World Arthritis Day: यदि आपको भी है गठिया रोग तो हो जाएं सतर्क, चौंकाने वाली रिपोर्ट आई सामने
अस्थि रोग विशेषज्ञ व विभागाध्यक्ष डा. ज्ञानेश्वर टांक ने बताया कि रोजाना अस्थि रोग विभाग में लगभग 400 मरीज आते हैं इनमें से 200 मरीज गठिया बीमारी के होते हैं। गठिया दो तरह की होती है। एक 20 से 30 साल की उम्र में होती है। इसमें जोड़ों में सूजन हो जाती है और जोड़ जाम हो जाते हैं। यह समस्या मौसम परिवर्तन के साथ बढ़ती है।
By Jagran NewsEdited By: Nitesh SrivastavaUpdated: Thu, 12 Oct 2023 01:29 PM (IST)
दिलीप पटेल, मेरठ। विश्व गठिया दिवस गुरुवार को है। इस बार की थीम इट्स इन योर हैंड्स यानी गठिया से बचना आपके अपने हाथों में है। लेकिन लाला लाजपत राय मेडिकल कालेज के अस्थि रोग विभाग की रिपोर्ट चौकाने वाली है।
यहां रोजाना इलाज को आने वाले मरीजों में 50 प्रतिशत गठिया रोग से प्रभावित पाए जा रहे हैं। यह बीमारी बुर्जगों को तो परेशान कर रही है, युवाओं में भी तेजी से बढ़ रही है। घुटने से लेकर गुर्दे, दिल, फेफड़े तक में इस बीमारी का असर देखा जा रहा है।
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अस्थि रोग विशेषज्ञ व विभागाध्यक्ष डा. ज्ञानेश्वर टांक ने बताया कि रोजाना अस्थि रोग विभाग में लगभग 400 मरीज आते हैं इनमें से 200 मरीज गठिया बीमारी के होते हैं।
गठिया दो तरह की होती है। एक 20 से 30 साल की उम्र में होती है। इसमें जोड़ों में सूजन हो जाती है और जोड़ जाम हो जाते हैं। यह समस्या मौसम परिवर्तन के साथ बढ़ती है। इसमें फेफड़े, गुर्दे, और मांस पेशियों में दर्द इसी वजह से होता है। गुर्दे तक खराब हो जाते हैं।इसका उपचार बायोलाजिक्स दवाओं से होता है। इम्यूनिटी कम करने वाली दवाएं कारगर साबित हो रही हैं। यह आनुवांशिक बीमारी है। दूसरे तरह का गठिया रोग बढ़ती उम्र में होता है। इसमें कार्टिलेज घिसने से जोड़ों में दर्द होता है और पैरों की चाल कम हो जाती है।
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इसमें रहन-सहन के तरीके, चोट लगने से परेशानी बढ़ती है। घुटने, कूल्हे में दूसरे तरह का गठिया रोग अधिक पाया जाता है। खासकर महिलाएं इससे अधिक ग्रस्त हैं। इसके उपचार के लिए जोड़ों को बदलना पड़ता है।
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