Swami Swaroopanand Saraswati: शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती जी का मेरठ से रहा विशेष लगाव, उनका आश्रम भी है यहां
Swami Swaroopanand Saraswati Passes away जगतगुरू शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी के निधन से लोगों में शोक की लहर है। मेरठ से उन्हें विशेष लगाव रहा। यहां के राज राजेश्वरी मंदिर की प्राण-प्रतिष्ठा उनके कर-कमलों से वर्ष 1990 में हुई थी।
मेरठ, जागरण संवाददाता। जगतगुरू शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी महाराज जी का मेरठ से विशेष लगाव रहा। सम्राट पैलेस स्थित राज राजेश्वरी मंदिर में उनका आश्रम है। मंदिर की स्थापना उन्हीं के कर कमलों से 1990 में हुई थी। रविवार को महाराज जी के देहांत से उनके अनुयायियों में शोक की लहर दौड़ पड़ी। स्वरूपानंद सरस्वती जी महाराज सम्राट पैलेस स्थित राज राजेश्वरी मंदिर में आते रहते थे। अंतिम बार वह अप्रैल 2021 में मेरठ आए थे। आश्रम के प्रभारी ब्रह्मचारी राधिकानंद जी ने बताया कि रविवार को बेहद दुखद सूचना मिली।
1990 में मंदिर की थी प्राण-प्रतिष्ठा
राज राजेश्वरी मंदिर के संस्थापक आनंद प्रकाश अग्रवाल ने बताया कि मंदिर की प्राण-प्रतिष्ठा जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी महाराज के कर कमलों से फरवरी 1990 में हुई थी। उनका स्मरण करते हुए आनंद प्रकाश ने बताया कि मंदिर के स्थापना कार्यक्रम के दौरान महाराज जी लगभग दस दिनों के लिए मंदिर में रूके थे। महाराज जी का स्वभाव विनम्र, मृदुल और सौम्य था। वह हमेशा सनातन धर्म को आगे बढ़ाने के लिए प्रेरित करते थे। लगभग 20 दिनों पूर्व उनकी फोन पर बात हुई थी। तब उन्होंने स्वास्थ्य बेहद खराब बताया था। महाराज जी का चले जाना अपूरणीय क्षति है।
महाराज जी के शिष्य रहे स्व. ईशदत्त शर्मा
ब्रहमप़ुरी निवासी संजय शर्मा ने बताया कि उनके पिता पंडित स्व. ईशदत्त शर्मा महाराज जी के शिष्य थे। उनके पिता सीएबी इंटर कालेज में प्रधानाचार्य रहे। बताया कि प्रत्येक वर्ष चतुर्मास होता है। उसी दौरान 1978 में जादूगर का बाग स्थित आश्रम में चातुर्मास के लिए दो माह रहे। उन्होंने बताया कि अंतिम बार 2004 में घर पर महाराज जी का आगमन हुआ था। संजय कहते हैं कि घर पर जब भी आए, तब उनसे आशीर्वाद मिला।
युगों-युगों तक याद रखा जाएगा उनका योगदान
भगवान परशुराम जयंती उत्सव समिति जादूगर का बाग के पूर्व अध्यक्ष राकेश गौड़ कहते हैं कि गुरु जी के निधन से सनातन धर्म के लोगों में शोक की लहर है। कहा कि हिंदू संस्कृति और हिंदू धर्म के मान बिंदुओं के लिए जो जागृति समाज के अंदर उत्पन्न की, वह अतुलनीय है। युगों-युगों तक सनातन धर्म के लोग महाराज जी को स्मरण रखेंगे।
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