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Mirzapur Lok Sabha Election: मीरजापुर में जातीय चक्रव्यूह के बीच त्रिकोणीय लड़ाई, जान‍िए किसका पलड़ा है भारी

केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल मीरजापुर लोकसभा सीट से हैट-ट्रिक लगाने को चुनावी रण में पसीना बहा रही है। एनडीए में भाजपा की सहयोगी अपना दल(एस) से चुनाव लड़ रही अनुप्रिया को टक्कर देने के लिए कांग्रेस के आइएनडीआइए में शामिल सपा ने भदोही से भाजपा सांसद रमेश चंद्र बिंद को टिकट दिया है। मनीष त्रिपाठी पर दांव लगाकर बसपा भी मैदान में है।

By Jagran News Edited By: Vivek Shukla Updated: Thu, 30 May 2024 01:30 PM (IST)
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बाएं से अनुप्रिया पटेल, रमेश चंद बिंद, मनीष त्रिपाठी। जागरण

 मां विंध्यवासिनी देवी के प्राचीन मंदिर से देश के धार्मिक पर्यटन में अहमियत रखने वाले विंध्य क्षेत्र के मीरजापुर में इनदिनों चुनावी सरगर्मियां चरम पर हैं। पूर्व के चुनावों में दो लाख से अधिक मतों के अंतर से जीतने वाली अनुप्रिया को अबकी सपा गठबंधन से कड़ी चुनौती मिलती दिख रही है। दूसरे छोटे दल भी अनुप्रिया को घेरने की कोशिश में है। जातीय चक्रव्यूह से घिरे मीरजापुर संसदीय क्षेत्र के चुनावी परिदृश्य पर पेश है राज्य ब्यूरो प्रमुख अजय जायसवाल की रिपोर्ट...

मीरजापुर संसदीय क्षेत्र की पांचों विधानसभा सीट पर भाजपा सहित एनडीए के सहयोगी दलों का ही कब्जा है। मीरजापुर, चुनार व मड़िहान सीट से भाजपा जबकि सुरक्षित सीट छानबे से अपना दल(एस) की रिंकी कोल विधायक हैं। सांसद पकौड़ी लाल कोल की बहू रिंकी राबर्ट्सगंज लोकसभा सीट से तो मझवां से निषाद पार्टी के विधायक डा. विनोद कुमार बिंद को भाजपा ने भदोही लोकसभा सीट से टिकट दिया है।

मीरजापुर सीट पर भाजपा ने आखिरी बार वर्ष 1998 में सपा की फूलन देवी को हराया था। डेढ़ दशक तक सपा-बसपा का ही सीट पर कब्जा रहा। फूलन दो बार और वर्ष 2009 के चुनाव में डाकू ददुआ के भाई बाल कुमार पटेल सपा से सांसद चुने गए। वर्ष 2014 की मोदी लहर में अपना दल ने भाजपा से हाथ मिलाकर मीरजापुर सीट पर कब्जा जमाया था।

अपना दल की अनुप्रिया पटेल ने 2,19,079 मतों के अंतर से बसपा की समुद्रा बिंद को हराया था। सपा के मौजूदा प्रत्याशी रमेश बिंद की पत्नी समुद्रा को 2,17,457 वोट मिले थे। कांग्रेस से चुनाव लड़े पूर्व मुख्यमंत्री कमलापति त्रिपाठी के परपौत्र ललितेश पति त्रिपाठी 1,52,666 वोटों के साथ तीसरे जबकि सपा के सुरेंद्र सिंह पटेल 1,08,859 मतों को लेकर चौथे स्थान पर रहे थे।

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वर्ष 2019 में सपा-बसपा गठबंधन से सपा के रामचरित्र निषाद को अनुप्रिया पहले से कहीं अधिक 2,32,008 मतों के अंतर से शिकस्त देने में कामयाब रही थी। तब बसपा संग सपा को 3,59,556 वोट मिले थे जबकि कांग्रेस के ललितेश के वोट 91,501 ही रह गए थे।

तकरीबन 19 लाख मतदाताओं वाली मीरजापुर लोकसभा सीट के जातीय समीकरण देखे जाएं तो यहां लगभग 22 प्रतिशत वंचित समाज के अलावा पिछड़े वर्ग में कुर्मी-पटेल बिरादरी का दबदबा है। बिंद, मल्लाह, मौर्य की आबादी भी ठीकठाक है। राजभर, यादव, कुशवाहा, विश्वकर्मा, चौरसिया, बारी आदि जातियां के लोग भी चुनावी नतीजों पर कुछ हद तक असर डालते हैं।

सवर्णों में सर्वाधिक ब्राह्मण, क्षत्रिय और वैश्यों की संख्या है। मुस्लिम आबादी लगभग आठ प्रतिशत है। पिछले लोकसभा चुनाव में सपा-बसपा के मिलने के बाद भी रिकार्ड मतों से जीतने वाली अनुप्रिया के सामने अबकी कहीं ज्यादा बड़ी चुनौती दिखाई दे रही है।

