मुखर होकर अपने अधिकारों की आवाज उठाना सीख लिया है हमने
अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस हर साल 11 अक्टूबर को मनाया जाता है। जिसे मनाने का उद्देश्य बालिकाओं के सामने आने वाली चुनौतियों और उनके अधिकारों के बारे में जागरूकता बढ़ाना है।
मेरठ, जेएनएन। अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस हर साल 11 अक्टूबर को मनाया जाता है। जिसे मनाने का उद्देश्य बालिकाओं के सामने आने वाली चुनौतियों और उनके अधिकारों के बारे में जागरूकता बढ़ाना है। क्योंकि समाज में बालिकाएं बाल विवाह समेत कई प्रकार के शोषण का शिकार होती रही हैं। इस बार 9वां अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस सोमवार को यानी आज मनाया जा रहा है। अब बालिकाएं न सिर्फ अपने अधिकारों के लिए आवाज उठा रही है, बल्कि स्वयं आगे आकर बाल विवाह तक रुकवाकर सामाज के लिए मिसाल भी कायम कर रही हैं। इसका सबसे बड़ा उदाहरण है मुंडाली की 17 वर्ष की वह लड़की, जिसने बाल विवाह की सूचना स्वयं चाइल्डलाइन के सदस्यों को दी। परिवार के सामने अपने अधिकार के लिए डटकर खड़ी हो गई। पिछले एक वर्ष में फलावदा थाना क्षेत्र से भी ऐसे कई मामले सामने आए, जब नाबालिक लड़कियों ने अपना विवाह रुकवाया।
चुप्पी तोड़कर बालिकाएं कर रहीं मन की बात : चाइल्डलाइन की निदेशक अनिता राणा का कहना है कि बालिकाओं की सुरक्षा, सम्मान और स्वावलंबन के लिए चुप्पी तोड़ो खुलकर बोलो अभियान शुरू किया गया है। जिसके अंतर्गत अभी तक पांच गावों में जागरूकता शिविर लगाए गए हैं, अभी तक सूचना के अभाव में बाल विवाह के मामलों में उचित कार्रवाई नहीं हो पा रही थी। लेकिन अब बालिकाएं जागरूक हो रही हैं और अपने अधिकारों के लिए स्वयं खड़ी हो रही हैं। पिछले दिनों ऐसे कई मामले सामने आए जहां लड़कियों ने स्वयं कानून का सहारा लेकर अपना बाल विवाह रुकवाया।