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शिकारियों पर वन विभाग नहीं कस पा रहा शिकंजा

जागरण संवाददाता राजगढ़ (मीरजापुर) सर्दी के मौसम में वन्य जीवों का शिकार करने वालों की

By JagranEdited By: Updated: Sun, 15 Nov 2020 07:41 AM (IST)
शिकारियों पर वन विभाग नहीं कस पा रहा शिकंजा

जागरण संवाददाता, राजगढ़ (मीरजापुर) : सर्दी के मौसम में वन्य जीवों का शिकार करने वालों की होड़ मच जाती है। इनको बचाने के लिए वन विभाग की ओर से जो तैयारी की गई हैं वह नाकाफी है। विभाग शिकारियों को रोकने में विफल रहा है। यह आरोप क्षेत्र के लोगों ने लगाते हुए बताया कि विभाग द्वारा शिकार करने वालों के खिलाफ जागरूकता कैंप का आयोजन करना चाहिए ,लेकिन ऐसा कुछ नहीं किया जाता है।

क्षेत्रीय लोगों ने बताया कि सुकृत वन रेंज के भवानीपुर वन चौकी क्षेत्र का एक बड़ा भू-भाग वन्य क्षेत्र से ढका हुआ है। भवानीपुर से सुकृत तक के क्षेत्र में कई वन्य प्रजातियों के जीव जंगल में विचरती हैं। सर्दी का मौसम शुरू होते ही कई शिकारी इस क्षेत्र में सक्रिय हो जाते हैं। शिकारी सबसे ज्यादा निशाना जंगली सुकरों को बनाते हैं। इसके बाद राष्ट्रीय पक्षी मोर और खरगोश को मार दिया जा रहा है। बंदूक के अलावा जाल या फंदे में फंसाकर भी इन प्राणियों की जान ली जाती है। शिकारियों ने वन जीवों के शिकार के लिए नए तौर तरीके अपना रहे हैं। शिकारी करते है देशी बम का इस्तेमाल

वन्य जीवों के शिकार के लिए शिकारियों ने अब नया हथकंडा अपना लिया है। जानकारों की माने तो शिकारी जंगली जानवरों के शिकार को देशी बम का इस्तेमाल करने लगे हैं। जी हां, देसी बम के फटते ही जानवर की मौत हो जाती है। जंगलों में जगह-जगह ऐसे बम रख दे रहे हैं, जो गेहूं के आटे के गोले में विस्फोटक सामग्री पैक रहती है। जंगली जानवर जैसे ही इन्हें मुंह में उठाता है वह फट जाता है। सुकृत रेंज के विभिन्न जंगलों के समीप देशी बम से जंगली सूकरों का शिकार अरसे से हो रहा है। दो माह पूर्व भवानीपुर रेंज में सूकर का किया था शिकार

राजगढ़ के भवानीपुर रेंज में शिकारियों ने दो माह पूर्व खाद्य सामग्री में देशी बम रख दिया था, जिसके खाते ही सूकर का मुंह बुरी तरह से फट गया था और कुछ ही देर में वह मर गया था। इसकी सूचना ग्रामीणों ने वन विभाग को दिया था लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई थी। पिछले वर्ष निकरिका जंगल में शिकारियों ने दस फीट के अजगर को मार दिया था। शिकारियों को पकड़े जाने पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी, हालांकि शिकारियों के मद्देनजर प्रतिदिन दिन रात जंगलों में कांबिग भी की जाएगी।

-राजेंद्र प्रसाद श्रीवास्तव, वन रेंजर।

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