UP Politics: सीटों के गणित में उलझा RLD का भाईचारा सम्मेलन, जयंत के साथ ही चढ़ा यूपी का सियासी पारा
UP Politics चुनावी जमीन तैयार करने में जुटे रालोद अध्यक्ष जयंत चौधरी ने अचानक मेरठ का भाईचारा सम्मेलन स्थगित कर नई चर्चा को हवा दे दी। बेशक इसकी वजह उन्होंने बुखार बताया लेकिन कयासों का पारा चढ़ गया है। राजनीतिक पंडितों का आकलन है कि आइएनडीआइए गठबंधन पर ज्यादा सीटों का दबाव बनाने के लिए छोटे चौधरी की बड़ी रणनीति है।
ओम बाजपेयी, मेरठ : चुनावी जमीन तैयार करने में जुटे रालोद अध्यक्ष जयंत चौधरी ने अचानक मेरठ का भाईचारा सम्मेलन स्थगित कर नई चर्चा को हवा दे दी। बेशक इसकी वजह उन्होंने बुखार बताया, लेकिन कयासों का पारा चढ़ गया है।
राजनीतिक पंडितों का आकलन है कि आइएनडीआइए गठबंधन पर ज्यादा सीटों का दबाव बनाने के लिए छोटे चौधरी की बड़ी रणनीति है। इस बहाने छोटे चौधरी अपने लिए विकल्प खुले होने का भी संदेश दे सकते हैं।
ज्यादा सीटों पर छोटे चौधरी की नजर
जयंत चौधरी पश्चिमी उप्र में मजबूती से उभरे हैं। 2022 में सपा के साथ मिलकर चुनाव लड़े और आठ विधायक सदन में पहुंचाने में सफल हुए। पांच दिसंबर 2022 को खतौली विधासनसभा उपचुनाव में रालोद ने बड़ी जीत दर्ज कर भाजपा को बैकफुट पर पहुंचा दिया।
पिछले दिनों बिहार के सीएम नीतीश ने पटना में कांग्रेस समेत सभी विरोधी दलों की बैठक बुलाई, जिसमें जयंत नहीं पहुंचे थे। बाद में बेंगलुरु की बैठक में छोटे चौधरी गए, लेकिन अविश्वास प्रस्ताव के दौरान सदन से अनुपस्थित रहकर फिर चौंका दिया। इस बीच रालोद के एनडीए के साथ जाने की अटकलें भी उठती रहीं।
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31 अगस्त और एक सितंबर को मुंबई में हुई आइएनडीआइए की बैठक में जयंत तीन दिन रुके। बताया जा रहा है कि उन्होंने शरद पवार और संजय राउत के साथ मीटिंग कर यूपी में गठबंधन पर दबाव बढ़ाने का दांव चला, ताकि ज्यादा सीटें मिलें।
विधानसभा चुनाव में चूके थे, अब सतर्क हैं जयंत
आइएनडीआइए में उत्तर प्रदेश की सीटों को लेकर मंथन चल रहा है। सपा को 45 से 50 जबकि कांग्रेस को 15 से 20 सीटें देने की बात चली है। नीतीश कुमार ने भी कुर्मी बाहुल्य क्षेत्र में एक से दो सीट मांगी है।
रालोद महासचिव त्रिलोक त्यागी ने पिछले दिनों 12 से 15 सीटों पर दावा जड़ा था। 2022 विधानसभा चुनाव में सपा के साथ गठबंधन में रालोद को नई सीटों पर नीम चबाना पड़ा। वैसी स्थिति जयंत लोकसभा चुनावों में नहीं चाहेंगे।
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गत विधानसभा चुनाव में रालोद को अपनी मजबूत सीट सिवालखास पर सपा के गुलाम मोहम्मद को लड़ाना पड़ा। इसके बदले में रालोद को मेरठ की सीट दी गई। सिवालखास में वर्षों से चुनाव लड़ने का सपना देख रहे कार्यकर्ता मायूस हो गए थे।
मुजफ्फरनगर और मथुरा में भी उम्मीदवारों के चयन को लेकर रालोद को विरोध का सामना करना पड़ा। स्थिति संभालने के लिए जयंत और उनकी पत्नी चारु को कार्यकर्ताओं के बीच आना पड़ा।
सम्मेलन निरस्त या स्थगित
इस कयास को इसलिए भी बल मिला है कि रालोद द्वारा जारी सूचना में भाईचारा सम्मेलन को निरस्त करने की बात कही गई है। इसका तात्पर्य है कि अब सम्मेलन नहीं होगा। तबीयत खराब होने के कारण सम्मेलन स्थगित होना चाहिए।
इस बारे में जब जिला अध्यक्ष मतलूब गौड़ से पूछा गया तो उन्होंने कहा आलाकमान से आई सूचना को उन्होंने अवगत कराया है। फिलहाल सम्मेलन बाद में अवश्य होगा।