UP Politics: सीटों के गणित में उलझा RLD का भाईचारा सम्मेलन, जयंत के साथ ही चढ़ा यूपी का सियासी पारा
UP Politics चुनावी जमीन तैयार करने में जुटे रालोद अध्यक्ष जयंत चौधरी ने अचानक मेरठ का भाईचारा सम्मेलन स्थगित कर नई चर्चा को हवा दे दी। बेशक इसकी वजह उन्होंने बुखार बताया लेकिन कयासों का पारा चढ़ गया है। राजनीतिक पंडितों का आकलन है कि आइएनडीआइए गठबंधन पर ज्यादा सीटों का दबाव बनाने के लिए छोटे चौधरी की बड़ी रणनीति है।
By Jagran NewsEdited By: Abhishek PandeyUpdated: Tue, 19 Sep 2023 03:56 PM (IST)
ओम बाजपेयी, मेरठ : चुनावी जमीन तैयार करने में जुटे रालोद अध्यक्ष जयंत चौधरी ने अचानक मेरठ का भाईचारा सम्मेलन स्थगित कर नई चर्चा को हवा दे दी। बेशक इसकी वजह उन्होंने बुखार बताया, लेकिन कयासों का पारा चढ़ गया है।
राजनीतिक पंडितों का आकलन है कि आइएनडीआइए गठबंधन पर ज्यादा सीटों का दबाव बनाने के लिए छोटे चौधरी की बड़ी रणनीति है। इस बहाने छोटे चौधरी अपने लिए विकल्प खुले होने का भी संदेश दे सकते हैं।
ज्यादा सीटों पर छोटे चौधरी की नजर
जयंत चौधरी पश्चिमी उप्र में मजबूती से उभरे हैं। 2022 में सपा के साथ मिलकर चुनाव लड़े और आठ विधायक सदन में पहुंचाने में सफल हुए। पांच दिसंबर 2022 को खतौली विधासनसभा उपचुनाव में रालोद ने बड़ी जीत दर्ज कर भाजपा को बैकफुट पर पहुंचा दिया।
पिछले दिनों बिहार के सीएम नीतीश ने पटना में कांग्रेस समेत सभी विरोधी दलों की बैठक बुलाई, जिसमें जयंत नहीं पहुंचे थे। बाद में बेंगलुरु की बैठक में छोटे चौधरी गए, लेकिन अविश्वास प्रस्ताव के दौरान सदन से अनुपस्थित रहकर फिर चौंका दिया। इस बीच रालोद के एनडीए के साथ जाने की अटकलें भी उठती रहीं।
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31 अगस्त और एक सितंबर को मुंबई में हुई आइएनडीआइए की बैठक में जयंत तीन दिन रुके। बताया जा रहा है कि उन्होंने शरद पवार और संजय राउत के साथ मीटिंग कर यूपी में गठबंधन पर दबाव बढ़ाने का दांव चला, ताकि ज्यादा सीटें मिलें।
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