फिलहाल जेल में ही रहेंगे सपा नेता मुकेश सिद्धार्थ, रिहाई के लिए चला था हाईवोल्टेज ड्रामा, तथ्य छिपाकर किया था जमानत का आवेदन
पहले जेल गए फिर अग्रिम जमानत मिली और बाद में हुई निरस्त। जेल जाने का तथ्य छिपाकर आरोपित ने किया था अग्रिम जमानत का आवेदन। मुकेश ने कहा कि समाजहित में इस तरह के बयान आगे भी देंगे। भले ही उन्हें कितनी भी बार जेल जाना पड़े। उधर राष्ट्रीय जाटव महासंघ के पदाधिकारियों ने एसएसपी कार्यालय पर प्रदर्शन कर मुकेश सिद्धार्थ के खिलाफ दर्ज मुकदमा खत्म करने की मांग की।
जागरण संवाददाता, मेरठ। दिल्ली से गिरफ्तारी के बाद सोमवार को उत्तर प्रदेश अनुसूचित जाति जनजाति वित्तीय विकास निगम के उपाध्यक्ष व सपा नेता मुकेश सिद्धार्थ के जेल जाने पर घटनाक्रम सर्दी में पारे की तरह बदलता रहा।
एसीजेएम कोर्ट से सुनवाई के बाद रिमांड बनाकर जेल भेज दिया गया। उसके बाद अपर जिला जज कोर्ट संख्या एक से अग्रिम जमानत मिल गई। अभी तक रिहाई का परवाना जेल नहीं पहुंचा था। तभी डीजीसी क्रिमिनल सर्वेश शर्मा ने सभी तथ्यों को अपर जिला जज के सामने रखा। कहा कि आरोपित ने प्रार्थना पत्र में जेल जाने का तथ्य छिपाया है। तब अग्रिम जमानत को निरस्त कर दिया। अंतत सपा नेता को जेल में रहना ही पड़ा। उन्हें कोर्ट में पेश करने के लिए फैंटम पर बैठाकर पुलिस ले गई थी।
पुलिसबल लगाया
कोर्ट परिसर में भीड़ को देखकर अतिरिक्त पुलिस बल लगाया गया था। शनिवार को कलक्ट्रेट में घेराव के दौरान ऊर्जा राज्यमंत्री सोमेन्द्र तोमर को जिंदा जलाने, शहर को फूंकने की धमकी व डीएम-एएससपी व उनके बच्चों के खिलाफ अमर्यादित टिप्पणी करने वाले सपा नेता मुकेश सिद्धार्थ को पुलिस व क्राइम ब्रांच ने रविवार रात दिल्ली से गिरफ्तार कर लिया। मुकेश के खिलाफ सिविल लाइंस थाने में गैरजमानती धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया था।Read Also: Delhi Water Supply: दिल्ली के दो दर्जन से ज्यादा इलाकों में पानी की दिक्कत, यमुना में प्रदूषण बढ़ने से सप्लाई प्रभावित
लोगों की भीड़ जमा
सोमवार को सिविल लाइंस पुलिस ने मुकेश सिद्धार्थ का मेडिकल कराया। उसके बाद फैंटम पर बैठाकर कोर्ट में ले गए, जहां पहले से लोगों की भीड़ जमा थी। भीड़ को देखते ही कचहरी में पुलिस बल बढ़ा दिया गया। कोर्ट से 16 जनवरी तक रिमांड मिलने के बाद पुलिस ने जेल भेज दिया।डीसीजी क्रिमिनल सर्वेश शर्मा ने बताया कि आरोपित के अधिवक्ता ने अंतिम जमानत प्रार्थना पत्र न्यायालय जिला जज के यहां डाला हुआ था, जिस पर अपर जिला जज कोर्ट संख्या एक ने सुनवाई करते हुए 16 जनवरी तक अंतरिम जमानत दे दी। परवाना अभी जेल तक नहीं पहुंचा था। तब डीजीसी क्रिमिनल ने न्यायालय को अवगत कराया कि आरोपित ने तथ्य को छुपाते हुए जमानत प्रार्थना पत्र डाला है, जबकि आरोपित जेल जा चुका है, जिस पर न्यायालय ने सुनवाई करते हुए अग्रिम जमानत को निरस्त कर दिया।
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