मीरजापुर की मझवां सीट से तीन बार बसपा से विधायक रहे सपा प्रत्याशी रमेश बिंद के साथ बिंद बिरादरी तो है ही, क्षेत्रवासियों के लिए जाना-पहचाना चेहरा होने से वंचित व अन्य पिछड़ी जातियों में भी उनका प्रभाव है। सपा प्रत्याशी होने से मुस्लिम व यादव भी उन्हीं के साथ दिखाई देता है।

सपा प्रमुख अखिलेश यादव भी चुनावी सभा कर रहे हैं। महंगाई, बेरोजगारी, पानी संकट और निराश्रित पशुओं से परेशान लोग बदलाव की बात करते हैं। सपा-कांग्रेस गठबंधन में ही टीएमसी के होने से मड़िहान के पूर्व विधायक ललितेश पति त्रिपाठी भी इस बार गठबंधन के साथ हैं।

ब्राह्मण प्रत्याशी पर दांव लगाने से क्षेत्र के ब्राह्मणों का कुछ हद तक बसपा की ओर झुकाव दिखाई देता है लेकिन ज्यादातर मोदी-योगी के साथ ही हैं। बसपा के कोर वोट वंचित समाज के साथ ब्राह्मणों के दम पर जीत के लिए बसपा प्रमुख मायावती यहां चुनावी सभा भी कर चुकी हैं। अनुप्रिया की विधायक बहन पल्लवी पटेल ने अपना दल (कमेरावादी) से दौलत सिंह पटेल को मैदान में उतरा है।

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प्रत्याशी उतार पल्लवी द्वारा मोदी सरकार को घेरने से माना जा रहा है कि अनुप्रिया को खासतौर से पटेल वोट का कुछ नुकसान हो सकता है। रघुराज प्रताप सिंह ‘राजा भैया’ पर टिप्पणी को लेकर उनके दल के समर्थक क्षत्रिय समाज के लोग सपा के समर्थन में प्रचार करने की बात कह रहे हैं। हालांकि, पिछले 10 वर्षों के दौरान मोदी-योगी सरकार के द्वारा क्षेत्र में कराए गए काम के साथ अनुप्रिया की सक्रियता से लोग कम प्रभावित नहीं है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सहित मुख्यमंत्री, मंत्री व भाजपा के दूसरे नेता अनुप्रिया के लिए खूब प्रचार कर रहे हैं। मां विंध्यवासिनी कारिडोर से लेकर मेडिकल कालेज, विश्वविद्यालय, गंगा पुल, हाईवे, हर-घर नल, मुफ्त राशन, प्रधानमंत्री आवास आदि का क्षेत्रवासियों पर प्रभाव देखने को मिल रहा है। जो अनुप्रिया से नहीं भी खुश हैं वे भी मोदी के लिए ‘कप-प्लेट’ का वटन दबाने की बात कह रहे हैं। इस बार ललितेश के यहां से चुनाव न लड़ने से बाह्मणों के वोटों का बड़ा हिस्सा भी भाजपा को मिलने की उम्मीद है। ललितेश इस बार टीएमसी के टिकट पर भदोही से चुनाव लड़ रहे हैं।

देवरी कलां के सुरेन्द्र कोल कहते हैं कि पहले हम सब बसपा और फिर भाजपा के साथ थे। इस बार भाजपा को वोट देकर उन्हें संविधान बदलने का मौका नहीं देंगे। बदलाव की बात करते हुए कहते हैं रमेश बिंद हमारे पुराने नेता हैं। सपा-बसपा के मिलने पर भी पिछले चुनाव में सपा के न जीतने पर सुरेंद्र बताते हैं कि अगर बसपा का प्रत्याशी होता तो कोई दिक्कत न होती।

चुनार के डंवक बबुरी के मुन्ना पटेल, गंगा सरन मौर्य व बोदल सिंह कहते हैं कि उनके विधायक नहीं दिखाई देते हैं लेकिन अनुप्रिया ने काम किया है इसलिए कोई दिक्कत नहीं है। मड़िहान के राजगढ़ बाजार में दवा कारोबारी अजय कुमार सिंह को लगता है कि लीड घटेगी लेकिन अनुप्रिया जीतेंगी। दरवान के नागेश्वर इसलिए नाराज हैं कि नहर में पानी न आने से उनकी धान की फसल सूख गई। जानवरों से फसल बचाना भी मुश्किल है।

वह कहते हैं कि सांसद जो करती हैं उसका फायदा अपना दल वाले ही उठाते हैं। चाहे बोरिंग हो या सोलर लाइटें। प्रधान से नाराज जसवंत बताते हैं कि बड़े-बड़े घर वालों को मुफ्त राशन मिल रहा है लेकिन जरूरत मंदों के राशन कार्ड नहीं बन रहे।

बलहरा मोड़ पर दुकान खोले नीरज यादव कहते हैं कि बिंद का स्वभाव अच्छा नहीं है इसलिए यादव होने पर भी उन्हें वोट नहीं देंगे। मीरजापुर में मुहकोचवा चौराहे पर मिले लवकुश मालवीय को लगता है कि लड़ाई त्रिकोणीय हो सकती है लेकिन यहां अनुप्रिया ही जीतेंगी। कारण है कि अबकी ज्यादातर ब्राह्मण मोदी का साथ देने के लिए कप-प्लेट का ही बटन दबाएगा।