खिलौना उद्योग में यूपी के इस शहर का बोलबाला, यहां के खेल उत्पादों की दुनिया कायल; बस विशेष निर्यात प्रोत्साहन की कमी
भारत में खेल सामान उद्योग की शुरूआत पाकिस्तान से आये कुछ परिवारों ने जालंधर और मेरठ जैसे शहरों से की। हालांकि 75 वर्ष बीत जाने के बावजूद अभी तक ना तो यहां विश्वस्तरीय इंफ्रास्ट्रक्चर स्थापित हो पाया और ना ही इस उद्योग को कोई खास वित्तीय प्रोत्साहन पैकेज ही मिला है। मेरठ की कंपनियों की सबसे बड़ी मांग इस क्षेत्र में एक समर्पित विशेष आर्थिक क्षेत्र के निर्माण की है।
प्रवीण द्विवेदी, मेरठ। खेल उत्पाद बनाने वाला देश का घरेलू उद्योग एक जबरदस्त दौर में प्रवेश कर चुका है। देश की आबादी में युवा वर्ग की बढ़ती संख्या, खेल व मनोरंजन पर खर्च करने की इच्छाशक्ति और आम जनता की बढ़ती आय, तीन ऐसे कारक हैं जो खेल उद्योग के सुनहरे भविष्य की जमीन तैयार कर रहे हैं।
खेल उद्योग में मेरठ और जालंधर उल्लेखनीय
हाल में प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक भारतीय खेल उद्योग का आकार वर्ष 2023 में 5.1 अरब डॉलर का था जो वर्ष 2032 तक 10 अरब डॉलर को पार कर जाएगा। खेल उद्योग में देश के जिन शहरों की खास पहचान है उसमें मेरठ और जालंधर खास तौर पर उल्लेखनीय है।
क्रिकेट विश्व कप में रनों का अंबार खड़ा करते हुए बल्ले हों या आग उगलती गेंदें या खेलों के महाकुंभ ओलंपिक में फेंका जाने वाले डिस्कस व हैमर हों या टेबल टेनिस वर्ल्ड चैंपियनशिप में इस्तेमाल किये जाने वाले रैकेट हों, ये सारे उत्पाद मेरठ में खेल समान बनाने वाले उद्यमियों की उद्यमिता और इनके साथ काम करने वाले कारीगरों की कुशल कारीगरी के प्रमाण हैं।
भारत के इन छोटे शहरों के खेल उत्पादों के दुनिया कायल
भारत में खेल सामान उद्योग की शुरूआत पाकिस्तान से आये कुछ परिवारों ने जालंधर और मेरठ जैसे शहरों से की। हालांकि 75 वर्ष बीत जाने के बावजूद अभी तक ना तो यहां विश्वस्तरीय इंफ्रास्ट्रक्चर स्थापित हो पाया है और ना ही इस उद्योग को कोई खास वित्तीय प्रोत्साहन पैकेज ही मिला है। इसके बावजूद भारत के इन छोटे शहरों में निर्मित खेल उत्पादों की दुनिया कायल होती जा रही है।
जब केंद्र सरकार घरेलू उद्यमियों को आत्मनिर्भर भारत के नारे को आत्मसात करने को कह रही है तब इस उद्योग से जुड़े उद्यमियों को भी उम्मीद है कि 23 जुलाई, 2024 को पेश किया जाना वाला आम बजट उन्हें वैश्विक प्रतिस्पर्धा में आगे बढ़ाने के लिए कुछ खास इतंजाम करेगा।
दस लाख लोगों को रोजगार देने की क्षमता रखता है भारत
मैकेंजी की एक रिपोर्ट कहती है कि यह उद्योग वर्ष 2030 तक भारत में दस लाख लोगों को रोजगार देने की क्षमता रखता है। खेल सामान उद्योग के साथ ही स्पोर्ट्स अपैरल्स (खेलों में पहने जाने वालों कपड़ों) को एक साथ प्रोत्साहित करने के लिए अगर राज्य सरकार मदद करे तो यहां रोजगार की संभावनाएं और बढ जाएंगी।
सबसे पहले बनें स्पेशल इकॉनोमी जोनजांलधर और मेरठ ने पिछले वर्ष संयुक्त तौर पर 2100 करोड़ रुपये के खेल सामग्रियों का निर्यात किया है।मेरठ की कंपनियों की सबसे बड़ी मांग इस क्षेत्र में एक समर्पित विशेष आर्थिक क्षेत्र के निर्माण की है। सिर्फ मेक इन इंडिया योजना पर्याप्त नहीं है। इससे यहां उद्योग का आकार बढ़ेगा जो राज्य सरकार को ज्यादा राजस्व देगा और क्षेत्र में रोजगार के नये अवसर भी पैदा करेगा। यहां 10,000 छोटी व बड़ी कंपनियां हैं जो सीधे या परोक्ष तौर पर 2.50 लाख रोजगार के अवसर पैदा कर रहे हैं।
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