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यूपी में शादियां कराने के भी छूटते हैं टेंडर, दुल्हन की साड़ी-कुकर और पाजेब आदि देना जरूरी

उत्तर प्रदेश में शादियां कराने के लिए टेंडर छोड़े जाते हैं। मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना के तहत मेरठ में 200 से अधिक युवतियों की शादियां होंगी। सरकार एक शादी पर 10 हजार रुपये खर्च करती है और शादी के बाद युवती के खाते में 35 हजार रुपये अलग से देती है। ठेकेदार को एक शादी में 10 हजार का सामान देना होता है।

By Sarvendra Pundir Edited By: Aysha Sheikh Updated: Fri, 11 Oct 2024 08:01 PM (IST)
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यूपी में शादियां कराने के भी छूटते हैं टेंडर - प्रतीकात्मक तस्वीर।

सर्वेंद्र पुंडीर, मेरठ। हाईवे, सड़कें, नाले, गैस पाइप लाइन आदि विकास के काम कराने के लिए टेंडर छूटना तो आप सभी ने सुना होगा और छूटते हुए देखा भी होगा, लेकिन क्या आपने कभी शादियां कराने का टेंडर छूटते हुए देखा या सुना है। जी हां, उत्तर प्रदेश में शादियां कराने के टेंडर छोड़े जाते हैं।

मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना के तहत अब मेरठ में टेंडर प्रक्रिया चल रही है। जल्द ही मेरठ में इस योजना के तहत 200 से अधिक युवतियों की शादियां होगी। जिला समाज कल्याण विभाग में इसकी तैयारी चल रही है। टेंडर लेने वाले ठेकेदार को एक शादी में 10 हजार रुपये खर्च करने होते हैं। यह रकम ठेकेदार को प्रदेश सरकार देती है। इस साल प्रदेश सरकार ने सामूलिक विवाह कराने के लिए 12 नवंबर से शुभ मुर्हुत निकाले हैं।

शादी के बाद भी युवती को मिलते हैं 35 हजार

जिला समाज कल्याण अधिकारी सुनील कुमार सिंह ने बताया कि प्रदेश सरकार एक शादी पर 10 हजार रुपये खर्च करती है। इसके अलावा शादी होने के बाद युवती के खाते में 35 हजार रुपये अलग से देती है। शादियों का टेंडर लेने वाले ठेकेदार को एक शादी में 10 हजार का सामान देना होता है। सामान की क्वालिटी यदि खराब निकलती है तो ठेकेदार के खिलाफ एफआइआर तक दर्ज कराई जा सकती है। योजना के तहत एक बार में 200 से अधिक शादियां कराई जाती है।

ठेकेदार को यह सामान खरीदकर होता है देना

एक शादी में मौके पर ठेकेदार को 10 हजार रुपये में दुल्हन की साड़ी, दुल्हे का पेंट शर्ट का जोड़ा, एक कुकर, एक मग, 30 ग्राम की एक जोड़ी चांदी की पायल, एक जोड़ी चांदी के बिछुए समेत अन्य सामान देना होता है। मेहमानों की मिलाई भी देनी होती है। इन शादियों में आने वाले मेहमान के ठहरने की व्यवस्था, खाने की व्यवस्था, पंडाल की व्यवस्था, पंडित, मौलवी की व्यवस्था करने की जिम्मेदारी सरकार की होती है।

ई-टेंडर के जरिए कर सकते हैं आवेदन, यह होता है लाभ

जिला समाज कल्याण अधिकारी ने बताया कि योजना के तहत टेंडर लेने वाला ठेकेदार ई-टेंडर के जरिए यह शादी कराने का ठेका ले सकता है। ठेका लेने वाले ठेकेदार इसलिए ठेका लेते हैं, क्योंकि वह 200 शादियों का सामान एकसाथ खरीदते हैं और अच्छी क्वालिटी का सामान उन्हें सस्ता मिल जाता है। यदि वह एक शादी में एक हजार रुपये भी बचा लेते हैं तो उन्हें 200 शादियां कराने में पांच लाख रुपये बच जाते हैं। इसलिए टेंडर लेने वालों की भीड़ लगती है।

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