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गत्ते वाले 166 साल पुराने रेलवे टिकट होंगे अलविदा, प्रिंटिंग पर लगी रोक

देश में रेलगाड़ी वर्ष 1832 से चलना शुरू हो गई थी लेकिन यह सिर्फ कॉमर्शियल गतिविधियों के लिए थी। आम जनता को रेल में बैठने का लुत्फ 1853 से मिला।

By Narendra KumarEdited By: Updated: Thu, 06 Jun 2019 07:06 AM (IST)
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गत्ते वाले 166 साल पुराने रेलवे टिकट होंगे अलविदा, प्रिंटिंग पर लगी रोक

मुरादाबाद(प्रदीप चौरसिया)। देश में रेलगाड़ी वर्ष 1832 से चलना शुरू हो गई थी लेकिन, यह सिर्फ कॉमर्शियल गतिविधियों के लिए थी। आम जनता को रेल में बैठने का लुत्फ 1853 से मिला। तब जो टिकट बनते थे वह चौकोर गत्ते के होते थे। यही गत्ते के टिकट अभी तक चल रहे हैं। हालांकि आधुनिक सिस्टम आने के बाद गत्ते वाले सिर्फ सामान्य टिकट में ही प्रयोग में लाए जाते हैं लेकिन, अब रेलवे इन 166 साल पुराने गत्ते वाले टिकटों को अलविदा करने की तैयारी में है। 31 मई से गत्ते वाले टिकट की प्रिंटिंग पर रोक लगा दी है। छोटे व हाल्ट स्टेशनों पर भी अनरिजर्व टिकट सिस्टम (यूटीएस) मशीन से जनरल टिकट की बिक्री कराने की व्यवस्था शुरू की है। मुरादाबाद रेल मंडल में 26 स्टेशनों पर यूटीएस सिस्टम लगाने का काम शुरू हो गया है।

सभी जोनल मुख्यालय पर लगा है सिस्टम

मौजूदा समय में अधिकांश स्टेशनों पर आरक्षण और जनरल टिकट प्रिंटिंग मशीन से मोटे कागज पर दिए जाते हैं। हालांकि दूर दराज के छोटे स्टेशन, जहां बिजली व संचार नेटवर्क उपलब्ध नहीं है वहां पर गत्ते वाला टिकट ही दिए जाते हैं। रेलवे के सभी जोनल मुख्यालय में टिकट प्रिंट करने का सिस्टम लगा हुआ है। उत्तर रेलवे का दिल्ली के शकूर बस्ती में टिकट प्रिंटिंग मशीन लगा हुआ है।

पत्र जारी करके दी जानकारी

रेलवे बोर्ड के डायरेक्टर पैसेंजर एंड मार्केटिंग शैली श्रीवास्तव ने पत्र जारी करके 31 मई से गत्ते वाले टिकट की बिक्री पर रोक लगाने के आदेश दिए हैं। जिन स्टेशनों पर गत्ते वाले टिकट की बिक्री की जा रही है, वहां यूटीएस मशीन लगाने या ई-जनरल टिकट उपलब्ध कराने की व्यवस्था करने के लिए कहा है। इसके बाद मंडल रेल प्रशासन ने गत्ते वाले टिकट की बिक्री पर रोक लगाने की तैयारी शुरू कर दी है। मुरादाबाद रेल मंडल में 26 हाल्ट स्टेशन पर गत्ते वाला टिकट दिया जाता है। इन पर अब यूटीएस मशीन लगाने की तैयार शुरू हो गई है। जून में अधिकांश स्टेशन पर गत्ते वाले टिकट की बिक्री बंद हो जाएगी। जिस हाल्ट पर बिजली नहीं है, वह जुलाई तक सिस्टम स्थापित करने का अंतिम समय दिया गया है। जुलाई के बाद 166 साल पुराने गत्ते वाले टिकट रेलवे से अलविदा हो जाएंगे। प्रवर मंडल वाणिज्य प्रबंधक रेखा ने बताया कि गत्ते वाले टिकट की बिक्री बंद कराने के लिए तेजी से यूटीएस मशीन लगाने का काम किया जा रहा है।  

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