Election 2022 Analysis: मुजफ्फरनगर के मीरापुर में मुस्लिम के साथ जाट और गुर्जरों के तालमेल से हुई जीत
up election result 2022 Muzaffarnagar मुजफ्फरनगर के मीरापुर ने बाहरी को नकारा गठबंधन का झंडा बुलंद। गठबंधन के प्रत्याशी चंदन चौहान ने भाजपा उम्मीदवार को हराया। मुस्लिम के साथ जाट और गुर्जरों के तालमेल से हुई जीत।
By Taruna TayalEdited By: Updated: Mon, 14 Mar 2022 08:37 PM (IST)
मुजफ्फरनगर, जागरण संवाददाता। UP Assembly Election Result 2022 मीरापुर की जनता ने इस बार बाहरी प्रत्याशी को नकार दिया, जबकि स्थानीय नेता को तरजीह दी है। गठबंधन से रालोद प्रत्याशी चंदन चौहान ने भाजपा के प्रशांत चौधरी को पराजित कर जीत का स्वाद चखा है। इस बार चंदन चौहान अपनी सियासी विरासत को बचाने में कामयाब रहे हैं। उनकी जीत का आधार मुस्लिम मतदाता के साथ जाट-गुर्जर के तालमेल से बना है। कहीं-कहीं अनुसूचित और पिछड़ी जातियों ने गठबंधन का साथ दिया है। इससे जीत की आसान होती चली गई। मीरापुर के लोगों ने इस बाहरी प्रत्याशी उतारने के कारण भाजपा से किनारा कर लिया। जीत के बाद बाहरी क्षेत्र में नहीं पहुंचता है। यह भी विशेष पहलू नजर आया है।
उम्मीद से कम बिखरा मुस्लिम मतदाता, जाट भी जुड़े मीरापुर विधानसभा सीट पर मुस्लिम मतदाताओं में जिस अनुमान के साथ बिखराव की उम्मीद थी, वह चौकाने वाले आए परिणाम ने झूठी साबित कर दी। यहां बसपा से पूर्व विधायक मौलाना जमील, कांग्रेस से मोहम्मद सालिम कुरैशी भी धर्म के साथ भावनात्मक रूप से मुस्लिम मतदाताओं में सेंधमारी करने में नाकाम हो गए। यह भी गठबंधन के लिए लाभदायक हुआ। परिणाम की तस्वीर देखें तो मुस्लिम बहुल गांवों में गठबंधन के नल को बढ़त है, जबकि यहां बसपा, कांग्रेस को पूरी तरह से नकारा गया है। चंदन चौहान ने तेवड़ा, जौली, संभलहेड़ा, सिकंदपुर, मुझेड़ा सादात, बेहड़ा, अस्सा, ककरौली आदि गांवों में गठबंधन को प्रदर्शन बेहतर रहा है। इसके अलावा भूम्मा, कासमपुर खोला, तिसंग, जड़वड़ कटिया में गुर्जर, जाट ने भी चंदन को वोट किया। जिस कारण यहां जीत के समीकरण बदल गए। मीरापुर विधानसभा सीट पर एक लाख से अधिक मुस्लिम मतदाता है, जबकि 50 हजार से अधिक अनुसूचित है। इसी तरह से जाट 24 हजार और गुर्जर 18 हजार हैं। चंदन को इन दोनों जातियों से 50 प्रतिशत मत मिले है। कहीं-कहीं अनुसूचित मतदाताओं का भी गठबंधन की तरफ झुकाव रहा है। ऐसे में यह जीत का मुख्य आधार बने है। शहरी क्षेत्र और ककरौली, भोकरहेड़ी बेल्ट में गठबंधन की जीत में मुख्य भूमिका निभाने में अग्रणी रहे है।
स्थानीय प्रत्याशी नहीं होने बढ़ी मुश्किलें भाजपा के लिए मीरापुर में स्थानीय प्रत्याशी नहीं उतारने का निर्णय नुकसानदायक साबित हुआ है। प्रशांत चौधरी के पास राजनीतिक अनुभव था, लेकिन मतदाताओं के दिल में जगह बनाने में वह चूक गए। कैडर वोट के अलावा गुर्जर, जाट समाज ने उन्हें उम्मीद से कम वोट किया। सबसे बड़ी समस्या पूर्व विधायक अवतार सिंह भड़ाना को लेकर रही है, वह जीतने के बाद यहां कभी कदम नहीं रख पाए। ऐसे में सियासी पटल पर मीरापुर ने स्वयं को ठगा सा महसूस किया। इसी का नतीजा है कि मतदाताओं ने बाहरी प्रत्याशी को जिताने का दाग अपने माथे से चंदन को जिताकर धोया है।
सियासी परिवार से हैं चंदन गठबंधन प्रत्याशी चंदन चौहान राजनीति परिवार से ताल्लुक रखते है। उनके दादा बाबु नारायण सिंह चौहान उपमुख्यमंत्री रहे हैं, जबकि पिता संजय चौहान सांसद रह चुके है। वह सियासी गुण उन्हें विरासत में मिले है। इसका चुनाव में उन्होंने लाभ उठाने में कसर नहीं छोड़ी है।
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