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State Teacher Award 2021: नामी गिरामी प्ले स्कूल को आइना दिखता है मेरठ की पुष्पा यादव का प्राथमिक विद्यालय

Teachers Day 2022 मेरठ के रजपुरा प्राथमिक विद्यालय की प्रधानाध्यापिका पुष्पा यादव का चयन राज्य अध्यापक पुरस्कार के लिए हुआ है। देखने से लगता है कि इनका स्‍कूल सरकारी नहीं किसी प्रतिष्ठित एजूकेशन इंस्टीट्यूट का प्ले स्कूल है। स्‍कूल में करीब 200 बच्‍चे पढ़ते हैं।

By Prem Dutt BhattEdited By: Updated: Sat, 03 Sep 2022 02:30 PM (IST)
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Pushpa Yadav Meerut मेरठ की प्रधानाध्यापिका पुष्पा यादव को इस बार राज्य अध्यापक पुरस्कार मिलेगा।

मेरठ, जागरण संवाददाता। Teachers Day 2022 बेसिक शिक्षा के विद्यालयों के 75 शिक्षकों को राज्य अध्यापक पुरस्कार देने की घोषणा सरकार ने की है। मेरठ में रजपुरा स्थित प्राथमिक विद्यालय की प्रधानाध्यापिका पुष्पा यादव का नाम इस सूची शामिल है। हाल ही में उन्हें एडू लीडर्स का पुरस्कार भी मिला था।

कुछ इस तरह बना है स्‍कूल

रजपुरा प्राथमिक विद्यालय को देखते ही लगता है यह सरकारी नहीं किसी प्रतिष्ठित एजूकेशन इंस्टीट्यूट का प्ले स्कूल है। प्रांगण में रंगी पुती क्यारियों में खिले फूल, पढ़ाई के लिए प्रेरित करती दीवारों पर बनी पेंटिंग बरबस ही विद्यालय को पूरा घूमने पर विवश कर देती हैं। विद्यालय में लाइब्रेरी है। जिसमें दो हजार से अधिक पुस्तकें हैं, पुष्पा यादव ने बताया कि विद्यालय के समय में आसपास की उच्च कक्षाओं की लड़कियां भी इस पुस्तकालय का प्रयोग करती हैं।

प्रयासों से संवारा स्‍कूल को

बताया कि 13 वर्ष पहले जब कार्यभार संभाला था तब प्रांगण में लंबी लंबी घास खड़़ी थी। कमरों का फर्श टूटा था और छत टपकती थी। विद्यालय के कायाकल्प में सरकारी योगदान से कहीं अधिक उन्होंने अपने स्वयं के प्रयासों से संसाधन जुटाए और विद्यालय को संवारा। आज आसपास के लोग इस विद्यालय को देखने आते हैं। यहां के खुशनुमा माहौल को देखते हुए इसे हैप्पी स्कूल का नाम दिया है।

200 से अधिक बच्चे हैं

बच्चों के बैठने के लिए कुर्सी मेज हैं दीवारों पर टाइल्स लगे हैं। यही नहीं यहां पर समर कैंप का भी आयोजन होता है। फैंसी ड्रेस प्रतियोगिता में गरीब बच्चियों का प्रदर्शन देखते ही बनता है। जहां यह देखने को मिलता है कि प्राथमिक विद्यालयों बच्चे नहीं आते, यहां पर 200 से अधिक बच्चे पढ़ते हैं। खेलकूद को प्रोत्‍साहन देने के लिए उन्होंने खेल के सामानों की व्यवस्था की है और एक अलग कक्ष बनाया है।

पिता ने कही थी यह बात

बताया कि जब उन्होंने शिक्षिका के पेशे का चुनाव किया था उनके पिता ने कहा था इसे मात्र नौकरी मत समझना। गरीब बच्चों को हर वह सुविधा देने का प्रयास करना जो उच्च तबके के बच्चों को मिलती है। इसी सूत्र वाक्य को अपना कर कार्य कर रही हैं। उनके विद्यालय को स्वच्छता पुरस्कार भी मिला है।