पहले चरण की आठ सीटों पर किसका राज, बदले साथी की रणनीति कितनी आई काम? मुजफ्फरनगर-नगीना पर टिकी नजरें
UP Lok Sabha Election 2024 Result 2019 की तुलना में इस बार पश्चिमी उत्तर प्रदेश का चुनाव कुछ अलहदा था। चूंकि प्रदेश की राजनीति का सूरज पश्चिम से उगता है लिहाजा सत्ता पक्ष-विपक्ष दोनों ने पहले चरण से ही पूरी ताकत झोंक दी। इस बार प्रथम चरण की जिन आठ सीटों सहारनपुर कैराना मुजफ्फरनगर बिजनौर नगीना मुरादाबाद रामपुर और पीलीभीत में मतदान हुआ।
रवि प्रकाश तिवारी, मेरठ। 2019 और फिर 2024 का लोकसभा चुनाव। इस पांच साल में साथी बदले और समीकरण भी। सपा-बसपा का साथ छूटा तो रालोद के नल ने पश्चिमी उप्र के दोआब में कमल को खूब सींचा। संघर्ष कर रही कांग्रेस ने साइकिल के सहारे पहले चरण से ही खाता खोलने की उम्मीद बांधी, वह भी प्रदेश की नंबर एक सीट सहारनपुर से। ध्रुवीकरण के लिए पहचानी जाने वाली इस धरती पर इस बार जातियों का शोर ज्यादा रहा। मंचों से लेकर बूथ तक मुखर विरोध।
भाजपा के खिलाफ राजपूत संगठनों का एलानिया विरोध, सैनी समाज की नाराजगी और खासकर पिछली बार के सांसदों के खिलाफ स्वर खूब गूंजे। सैनी मतों को साधने के लिए हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी चार बार आए। पूर्व मंत्री धर्म सिंह सैनी को पुन: भाजपा में एंट्री देनी पड़ी। इस क्षेत्र में मुस्लिम मतदाताओं की एकजुटता स्पष्ट झलकी। अपने पक्ष में मुस्लिम मतदाताओं की गोलबंदी को भांपते हुए अखिलेश यादव ने मुजफ्फरनगर और मुरादाबाद सीट पर भी मुस्लिम की जगह हिंदू प्रत्याशी उतारा।
2019 की तुलना में इस बार पश्चिमी उत्तर प्रदेश का चुनाव कुछ अलहदा था। चूंकि प्रदेश की राजनीति का सूरज पश्चिम से उगता है, लिहाजा सत्ता पक्ष-विपक्ष दोनों ने पहले चरण से ही पूरी ताकत झोंक दी। इस बार प्रथम चरण की जिन आठ सीटों सहारनपुर, कैराना, मुजफ्फरनगर, बिजनौर, नगीना, मुरादाबाद, रामपुर और पीलीभीत में मतदान हुआ, 2019 में इनमें से पांच में सपा-बसपा गठबंधन ने जीत दर्ज की थी। सहारनपुर, बिजनौर और नगीना बसपा के खाते में थी जबकि रामपुर और मुरादाबाद सपा ने जीती थी।
कैराना, मुजफ्फरनगर व पीलीभीत में कमल खिला था। प्रदेश की लोकसभा सीट नंबर-एक सहारनपुर में कांग्रेस का पश्चिमी उप्र में चेहरा रहे इमरान मसूद को इस बार सपा से गठबंधन का भरपूर सहारा मिला। इमरान अपने निजी वोट बैंक के साथ मुस्लिम मतों की एकजुटता से भाजपा के 2014 के सांसद राघव लखनपाल के लिए बड़ी चुनौती खड़ी करते दिखे हैं।मुजफ्फरनगर में केंद्रीय मंत्री डा. संजीव बालियान के खिलाफ राजपूतों की महापंचायत ने विपक्ष को खूब माहौल दिया। बसपा ने भी दारा सिंह प्रजापति को उतारकर भाजपा के ओबीसी वोट बैंक में सेंधमारी का प्रयास किया। कैराना में विदेश से पढ़कर लौटीं सपा की युवा इकरा हसन की चर्चा पिछली बार 92 हजार से जीतने वाले भाजपा के प्रदीप चौधरी से ज्यादा रही।
यहां राजपूतों का विरोध और सैनी समाज की नाराजगी के साथ ही भितरघात की आशंका ने भी प्रदीप को बेचैन किया। इंडी गठबंधन से तवज्जो न मिलने से नाराज दलित नेता के रूप में उभरे चंद्रशेखर ने बिजनौर की नगीना सीट पर मजबूत चुनाव लड़ा। यहां वह सपा के लिए बड़ी चुनौती बने जबकि बिजनौर में रालोद और भाजपा के गठबंधन ने चंदन चौहान के लिए अनुकूल माहौल बनाया।
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