Bangladesh Crisis: बांग्लादेश में तख्तापलट से भारत में सहमे व्यापारी, समझिए दिल्ली से लेकर ढाका तक पूरी चेन
बांग्लादेश में तख्तापलट होने का यूपी के व्यापार पर असर पड़ सकता है जिसकी वजह से व्यापारी चिंतित हैं। हर दिन औसतन पांच से सात माल भरे ट्रक दिल्ली से वाया कोलकाता होते हुए ढाका रवाना होते हैं। साथ ही वहां से मेरठ के लिए पुराने कपड़े आते हैं जिससे यहां पर धागा तैयार होता है। बॉर्डर बंद होने से ट्रक नहीं आ पा रहे हैं।
इनका कहना
मेरठ से स्पोर्ट्स, केमिकल, कपड़ा, दवाएं आदि बंग्लादेश के लिए निर्यात होता है। निर्यात का सामान पहले दिल्ली होते हुए कोलकाता भेजा जाता है। इसके बाद ढाका के लिए ट्रक रवाना होते हैं। जनपद से हर दिन औसतन पांच से सात ट्रक माल बांग्लादेश भेजा जाता है। अब माल बार्डर पर फंस गया है। कुछ ट्रकों के बांग्लादेश में फंसे होने की भी सूचना मिल रही है। -गौरव शर्मा, अध्यक्ष, मेरठ ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन
मेरठ से बांग्लादेश के लिए प्रतिदिन 30 लाख की चादरें और बेडशीट सप्लाई होती है। मेरठ में बने माल की पड़ोसी देश में अच्छी मांग है और लगातार निर्यात भी बढ़ रहा है। अब वहां शुरू हुई हिंसा के कारण पूर्व में मिले आर्डर निरस्त हो रहे हैं। आने वाले दिनों में इसका प्रभाव मेरठ के कारोबार पर भी नजर आएगा। -नवीन अरोड़ा, पूर्व प्रधान, मेरठ हैंडलूम व्यापारी संघ खंदक बाजार
बांग्लादेश के लिए सीधे स्पोर्ट्स उत्पाद का निर्यात कम है। विभिन्न एजेंसियों के माध्यमों से वहां सामान भेजा जाता है। हमारा मानना है कि हिंसा का असर यहां पर कुछ दिन बाद स्पष्ट होगा। यहां के उद्यमी बांग्लादेश सीधे माल नहीं भेजते, इसलिए तत्काल असर नहीं हो रहा है। मेरी ही कंपनी से कुछ उत्पाद बांग्लादेश जाता है, वह भी डीलर के माध्यम से। -निपुण जैन, अध्यक्ष, परतापुर इंडस्ट्रियल एस्टेट मैन्युफैक्चरिंग एसोसिएशन
बांग्लादेश से सीधे तौर पर आयात-निर्यात मामूली है, इसलिए बार्डर बंद होने का असर मेरठ तक पहुंचने में कुछ दिन लग सकते हैं। बांग्लादेश से जो भी सामान आता है उसके बहुत विकल्प हैं। मेरी ही कंपनी में कुछ सामान बांग्लादेश से आता है, लेकिन संबंधित डीलर ने अब बांग्लादेश के बजाय दूसरे देश का माल दिया है। ऐसा ही अधिकांश कंपनियों के साथ है। -तनुज गुप्ता, अध्यक्ष, आइआइए मेरठ
ये भी पढ़ें -बांग्लादेश से पुराने कपड़े आते हैं, उससे मेरठ और सरधना में कुछ लोग धागा तैयार करते हैं। कुछ मशीनरी का भी आदान-प्रदान होता है, अभी तत्काल किसी के नुकसान की जानकारी मिली है। कुछ दिन बाद असर दिखाई पड़ सकता है। - राजीव मित्तल, अध्यक्ष, बागपत रोड इंडस्ट्रीज एसोसिएशन