गुरुवार को जैसे ही वाराणसी के दो गांवों बीरबलपुर व रामसिंह गांव के लोगों को पता चला कि उनके गांव में 10 लोगों की सड़क हादसे में कछवां के कटका पड़ाव के पास मौत हो गई तो पूरा गांव घटना स्थल की ओर भाग पड़ा। जो जैसे था वैसे ही वहां पहुंचा।इस दौरान परिवार को आस जगी थी कि उनका इलाज हो जाएगा और वह ठीक हो जाएंगे, लेकिन जैसे ही डाक्टरों ने वाराणसी जिले के मिर्जामुराद थाना क्षेत्र स्थित बीरबलपुर व रामसिंह गांव के 13 लोगों में दस लोगों को मृत घोषित कर दिया, तो स्वजन दहाड़े मारकर रोने लगे।
इस दौरान लोगों ने बताया कि किसी ने अपना लाल तो किसी ने भाई तो किसी ने अपना पति खोद दिया। इस भीषण हादसे ने कई परिवारों को उजाड़ कर रख दिया। बीरबलपुर गांव के रहने वाले कहैया कुमार की चार बेटियों गायत्री, सुमन, निशा व ऊषा में राकेश इकलौता पुत्र था।
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बेटे राकेश के जाने से पिता सहित मां और बहनें सदमे में हैं। कहा कि वही घर का कमाऊ पुत्र था, जिससे रोजी-रोटी चलती थी। उसके जाने के बाद अब परिवार चलाने की चिंता बढ़ गई। कौन कार्य करेगा। इसी प्रकार बीरबलपुर गांव के ही रहने वाले नंदू की दो बेटियों व एक बेटे में सनोहर इकलाैता पुत्र था।
वह परिवार चलाने में पिता की मदद करता था। उसके जाने से घर का चिराग बुझ गया है। सनोहर मिक्सर मशीन को ले जाने के लिए ट्रैक्टर चलाने का कार्य करता था। वहीं राहुल उर्फ अरुण कुमार दो भाइयाें में बड़ा था। छोटा भाई करन है।राहुल की मौत के बाद पत्नी निशा देवी की मांग का सिंदूर उजड़ गया। पत्नी वह रोते हुए बोली कि अब मेरे लाडलों निहाल व निर्भय के लिए कौन बिस्किट लाएगा। वहीं अन्य लोगों की मौत से उनके परिवार के लोग सदमे में रहे।
सिपाही बनाने का अरमान रह गया अधूरा
वाराणासी जिले के मिर्जामुराद थाना क्षेत्र के बीरबलपुर गांव के रहने वाले विकास कुमार का सपना था कि वह पुलिस में भर्ती होगा। इसके लिए कड़ी मेहनत भी कर रहा था। किताबें खरीदने व अन्य जरूरत को पूरा करने के लिए उसके पास रुपये नहीं होते थे। ऐसे में वह मजदूरी कर अपने और परिवार की जरूरत को पूरा करता था।
तीन भाइयों में सबसे बड़ा विकास अपने पढ़ाई की जिम्मेदारी खुद उठाता था। इसके साथ ही अन्य लोगों के कार्य में सहायता करता था। पिता अखिलेश ने बताया कि विकास ने 2024 में हुई पुलिस भर्ती परीक्षा की लिखित परीक्षा लखनऊ में जाकर दिया था।लग रहा था कि बेटा सिपाही बन जाएगा और उसके कष्ट दूर हो जाएंगे, लेकिन इस हादसे ने मेरे और बेटे के सपने को तोड़कर रख दिया। बताया कि विकास बहुत होनहार बेटा था। वह मेहनत मजदूरी करके पढ़ाई करने के साथ साथ परिवार की भी मदद करता था।
एक ही खानदान के चार लोगों की गई जान
कछवां के कटका पड़ाव में गुरुवार की रात हुए सड़क हादसे में एक ही खानदान के चार युवकों की जान चली गई। ऐसे में पूरे खानदान लोग घर के लोग सदमे में रहे। वाराणसी के मिर्जामुराद क्षेत्र के बीरबलपुर गांव के रहने वाले सूरज कुमार व अनिल कुमार पुत्रगण हुबलाल सगे भाई थे।
वहीं इसी खानदान का राकेश कुमार पुत्र कन्हैया व राेशन पुत्र दीनानाथ थे। मृतक राेशन के पिता दीनानाथ ने बताया कि अनिल, सूरज व राकेश मेरे चचेरे चाचा के लड़के थे।
बरैनी घाट पर एक साथ जलीं दस चिताएं
