यूपी पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड ने मेरठ पर लगाया 5 करोड़ का जुर्माना, वसूले जाएंगे 10 लाख प्रति महीना; क्या है मामला
उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने कूड़े के पहाड़ और प्रतिदिन उत्सर्जित कूड़े का निस्तारण न करने पर मेरठ नगर निगम पर 5 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है। जुर्माने की धनराशि 15 दिनों के भीतर जमा करनी होगी। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) में हुई सुनवाई के दौरान बोर्ड ने कार्रवाई रिपोर्ट प्रस्तुत की। यदि निगम जुर्माना राशि नहीं जमा करता है तो आरसी जारी कर वसूली की जाएगी।
जागरण संवाददाता, मेरठ। कूड़े के पहाड़ और प्रतिदिन उत्सर्जित कूड़े का निस्तारण न करने पर उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने नगर निगम पर पांच करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है। जुर्माने की धनराशि 15 दिनों के भीतर जमा करनी होगी। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) में हुई सुनवाई के दौरान बोर्ड ने कार्रवाई रिपोर्ट प्रस्तुत की।
सुनवाई कर रहे दो जजों व एक विशेषज्ञ सदस्य की बेंच ने नगर निगम अधिकारियों को प्रतिदिन उत्सर्जित ताजे और पहले से डंप कूड़े के निस्तारण पर एक सप्ताह में स्थिति स्पष्ट करने को कहा है। अगली सुनवाई दिसंबर में होगी।
प्रति माह 10 लाख रुपये के हिसाब से लगा जुर्माना
गुरुवार को जस्टिस प्रकाश श्रीवास्तव, जस्टिस अरुण कुमार त्यागी और विशेषज्ञ सदस्य डा. ए सेंथिल वेल की बेंच ने सुनवाई की। बोर्ड ने अपनी कार्रवाई रिपोर्ट पेश करते हुए बताया कि तीन जुलाई को नगर निगम को नोटिस जारी किया गया था, जिसका कोई जवाब नहीं दिया गया।इसके बाद तीन सितंबर को 10 लाख रुपये प्रति माह के हिसाब से पिछले 50 महीनों (एक अप्रैल 2020 से एक मई 2024 तक) का पांच करोड़ रुपये जुर्माना लगाया गया है।
वहीं, एनजीटी में याचिकाकर्ता के अधिवक्ता की ओर से बताया गया कि ठोस अपशिष्ठ प्रबंधन में लापरवाही के कारण नगर निगम पर तीसरी बार जुर्माना लगाया गया है। निगम ने अभी तक एक बार भी जुर्माना जमा नहीं किया है।
क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण अधिकारी भुवन प्रकाश ने बताया कि ठोस अपशिष्ठ प्रबंधन सही तरीके न किए जाने पर नगर निगम पर जुर्माना लगाया है। यदि निगम जुर्माना राशि नहीं जमा करता है तो आरसी जारी कर वसूली की जाएगी। कार्रवाई की रिपोर्ट एनजीटी में प्रस्तुत कर दी है।
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