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Baghpat Daroga Intesar Ali Case: सहारनपुर के उलेमा बोले- दाढ़ी न कटवाते दरोगा जी, भले ही छोड़ देते नौकरी

यूपी के बागपत जिले में तैनात दारोगा इंतसार अली के दाढ़ी कटवाने को लेकर सहारनपुर स्थित देवबंद दारुल उलूम के उलेमा ने दाढ़ी कटवाने को इस्‍लाम के खिलाफ बताया है। उलेमा का कहना है कि दाढ़ी के लिए दारोगा साहब को नौकरी छोड़ देनी चाहिए थी।

By Prem BhattEdited By: Updated: Mon, 26 Oct 2020 10:10 PM (IST)
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बागपत में दाढ़ी कटवाने पर देवबंद के उलेमा का बयान।
सहारनपुर, जेएनएन। दाढ़ी न कटवाने को लेकर उत्‍तर प्रदेश के बागपत जिले में तैनात दारोगा इंतसार अली को निलंबित किया गया था। जिसके बाद दारोगा ने दाढ़ी कटवाकर फिर नौकरी पर पहुंच गए थे। अब इस पर सहारनपुर स्थित देवबंद दारुल उलूम के एक उलेमा ने दाढ़ी कटवाने को इस्‍लाम के खिलाफ बताया है। उलेमा का कहना है कि दाढ़ी के लिए दारोगा साहब को नौकरी छोड़ देनी चाहिए थी। इसी बात को लेकर अब दाढ़ी पर विवाद और गहरा होता दिख रहा है।

जहां पहले उलमा दाढ़ी न कटवाने पर शरीयत का पाबंद बता इंतसार अली पर बधाइयां न्योछावर कर रहे थे वहीं, अब दाढ़ी कटवाने के बाद अब दरोगा इंतसार उलमा के निशाने पर आ गए है। उलमा ने कहा है कि यह शरीयत में बड़ा जुर्म है। लिहाजा दरोगा जी को दाढ़ी न कटवा कर नौकरी छोड़ देनी चाहिए थी। बागपत में तैनात सब इंस्पेक्टर इंतसार अली को बिना अनुमति लंबी दाढ़ी रखने के आरोप में पुलिस अधीक्षक ने निलंबित करते हुए पुलिस लाइन भेज दिया था। जिसके बाद दरोगा ने दाढ़ी कटवा दी थी। दाढ़ी कटवाने के बाद एसपी ने दरोगा इंतसार अली को बहाल कर दिया था।

मदरसा जामिया फातिमा जोहरा एंग्लो अरेबिक के मोहतमिम मौलाना लुत्फुर्रह्मान सादिक कासमी ने इंतशार अली को दाढ़ी कटवाने पर नसीहत देते हुए कहा कि दाढ़ी ना रखना शरीयत के हिसाब से जुर्म है और दाढ़ी रख कर कटवा देना, उससे भी बड़ा जुर्म है। लिहाजा दाढ़ी कटवाकर नौकरी को तवज्जो देना या अपने कारोबार को तवज्जो देना गलत है। अगर कहीं इस तरह की विकट परिस्थिति आ जाये तो दाढ़ी नहीं बल्कि नौकरी छोड़ देनी चाहिए।

वहीं, फतवा ऑनलाइन के प्रभारी मुफ्ती अरशद फारूकी का कहना है कि देश के बुनियादी दस्तूर के मुताबिक यहां रहने वाले लोगों को अपने मजहब के अनुसार जीवन यापन करने की आजादी है। जहां तक पुलिस महकमे की बात है तो बकौल दरोगा इंतसार उन्होंने बड़े अधिकारियों से दाढ़ी रखने की अनुमति मांगी, जो कि उन्हें नहीं दी गई। ऐसे मामलों में मुसलमानों को जज्बात में न आकर कानून और अदालत का सहारा लेना चाहिए। मुस्लिम वकीलों को इस तरह के मामले में अदालत जाना चाहिए। वहीं, मुफ्ती फारूकी ने कहा कि दरोगा इंतसार अली को इतनी जल्दी घबराकर दाढ़ी नहीं कटवानी चाहिए थी। बल्कि इस पूरे मामले में मुस्तैदी के साथ डटे रहना चाहिए था।  

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