योगी अनुभव में रमण करते, उसका नाम राम
यथार्थ गीता के मर्मज्ञ स्वामी अड़गड़ानंद महराज ने कहा कि जिसमें योगी लोग रमण करते हैं उसी का नाम है राम। योगी अनुभव में रमण करते हैं। अनुभव भव से अतीत की एक जागृति है। यह बातें महराज ने मंगलवार को क्षेत्र के जयकर कला गांव में स्थित परमहंस आश्रम पर प्रवचन के दौरान कहीं।
जागरण संवाददाता, लालगंज (मीरजापुर) : यथार्थ गीता के मर्मज्ञ स्वामी अड़गड़ानंद महराज ने कहा कि जिसमें योगी लोग रमण करते हैं, उसी का नाम है राम। योगी अनुभव में रमण करते हैं। अनुभव भव से अतीत की एक जागृति है। यह बातें महराज ने मंगलवार को क्षेत्र के जयकर कला गांव में स्थित परमहंस आश्रम पर प्रवचन के दौरान कहीं।
महराज ने मनुष्यों को भगवान का सर्व प्रिय जीव बताते हुए कहा कि Xह्नह्वश्रह्ल;सब मोहि प्रिय सब मम उपजाए, सबते अधिक मनुज मोहि भाए। भगवान ने सबको उपजाया परंतु मनुष्य सबसे प्रिय लगते है। जीवन में योगी के रूप में भगवान श्रीराम के आदर्श पर प्रकाश डालते हुए कहा कि जिसके द्वारा परमात्मा के निर्देश प्राप्त होते हैं, वही राम हैं जो पहले संचालक, पथ प्रदर्शक के रूप में आते हैं। विवेक रूपी लक्ष्मण, भाव रूपी भरत सभी एक-दूसरे के पूरक हैं। प्रारंभ में संकेत इष्ट का निर्देश बहुत संक्षिप्त रहता है। रामबालक होते हैं। किन्तु निज स्वरूप का दिग्दर्शन जन्म योग से ही होता है। योग से रूप की अनुभूति होती है। इसलिए वह जनक है। एक मात्र योग से ही अनन्त आत्माओं ने अपना स्वरूप पाया है। भविष्य में भी योग ही माध्यम है। योग का आश्रय पाकर राम शक्ति से संयुक्त हो जाते है। आसुरी प्रवृत्तियों का शमन कर सर्वव्यापक हो जाते हैं। फिर रामराज की स्थिति चराचर पर छा जाती है। योग का प्रभाव पड़ते ही अनुभव जागृत हो उठते हैं। अनुभव रूप राम शक्ति रूपी सीता से संयुक्त हो जाते हैं। यह योग की प्रवेशिका है। अड़गड़ानंद महराज अपने लय में भजन सुनाते हुए गीता को सर्वश्रेष्ठ ग्रंथ बताया और यथार्थ गीता का अपने प्रवचन में दर्शन कराया। इस दौरान विशला भंडारे का आयोजन किया गया जिसमें भक्तों ने प्रसाद के रूप में ग्रहण किया। इस अवसर पर तुलसी बाबा, राकेश बाबा, वरिष्ठ नंदजी, लाले बाबा, सोहन महराज, कृष्णानंद बाबा, राजाराम महराज, तानसेन बाबा, आशीष बाबा आद मौजूद रहे।