World Vegan Day 2022: शाकाहार अपनाने से जीवन में हुआ सकारात्मक बदलाव, बताए इसके फायदे
World Vegan Day 2022 कई लोगों ने मांसाहार छोड़ जीवन में हमेशा के लिए अपनाया शाकाहार। मेरठ में शाकाहार अपनाने वाले लोगों का कहना है कि उन्हें फल रोटी सब्जी से वह सभी पोषक तत्व मिलते हैं जो शरीर की ऊर्जा के लिए आवश्यक है।
विनय विश्वकर्मा, मेरठ। World Vegan Day 2022 प्रत्येक वर्ष एक नवंबर को विश्व स्तर पर वर्ल्ड वैगन डे यानी विश्व शाकाहारी दिवस मनाया जाता है। यह दिन शाकाहारी होने के लाभ के बारे में प्रचार-प्रसार करने के लिए होता है। विश्व शाकाहारी दिवस सामान्य तौर पर शाकाहारी भोजन व शाकाहारी होने के लाभों को बढ़ावा देने का अवसर है। कोरोना काल में मांसाहार को छोड़ शाकाहार अपनाने वाले बहुत लोग हैं।
सभी पोषक तत्व
शाकाहार अपनाने वाले लोगों का कहना है कि उन्हें फल, रोटी सब्जी से वह सभी पोषक तत्व मिलते हैं, जो शरीर की ऊर्जा के लिए आवश्यक है। किसी ने अपने सामने जीव हत्या देख तो किसी ने परिवार की खुशहाली के लिए यह निर्णय लिया। लोगों का कहना है कि शाकाहार अपनाने से उनके जीवन में सकारात्मक बदलाव हुआ है।
ईश्वर द्वारा प्रदत्त भोजन है शाकाहार : वैभव त्यागी
गंगानगर की राधा गार्डन कालोनी वैभव त्यागी व्यापारी हैं। तीन साल की उम्र से खाने का शौक उनका कहना है कि वह बचपन से ही मांसाहार थे। तीन वर्ष की उम्र से ही खाने का शौक था। लेकिन 3 जनवरी 2006 को जीवन में महत्वपूर्ण बदलाव आया। कहा कि उन्होंने इस दिन अपनी इच्छाशक्ति से मांसाहार हमेशा के लिए त्याग दिया। उनका कहना है कि इसके बाद उनके अंदर बड़ा सकारात्मक परिवर्तन आया। उनका अनुभव है कि ध्यान और एकाग्रता के साथ कार्य करने की क्षमता और ऊर्जा बढ़ी है।
शरीर को ऊर्जा देता है
बताया कि मांसाहार छोड़कर वह हमेशा आनंदित अनुभव करते हैं। स्वप्रेरित होकर उन्होंने यह निर्णय लिया था। वैभव का कहना है कि ईश्वर द्वारा प्रदत्त भोजन शाकाहार है। पोषक तत्व हमारे स्थूल शरीर को ऊर्जा देते हैं। महर्षि पतंजलि के योगसूत्र में लिखा है कि सफेद पेठा व काली मिर्च आध्यात्मिक ऊर्जा बढ़ाने के लिए सर्वश्रेष्ठ भोजन है। वह नियमित रूप से इसका सेवन करते हैं।
मन में घृणा आ गई, इसलिए छोड़ दिया
शोभन कुमार डेमूल रूप से बंगाल निवासी शोभन कुमार डे केंद्रीय विद्यालय पंजाब लाइंस में शिक्षक हैं। वह सपरिवार कृष्ण लोक कालोनी में रहते हैं। उनका कहना है कि वह बंगाली परिवार से हैं, इसलिए उनके यहां मांसाहार खाना आम बात है। लेकिन एक घटना को देखकर मन में ऐसी घृणा आ गई कि उन्होंने मांसाहार हमेशा के लिए छोड़ने का प्रण ले लिया।
अब यह सब है पसंद
5 सितंबर 2005 को उन्होंने हमेशा के लिए मांसाहार त्याग दिया। उनका कहना है कि मन में ग्लानि भाव रहता था। अब वह खत्म हो गया। शोभन कुमार कहते हैं कि शाकाहार में सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इसमें विकल्प बहुत हैं। विभिन्न प्रकार की सब्जियां, फल व दालें जो पसंद हो उसे खाइए। शाकाहार में जितने विकल्प दिए हैं, उतने मासांहार में नहीं है।