UP Election 2024: यूपी की इस विधानसभा सीट पर सपा नहीं खोल पाई है खाता, उपचुनाव के मैदान में अब एक और मौका
सपा लोकसभा चुनाव 2024 के परिणाम से खासा उत्साहित है। उसे विश्वास है कि यूपी की ये विधानसभा सीट उसे हासिल करना मुश्किल नहीं होगा। इस सीट से सपा जीत का अभी तक एक बार भी स्वाद नहीं ले सकी है। इस पूरे समीकरण में बसपा की भूमिका यहां पर एकतरफा रही है। बसपा इस सीट पर पांच बार जीत हासिल कर अपना मजबूत जनाधार जता चुकी है।
जागरण संवाददाता, मीरजापुर। मझवा विधान सीट पर उपचुनाव की तैयारी शुरू हो गई है। गठबंधन और उनकी पार्टियों के बीच सीट हथियाने को लेकर एड़ी-चोटी का जोर लगाया जा रहा है। प्रमुख पार्टियों की राष्ट्रीय व प्रदेश स्तरीय बैठक भी हो गई है।
इसमें महत्वपूर्ण कड़ी जहां प्रत्याशी चयन को लेकर है वहीं गठबंधन के बीच पार्टी सिंबल भी चुनौती बना हुआ है। इसका प्रमुख कारण इस सीट पर सपा को छोड़ सभी पार्टियों को मौका मिलना माना जा रहा है। यहां कांग्रेस दो बार जीत हासिल कर चुकी है।
मझवा सीट जीतकर इतिहास रचने की कोशिश में पार्टियां
इसके साथ ही जनता पार्टी व जनता दल एक-एक, बसपा पांच बार तथा भाजपा दो और गठबंधन की निषाद पार्टी एक बार जीते चुके हैं। ऐसे में पार्टियां इस कोशिश में लगी हैं कि मझवा सीट जीतकर इतिहास रचा जाए।दरअसल, मझवा सीट 2017 के विधानसभा चुनाव से अब तक भाजपा और उसके सहयाेगी निषाद पार्टी के कब्जे में है। भाजपा हर हाल में इस सीट को अपने पाले में रखने की कोशिश में है। इसके लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपना रुख स्पष्ट कर दिया है।
गठबंधन से सीट मिलने की जोर आजमाइश में सपा
यही नहीं मझवा सीट जीतने के लिए तीन-तीन मंत्रियों को भी क्षेत्र में लगा दिया है। वहीं सपा प्रदेश में आइएनडीआइए की प्रमुख सहयोगी पार्टी है। ऐसे में सपा भी पूरी जोर आजमाइश लगा रही है कि गठबंधन से सीट उसे मिले।सपा लोकसभा चुनाव 2024 के परिणाम से भी खासा उत्साहित है। उसे विश्वास है कि मझवा सीट उसे हासिल करना मुश्किल नहीं होगा। एक बात बता दें कि सपा को मझवा सीट से जीत का अभी तक एक बार भी स्वाद नहीं लगा है। साथ ही सपा 2007, 2012 और 2022 के विधान चुनाव में दूसरा स्थान प्राप्त करने में सफल भी हुई। बहरहाल, इस पूरे समीकरण में बसपा की भूमिका मझवा सीट पर एकतरफा रही है।
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।तीन बार विधायक रहे रमेश बिंद
बसपा इस सीट पर पांच बार जीत हासिल कर अपना मजबूत जनाधार जता चुकी है। बसपा को पहली जीत यहां 1991 में मिली, फिर 1993, 2002, 2007, 2012 में भी बसपा ने जीत हासिल की। इसमें तीन बार भदाेही से भाजपा के सांसद रहे रमेश बिंद विधायक रहे। वहीं कांग्रेस के लोकपति त्रिपाठी दो बार विधायक चुने गए।लोकपति या दूसरे कांग्रेस प्रत्याशी कई बार दूसरे स्थान पर भी काबिज रहे। 2007 से पहले हुए विधानसभा चुनाव में मझवा सीट पर कांग्रेस को हमेशा अच्छा मत प्राप्त हुए लेकिन 2007 के बाद कांग्रेस 10 हजार का आंकड़ा नहीं छू सकी। लेकिन इस बार आइएनडीआइए के चौंकाने वाले परिणाम से कांग्रेस भी खासा उत्साहित है।पुराना दौर दोहराना चाहेगी कांग्रेस
कांग्रेस एक बार फिर से पुराना दौर दोहराना चाहेगी। यह आश्चर्य नहीं कि कांग्रेस इस उपचुनाव में मझवा सीट अपने लिए प्रस्तावित करे। हालांकि इसकी चर्चा भी आमजन में बहुत है। हालांकि पार्टी की जिला इकाई अभी इससे इनकार रही है। खुद मड़िहान से कांग्रेस के विधायक रहे ललितेश त्रिपाठी ने भी इस प्रकार की अटकलों को तवज्जो नहीं दी।जिलाध्यक्ष कांग्रेस शिवकुमार पटेल ने कहा कि अभी प्रत्याशियों की सूची कांग्रेस पार्टी से नहीं मांगी गई है। आगामी 21 जुलाई को लखनऊ में बैठक के लिए बुलाया गया है। इसके बाद ही स्थिति स्पष्ट हो सकेगी।अकेले मैदान में डटकर मुकाबला करने की तैयारी में बसपा
हालांकि उनके दादा लोकपति त्रिपाठी के मझवा से विधायक रहने के दौरान हुए कार्याें को लोग आज भी भूले नहीं हैं। ऐसे में ललितेश त्रिपाठी की यहां से गुंजाइश खत्म नहीं मानी जा रही है। दूसरी ओर बसपा अकेले मैदान में डटकर मुकाबला करने की तैयारी में है।वर्ष | दल |
1977 | जनता पार्टी |
1980 | कांग्रेस |
1985 | कांग्रेस |
1989 | जनता दल |
1991 | बसपा |
1993 | बसपा |
1996 | भाजपा |
2002 | बसपा |
2007 | बसपा |
2012 | बसपा |
2017 | भाजपा |
2022 | निषाद पार्टी |