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विध्य बचाओ कार्यकर्ता को सेंक्चुअरी वन्यजीव सेवा पुरस्कार'

जनपद में वन्यजीव के संरक्षण के लिए कार्य कर रही स्वयंसेवी संस्थान विध्य पारिस्थितिकी एवं प्राकृतिक इतिहास संस्थान (विध्य बचाओ) के संस्थापक देवादित्यो सिन्हा को प्रख्यातसेंक्चुअरी वाइल्डलाइफ सर्विस पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।

By JagranEdited By: Updated: Sun, 22 Dec 2019 04:42 PM (IST)
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विध्य बचाओ कार्यकर्ता को सेंक्चुअरी वन्यजीव सेवा पुरस्कार'

जागरण संवाददाता, मीरजापुर : जनपद में वन्यजीव के संरक्षण के लिए कार्य कर रही स्वयंसेवी संस्थान विध्य पारिस्थितिकी एवं प्राकृतिक इतिहास संस्थान (विध्य बचाओ) के संस्थापक देवादित्यो सिन्हा को प्रख्यात'सेंक्चुअरी वाइल्डलाइफ सर्विस पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। उनको यह सम्मान पद्मश्री विजया मेहता द्वारा 1000 से भी •ा्यादा अतिथियों के बीच प्रस्तुत किया गया। सेंक्चुअरी एशिया, डीएसपी म्युचुअल फंड इंडसइंड बैंक एवं ग्रीनको द्वारा 20वें सेंक्चुअरी वाइल्डलाइफ अवार्ड कार्यक्रम 20 दिसंबर को मुंबई के टाटा थियटर में सम्पन्न हुआ।

सेंक्चुअरी वाइल्डलाइफ अवार्ड की शुरुआत वर्ष 2000 में भारतवर्ष के लुप्तप्राय वन्यजीवों और उनके आवासों की संरक्षण करने वाले व्यक्तियों के उत्कृष्ट कार्य को पहचानने के लिए स्थापित किया गया था। जनपद में पाए जाने वाले स्लॉथ भालू के संरक्षण में किए जा रहे उनके शोधकार्य एवं नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में प्रकृति संरक्षण के लिए किए गए मुकदमों के लिए उनको सराहा गया और उनके कार्यों और एक लघु ़िफल्म भी दिखाई गई। वर्ष 2009-2012 में काशी हिन्दू विश्वविद्यालय से पर्यावरण विज्ञान में स्नातकोत्तर के लिए दक्षिणी परिसर बरकछा में तीन साल रहे। जनपद के जंगल एवं वन्यजीवों से उनको खासा लगाव हो गया। उन्होंने 2011 में'विध्य की व्यथा'चलचित्र बनाया। इसमें उन्होंने प्राकृतिक संपदा पर पड़ रहे मानवीय दबाव को दर्शाया। 2012 में जिले के वरिष्ठ पत्रकार शिव कुमार उपाध्याय के सहयोग से'विध्य पारिस्थितिकी एवं प्राकृतिक इतिहास संस्थान'की स्थापना की। जिसे 'विध्य बचाओ'के नाम से भी जाना जाता है। 2017 में जिले के वन क्षेत्र में पाए जाने वाले स्लॉथ भालुओं के प्रवास पर एक रिपोर्ट प्रकाशित की जिसमें उन्होंने जिले के 5 वन रेंज- मड़िहान, सुकृत, चुनार, पटेहरा एवं ड्रमड़गंज में भालुओं के प्राकृतिक प्रवास होने के ठोस वैज्ञानिक सबूत जुटाए एवं वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 के अधीन इनको संरक्षित करने की मुहिम शुरू की। 2018 में वन विभाग और कैमूर वन्यजीव विभाग के साथ इनकी संस्था ने विशेष कैमरों द्वारा जनपद में पाए जाने वाले अन्य वन्यजीवों के बारे में पता लगाने के लिए एक शोधकार्य शुरू किया। जिसमें कई वन्यजीव ऐसे भी मिले जो उत्तर प्रदेश में पहली बार देखे गए। कार्यक्रम का संचालन मशहूर अभिनेता नसीरुद्दीन शाह ने किया।

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