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विंध्याचल में हेलीपोर्ट बनने में आई अड़चन, फाइनल नहीं हो सकी जमीन; शासन से मिल चुका है 3 करोड़

मां विंध्यवासिनी के धाम में भक्तों के लिए हेलीपोर्ट बनाने की तैयारी है। हेलीपोर्ट बनने से मां के भक्त देश के कोने-कोने से विंध्यधाम पहुंच सकेंगे। हेलीपोर्ट के निर्माण पर लगभग छह करोड़ रुपये खर्च होंगे। मां के भक्त चंद मिनटों में विंध्यधाम पहुंच सकेंगे। मां विंध्यवासिनी का दर्शन-पूजन करने के बाद भक्त अन्य धाम में भी यात्रा कर सकेंगे।

By Milan kr gupta Edited By: Riya Pandey Updated: Sun, 11 Aug 2024 04:29 PM (IST)
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विंध्याचल आने वाले भक्तों को हेलीपैड के लिए करना होगा और इंतजार
जागरण संवाददाता, मीरजापुर। विंध्याचल में हेलीपोर्ट के निर्माण में बाधा उत्पन्न हो गई है। पर्यटन विभाग की ओर से दो स्थानों पर जमीन देखी गई लेकिन अब तक फाइनल नहीं हो सका। कार्यदायी संस्था सीएंडडीएस को इसके निर्माण की जिम्मेदारी दी गई है। इसमें करीब 1227.56 लाख रुपये खर्च होंगे।

इसके अलावा शासन की ओर से तीन करोड़ रुपये जारी भी कर दिया गया है लेकिन अब तक भूमि नहीं मिल सकी।

विंध्याचल के शिवपुर में दो स्थानों पर भूमि देखी गई थी लेकिन वहां पहले से सड़क प्रस्तावित होने के कारण अब दोबारा पर्यटन विभाग कहीं ओर भूमि की तलाश में जुटा है। हेलीपोर्ट के निर्माण से विंध्यधाम में आने वाले पर्यटकों को सहूलियत होगी।

करीब दो एकड़ से ज्यादा भूमि की जरूरत

मां विंध्यवासिनी के धाम में भक्तों के लिए हेलीपोर्ट बनाने की तैयारी है। हेलीपोर्ट बनने से मां के भक्त देश के कोने-कोने से विंध्यधाम पहुंच सकेंगे। इसके निर्माण के लिए करीब दो एकड़ से ज्यादा भूमि की जरूरत है। विंध्यधाम में आने वाले भक्तों को बेहतर सुविधा देने की कवायद चल रही है। जिले में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए नित नया हो रहा है।

विंध्यधाम में आने वाले पर्यटकों को जल्द ही एक नई सौगात मिलने जा रही है। मां विंध्यवासिनी के धाम में भक्तों के लिए हेलीपोर्ट बनाया जाएगा। हेलीपोर्ट के निर्माण पर लगभग छह करोड़ रुपये खर्च होंगे। मां के भक्त चंद मिनटों में विंध्यधाम पहुंच सकेंगे।

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विंध्याचल आने के साथ अन्य धाम की भी यात्रा कर सकेंगे श्रद्धालु

मां विंध्यवासिनी का दर्शन-पूजन करने के बाद भक्त अन्य धाम में भी यात्रा कर सकेंगे। विंध्याचल में मां विंध्यवासिनी, अष्टभुजा व कालीखोह में दर्शन-पूजन करने के बाद श्रद्धालु यहां से वाराणसी, प्रयागराज, चित्रकूट, नैमिषारण्य, अयोध्या, मथुरा आदि निर्धारित स्थानों पर जा सकेंगे और वहां से आ भी सकेंगे।

इस संबंध में सहायक अभियंता आकाश ने बताया कि जमीन की तलाश पर्यटन विभाग की ओर से की जा रही है। भूमि मिलने के बाद निर्माण कार्य शुरू होगा।

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