सड़क दुर्घटना में मृत दस लोगों का शव पोस्टमार्टम के बाद शाम को रामसिंहपुर व बीरबलपुर गांव पहुंचा। शव वाहिनी से उनके नीचे उतरते ही स्वजन उससे लिपट फफक पड़े। हर तरफ करुण क्रंदन व चीत्कार सुनाई दे रही थी। गांव में लोगों की भारी भीड़ मौजूद थी। घटना से मर्माहत हर किसी की आंखें नम थीं।
कोई नहीं समझ पा रहा था कि गम में डूबे नौ परिवारों में से किसे सांत्वना दें। काल के क्रूर चक्र की चर्चा से हर चेहरा स्याह पड़ा था। बरैनी घाट पर एक साथ दस चिताएं जलीं तो दुर्घटना की सूचना आसपास के गांव के लोग और मृतकों, घायलों को रिश्तेदार रामसिंहपुर व बीरबलपुर पहुंच गए थे।
प्रशासन ने बरैनी घाट पर अंतिम संस्कार की तैयारी कर ली थी। एहतियातन गांव में फोर्स को भी तैनात किया गया था। बड़े-बजुर्गों ने शवों का अंतिम संस्कार गांव के ही श्मशान पर करना तय किया। इसके बाद शव वाहिनी से शवों का आने का सिलसिला शुरू हो गया।
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दस शव वाहिनी में शवों को लेकर पुलिस प्रशासन के अधिकारी व ग्रामीण बरैनी घाट की ओर बढ़ चले। पुलिस ने हाइवे की बजाय लिंक रोड से घाट तक जाने का रास्ता चुना। जिधर से दस शव वाहन गुजरे लोगों की रूह कांप गई। दस चिताओं को पहले से तैयार कर लिया गया था। उनमें एक साथ आग दहक उठी और नौ घरों के कमाऊ पूत राख में तब्दील हो गए।
मिक्सर मशीन की जुगाड़ वाली ट्राली बनी जानलेवा
भवन निर्माण के लिए सीमेंट-बालू-गिट्टी को मिलाने वाली मिक्सर मशीन की जुगाड़ वाली ट्राली मजदूरों की काल बन गई। मिक्सर मशीन के साथ जुगाड़ करके एक ही डीजल जेनरेटर लगाया जाता है। ट्राली जैसा रूप देने के लिए चारों तरफ लोहे का गर्डर लगाया जाता है।मशीन लाने ले जाने के दौरान मजदूर इसी पर बैठते हैं। ट्राली के पिछले हिस्से में कोई लाइट-बत्ती भी नहीं रहती। भदोही में छत की ढलाई करके सभी मजदूर इसी मिक्सर मशीन की ट्राली पर सवार होकर लौट रहे थे और हादसे का शिकार हो गए।
रात में वहीं रुके होते तो नहीं होता हादसा
सड़क हादसे में मृत व घायल मजदूरों ने घटना से पहले भदोही के औराई थाना क्षेत्र स्थित तिऊरी गांव के रहने वाले जिस होमगार्ड के मकान की छत ढालने के लिए गए थे। वहां दस बजे काम खत्म हो चुका था। इसके बाद सभी ने खाना खाया। फिर घर के लिए रवाना हुए थे। सभी मजदूर रात में वहीं रुक गए होते तो शायद उनके साथ हादसा नहीं होता।ग्रामीणों ने बताया कि सभी मजदूरों को बताया गया था कि छत ढालने में काफी समय लगेगा। देर रात भी हो सकती है। ऐसे में वहीं पर खाने पीने की व्यवस्था कराई जाएगी। यह देख मेट भानू प्रताप व मकान मालिक ने सभी मजदूरों के लिए खाने पीने की व्यवस्था कर दी थी।खाना खाकर सभी 12 बजे घर के लिए निकले। सभी का मन था वहीं पर रात में रुक जाएं, लेकिन कुछ मजदूर रुकना नहीं चाहते थे। यह देख रात में ही सभी मजदूर ट्रैक्टर व मिक्सर मशीन पर सवार होकर घर के लिए निकल गए। नाले में जाने के कारण दो मजदूरों के हाथ-पैर कट गए थे। जिनका क्षत-विक्षत शव रात में बाहर निकाला गया था।
ट्रक चालक को नींद आने के कारण हादसे की आशंका
ट्रक चालक को नींद आने के कारण इतना बड़ा हादसा होने की आशंका जताई जा रही है। पुलिस की माने तो ट्रक चालक तेजगति से जा रहा था। संभावना जताई जा रही है कि उसे नींद आ गई होगी। इससे चलते ट्रक अचानक ट्रैक्टर में टक्कर मारते हुए उसके ऊपर चढ़ गया। घटना के बाद चालक फरार हो गया। पुलिस उसकी तलाश कर रही है।