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Meerut News: 22 अक्टूबर की हड़ताल अवैध, समर्थन करने वालों पर होगी कार्रवाई

उत्तर प्रदेश बार काउंसिल के चेयरमैन शिव किशोर गौड़ ने मेरठ में आयोजित अधिवक्ता महाधिवेशन में लिए गए 22 अक्टूबर को न्यायिक कार्य से विरत रहने के प्रस्ताव को असंवैधानिक करार दिया है। उन्होंने कहा है कि इस प्रस्ताव का क्रियान्वयन नहीं किया जाएगा और इसका समर्थन करने वाले बार पदाधिकारियों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी। बार काउंसिल ने ऐसा कोई निर्णय नहीं लिया है।

By anuj sharma Edited By: Aysha Sheikh Updated: Sat, 19 Oct 2024 07:55 PM (IST)
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22 अक्टूबर की हड़ताल अवैध, समर्थन करने वालों पर होगी कार्रवाई - प्रतीकात्मक तस्वीर।
जागरण संवाददाता, मेरठ। एक दिन पहले शुक्रवार को मेरठ में जिला बार एसोसिएशन द्वारा आयोजित प्रदेश की सभी बार के पदाधिकारियों और अधिवक्ता महाधिवेशन तथा उसमें लिए गए 22 अक्टूबर को पूरे प्रदेश में न्यायिक कार्य से विरत रहने के प्रस्ताव को उत्तर प्रदेश बार काउंसिल चेयरमैन ने असंवैधानिक करार दे दिया है। उन्होंने कहा है कि 22 अक्टूबर के कार्य बहिष्कार का क्रियान्वयन नहीं किया जाएगा।

इसका समर्थन करने वाले बार पदाधिकारियों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी। बार काउंसिल ने ऐसा कोई निर्णय नहीं लिया है। उन्होंने आदेश दिया है कि भविष्य में होने वाले ऐसे किसी कार्यक्रम में बार पदाधिकारी शामिल नहीं होंगे। आशंका जताई है कि यह बार काउंसिल के समानांतर संस्था बनाने का असंवैधानिक प्रयास किया जा रहा है।

जिला बार एसोसिएशन मेरठ द्वारा 18 अक्टूबर शुक्रवार को प्रदेश के सभी बार के पदाधिकारियों का महाधिवेशन आयोजित करके 23 प्रस्ताव पास किए थे। जिसमें 22 अक्टूबर को प्रदेश की सभी बार द्वारा न्यायिक कार्यों से विरत रहने, मानव श्रृंखला बनाने तथा अधिवक्ता समस्याओं को पुरजोर तरीके से उठाने के लिए

संयुक्त बार एसोसिएशन आफ उत्तर प्रदेश का गठन करने की घोषणा की थी। इस कार्यक्रम और उसमें लिए गए निर्णयों पर शनिवार को उत्तर प्रदेश बार काउंसिल चेयरमैन शिव किशोर गौड ने आपत्ति जताते हुए सभी बार अध्यक्ष और मंत्री को पत्र जारी किया है। पत्र में उन्होंने लिखा है कि 22 अक्टूबर के कार्य बहिष्कार के प्रस्ताव का क्रियान्वयन नहीं किया जाएगा। इसका समर्थन करने वाले अधिवक्ता और बार संघों के पदाधिकारियों के विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई भी अमल में लाई जाएगी।

बार काउंसिल की ओर से कार्य से विरत रहने का कोई निर्णय नहीं लिया गया है। उन्होंने आदेशित किया है कि भविष्य में ऐसे किसी कार्यक्रम में किसी भी बार संघ के पदाधिकारी शामिल नहीं होंगे। ऐसा करने वालों पर बार काउंसिल को कठोर कदम उठाने पड़ेंगे। पत्र में उन्होंने आशंका जताई है कि यह घोषणा बार काउंसिल आफ उत्तर प्रदेश के समानांतर संस्था बनाने का असंवैधानिक प्रयास है। अंतिम चरण में है एडवोकेट्स प्रोटेक्शन एक्ट की कार्यवाही

चेयरमैन ने पत्र में बताया है कि एडवोकेट्स प्रोटेक्शन एक्ट का प्रारूप बार काउंसिल द्वारा तीन माह पूर्व बनाकर दिया जा चुका है। जिसे सरकार द्वारा गठित हाईपावर कमेटी ने भी स्वीकृत करके ला कमीशन को भेजा है। वहां से स्वीकृत होते ही सरकार इसे लागू करेगी।

काउंसिल कर रही है अधिवक्ता हित के काम

बार काउंसिल चेयरमैन शिव किशोर गौड ने मोबाइल पर बातचीत में कहा कि बार काउंसिल के सदस्य पद के कुछ प्रत्याशी काउंसिल के समानांतर संस्था बनाने का असंवैधानिक प्रयास कर रहे हैं। वे काउंसिल की अनुमति के बिना ऐसे आयोजन कर रहे हैं जो असंवैधानिक हैं।

सभी बार उ.प्र. बार काउंसिल एक्ट 1961 के तहत काम करती हैं। हड़ताल करना प्रत्येक समस्या का समाधान नहीं है। 99 फीसद अधिवक्ता काम करना चाहते हैं। केवल 200 लोग प्रदेश के अधिवक्ताओं का भविष्य निर्धारित नहीं कर सकते हैं। बार अधिवक्ता हितों में काफी प्रयास काम कर चुकी है। इस आदेश के संबंध में शुक्रवार साम को काउंसिल के सभी सदस्यों के साथ वर्चुअल बैठक करके सहमति ली जा चुकी है।

आयोजक और बार पदाधिकारियों की रात 9 बजे वर्चुअल बैठक

अधिवक्ता महाधिवेशन की आयोजक जिला बार एसोसिएशन के महामंत्री आनंद कश्यप ने बताया कि बार काउंसिल चेयरमैन के पत्र को लेकर रात 9 बजे से सम्मेलन में शामिल रहने वाले सभी बार पदाधिकारियों की वर्चुअल बैठक बुलाई गई है। उसी में चर्चा करके इस संबंध में निर्णय लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि यह आदेश राजनीति के तहत है। मेरठ बार के अध्यक्ष काउंसिल के सदस्य हैं। सम्मेलन से वे प्रभावित हुए हैं। जिलों की बार यूपी बार काउंसिल से निर्देशित नहीं होती हैं।

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