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RTE Admission: पेरेंट्स से पैसा वसूलने वाले स्कूलों पर लगेगी लगाम, चयन के बाद भी एडमिशन नहीं लिया तो होगी कार्रवाई

RTE Admission निश्शुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 के तहत गरीब बच्चों का निजी विद्यालयों में प्रवेश कराया जा रहा है जिससे अच्छी शिक्षा मिल सके। इसके लिए ऑनलाइन आवेदन के बाद विद्यालयों में प्रवेश कराया जाता है। हालांकि कुछ विद्यालयों में चयन के बाद भी बच्चों का एडमिशन नहीं लिया जा रहा है। जिसे लेकर अब प्रशासन एक्शन में आई है।

By Amit Kumar Tiwari Edited By: Riya Pandey Updated: Sat, 13 Jul 2024 04:53 PM (IST)
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आरटीई के तहत प्रवेश न लेने वाले विद्यालयों पर होगी कार्रवाई (प्रतिकात्मक तस्वीर)
जागरण संवाददाता, मीरजापुर। RTE Admission: राइट टू एजुकेशन (आरटीई) के तहत चयन के बाद भी प्रवेश नहीं लेने वाले विद्यालयों पर कार्रवाई होगी। साथ ही विकास, प्रवेश आदि के नाम पर अभिभावकों से वसूली करने वाले विद्यालयों पर अंकुश लगाने की तैयारी चल रही है। संबंधित विद्यालयों का मान्यता प्रत्याहरण तक हो सकता है। महानिदेशक स्कूल शिक्षा कंचन वर्मा ने इस बाबत जिलाधिकारी को निर्देश जारी किया है।

चयन के बाद भी कई विद्यालयों में नहीं ले रहे प्रवेश

निश्शुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 के तहत गरीब बच्चों का निजी विद्यालयों में प्रवेश कराया जा रहा है, जिससे अच्छी शिक्षा मिल सके। इसके लिए ऑनलाइन आवेदन के बाद विद्यालयों में प्रवेश कराया जाता है। चयन के बाद भी कई विद्यालय बच्चों का प्रवेश नहीं ले रहे हैं। साथ ही प्रवेश लेने के बाद इन गरीब बच्चों के अभिभावकों से मनमाना शुल्क वसूल कर रहे हैं।

महानिदेशक स्कूल शिक्षा ने निर्देश दिया है कि कोई भी विद्यालय आरटीई के तहत प्रवेश लेने वाले बच्चों के अभिभावकों से कोई भी अतिरिक्त शुल्क नहीं लें।

बीएसए अनिल कुमार वर्मा के अनुसार जनपद में तीन चरणों में अब तक 2032 बच्चों का चयन किया जा चुका है, इसमें से 1389 बच्चों का प्रवेश कराया गया है। इसमें से 643 बच्चे आज भी विद्यालयों के द्वारा प्रवेश नहीं लिया गया है।

विद्यालय स्तर पर आवंटित छात्रों के प्रवेश में आ रहीं निम्न समस्यायें

चयनित बच्चों के अभिभावकों से अनावश्यक कागजात व दस्तावेज की मांगना, चयनित बच्चों की पात्रता को जांचने के लिए अभिभावकों के घर का भौतिक सत्यापन, विद्यालय की ओर से प्रवेश के लिये प्रवेश शुल्क, वार्षिक शुल्क आदि की अभिभावकों से मांग करना है। साथ ही विद्यालय द्वारा आवंटन सूची में नाम आने के बाद भी "आप का नाम सूची में नही है, आपका प्रवेश नहीं लिया जा सकता है, अभिकथन करना''।

आपके प्रवेश के लिए विद्यालय को विभाग द्वारा कोई पत्र प्राप्त नहीं हुआ है। आपका वार्ड एवं विद्यालय का वार्ड एक नहीं है। आदि कारण बताकर प्रवेश नहीं दिया जा रहा है।

महानिदेशक स्कूल शिक्षा कंचन वर्मा ने जारी आदेश में इसे स्पष्ट रुप से विद्यालयों द्वारा आरटीई एक्ट 2009 के प्राविधानों का उल्लंघन माना है। चयनित बच्चों को गलत तरीके से प्रवेश से वंचित किया जा रहा है। ऐसे विद्यालयों को नोटिस जारी करते हुए आरटीई एक्ट के प्रावधानों का अनुपालन कराने का निर्देश दिया है।

केस 1

कछवा थाना क्षेत्र स्थित कछवां क्रिश्चियन स्कूल के विरुद्ध अभिभावकों द्वारा आईजीआरएस और तहसील दिवस पर शिकायत किया गया। अभिभावकों की शिकायत है कि एनसीईआरटी की किताबो को न चलाकर एक दुकान से प्राइवेट किताब महंगे दाम पर खरीदने का दबाव बनाया जाता है।

अभिभावकों से इस वर्ष 5000 और पिछले वर्ष का 3000 साथ ही आरटीई एडमिशन के नाम पर जमा कराया गया। बीईओ जय प्रकाश यादव स्कूल ने जांच किया। बताया कि आइजीआरएस पर आरटीई के तहत प्रवेश लेने वाले बच्चों से विकास और वार्षिक शुल्क लेने की शिकायत अभिभावकों ने किया था।

केस 2

अभिभावक मनोज कुमार, कुंदन सोनकर, किरन मिश्रा, विपिन मिश्रा आदि मुख्यमंत्री और जिलाधिकारी को पत्रक देकर शिकायत किया था कि उनका बेटा नगर के संस्कार पब्लिक स्कूल में पढ़ता था, लेकिन बच्चों को विद्यालय से निकाल दिया गया। अभिभावकों ने बच्चों का प्रवेश कराने की मांग किया था।

मीरजापुर बीएसए अनिल कुमार वर्मा के अनुसार, आरटीई के तहत चयनित बच्चों काे प्रवेश न देने अथवा अतिरिक्त शुल्क लेने की शिकायत मिली है। इस बाबत महानिदेशक स्कूल शिक्षा की ओर से दिशा निर्देश जारी किया गया है। उनके निर्देशानुसार संबंधित विद्यालय पर कार्रवाई की जायेगी। आरटीई के तहत चयनित सभी बच्चों को शिक्षा दिलाया जाएगा।

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