिया जामा मस्जिद के सामने मिलती है गंगा-जमुनी विरासत की झलक
घंटाघर पर गोल्डन रंग के गुंबद वाली शियाओं की जामा मस्जिद है। इसका निर्माण नवाब मनसब अली खां ने 1303 हिजरी में कराया था। वर्तमान में 1440 हिजरी चल रहा है।
By Edited By: Published: Thu, 09 May 2019 10:00 AM (IST)Updated: Thu, 09 May 2019 10:00 AM (IST)
मेरठ, जेएनएन। घंटाघर पर गोल्डन रंग के गुंबद वाली शियाओं की जामा मस्जिद है। इसका निर्माण नवाब मनसब अली खां ने 1303 हिजरी में कराया था। वर्तमान में 1440 हिजरी चल रहा है। उनके जीवनकाल में जो कार्य अधूरा रह गया था, उसे उनकी बेगम मेहरूनिशा ने पूरा कराया। शहर की गंगा-जमुनी तहजीब की मिसाल इमामबाड़ा भी इसके सामने है, जिसका निर्माण भी उन्होंने कराया था। उसके बराबर में सेठ धर्मदास जैन की धर्मशाला और संस्कृत विद्यालय है। बताया जाता है कि सेठ और नवाब साहब गहरे दोस्त थे। इसलिए दोनों ने अपने-अपने धार्मिक स्थलों का निर्माण आसपास कराया था।
भव्यता में चार चांद
शियाओं की इस मस्जिद में एक कुआं भी था, जो अब बंद कर दिया गया है। मस्जिद में तीन गुंबद और दो मीनारें इसकी भव्यता में चार चांद लगाती हैं। इस मस्जिद में रमजान की 23वीं शब को पूरी रात जियारत और दुआओं का सिलसिला चलता है। पूरे रमजान में मस्जिद में इफ्तार का आयोजन भी होता है।
इन्होंने कहा
शियाओं की जामा मस्जिद को शाही मस्जिद के नाम से भी जाना जाता है। मस्जिद 137 वर्ष पुरानी है। रेलवे रोड स्थित मनसबिया में रमजान के दौरान जुमे की नमाज होती है। जैन धर्मशाला और इमामबाड़े का निर्माण पास-पास किया जाना सांप्रदायिक सद्भाव को दर्शाता है।
- मौलाना महजर आब्दी, इमाम, शिया जामा मस्जिद घंटाघर
भव्यता में चार चांद
शियाओं की इस मस्जिद में एक कुआं भी था, जो अब बंद कर दिया गया है। मस्जिद में तीन गुंबद और दो मीनारें इसकी भव्यता में चार चांद लगाती हैं। इस मस्जिद में रमजान की 23वीं शब को पूरी रात जियारत और दुआओं का सिलसिला चलता है। पूरे रमजान में मस्जिद में इफ्तार का आयोजन भी होता है।
इन्होंने कहा
शियाओं की जामा मस्जिद को शाही मस्जिद के नाम से भी जाना जाता है। मस्जिद 137 वर्ष पुरानी है। रेलवे रोड स्थित मनसबिया में रमजान के दौरान जुमे की नमाज होती है। जैन धर्मशाला और इमामबाड़े का निर्माण पास-पास किया जाना सांप्रदायिक सद्भाव को दर्शाता है।
- मौलाना महजर आब्दी, इमाम, शिया जामा मस्जिद घंटाघर
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