भाजपा-सपा की जोर आजमाइश के बीच बसपा ने मार ली बाजी, कुंदरकी सीट पर खड़ा कर दिया प्रत्याशी, कौन हैं छिद्दा?
कुंदरकी विधानसभा क्षेत्र के उपचुनाव में बसपा ने रफातउल्ला उर्फ नेता छिद्दा को अपना प्रत्याशी घोषित किया है। भाजपा और सपा में टिकट के लिए जोर आजमाइश जारी है लेकिन अभी तक किसी का टिकट फाइनल नहीं हुआ है। जातिगत समीकरण और संगठन में पकड़ टिकट वितरण में महत्वपूर्ण आधार माने जा रहे हैं। 20 अक्टूबर तक भाजपा और सपा के टिकट की घोषणा होने की संभावना है।
जागरण संवाददाता, मुरादाबाद। कुंदरकी विधानसभा क्षेत्र के उपचुनाव में बसपा ने सबसे पहले टिकट की घोषणा करके सियासी पत्ते खोल दिए हैं। बसपा ने संभल के तुर्क नेता रफातउल्ला उर्फ नेता छिद्दा को कुंदरकी विधानसभा क्षेत्र से प्रत्याशी बनाया है। नेता छिद्दा बसपा केडर से पुराने नेता हैं। संभल में उनकी बिरादरी में अच्छी पकड़ बताई जा रही है हालांकि, कुंदरकी से उनका कोई सियासी रिश्ता कभी नहीं रहा है।
भाजपा और सपा के नेताओं में टिकट पाने के लिए जोर आजमाइश चल रही है। दोनों ही दलों के दावेदार लखनऊ से लेकर दिल्ली तक टिकट पाने की पैरवी करा रहे हैं, लेकिन टिकट अभी तक किसी का फाइनल नहीं हुआ है।
भाजपा-सपा के टिकट पर निगाह
दोनों प्रमुख दलों में टिकट को लेकर संशय की स्थिति बनी हुई है। कुंदरकी विधानसभा क्षेत्र में उपचुनाव के दौरान मुकाबला भाजपा और सपा के प्रत्याशियों में ही होना है। इसलिए राजनीति में रुचि रखने वालों की निगाह भाजपा-सपा के टिकट पर भी है।
समाजवादी पार्टी से टिकट की लाइन में कई कद्दावर नेता हैं। सभी अपनी पार्टी में सपा मुखिया के करीबी माने जाने वाले नेताओं से टिकट पाने के लिए पैरवी करा रहे हैं। इसके लिए उनकी टीमें दिल्ली और लखनऊ के चक्कर लगा रही हैं। प्रमुख दावेदारों की एक-एक टीम दिल्ली और लखनऊ में कैंप कर रही है।
शुक्रवार को सपा मुखिया की लोकेशन लेकर दावेदारों के करीबी उन्हें अपडेट करते रहे। बताया जा रहा है कि जैसे ही अखिलेश यादव ने मुंबई के लिए उड़ान भरी फोन आ गया। यह भी पता लग गया कि वह शनिवार को चार बजे तक वापस आएंगे। दिल्ली की टीम भी नेताओं की लोकेशन लेकर अपडेट कर रही है।
भाजपा के नेताओं से कराई जा रही पैरवी
भाजपा के दावेदारों ने भी इसी तरह से अपनी टीमें बड़े नेताओं के आसपास लगा दी हैं। संगठन के उच्च पदों पर बैठे नेताओं से पैरवी कराई जा रही है।
हालांकि, अभी तक किसी का टिकट पक्का नहीं है। बताया जा रहा है कि 20 अक्टूबर तक भाजपा और सपा के टिकट की घोषणा हो सकती है। इसके बाद प्रत्याशियों को नामांकन कराने के लिए पांच दिन का समय मिलेगा।
किसी का पकड़ का दावा, कोई समीकरण भरोसे
बड़े राजनीतिक दलों से टिकट पाने के कई मानक हैं। टिकट के दावेदारों में कुछ नेता संगठन में अपनी मजबूत पकड़ होने का दावा कर रहे हैं। उनका कहना है कि संगठन के भरोसे ही टिकट मिल जाएगा। कुछ नेता जनता के बीच मजबूत पकड़ और पुराने रिश्तों की दुहाई देकर टिकट मांग रहे हैं। वे टिकट के लिए पैरवी भी करा रहे हैं।
यह एक नहीं सभी प्रमुख दलों के नेताओं का हाल है। सपा के दावेदारों का भी यही हाल है। भाजपा के नेता भी इसी के आधार पर टिकट मांग रहे हैं। जातिगत समीकरण भी टिकट वितरण में महत्वपूर्ण आधार माना जा रहा है।
बसपा के पुराने नेता हैं नेता छिद्दा
संभल के रहने वाले रफातउल्ला उर्फ नेता छिद्दा बसपा के पुराने सिपाही हैं। वह बसपा सुप्रीमो मायावती के करीबी माने जाते हैं। उन्हें पार्टी ने असमोली विधानसभा क्षेत्र से भी प्रत्याशी बनाया।
बसपा के टिकट पर उन्होंने संभल विधानसभा क्षेत्र से 1996 में चुनाव लड़ा था, जिसमें उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। उनकी पत्नी 1995 में जिला पंचायत का सदस्य रहीं। 2012 और 2017 में बसपा के टिकट पर संभल विधानसभा क्षेत्र से प्रत्याशी रहे, लेकिन कामयाब नहीं हुए। अब बसपा ने उन्हें कुंदरकी विधानसभा क्षेत्र से प्रत्याशी बनाया है।
बसपा जिलाध्यक्ष वेदप्रकाश सिंह ने बताया कि पार्टी के सीनियर नेताओं ने नेता छिद्दा को टिकट देने की संस्तुति की थी। इस पर बसपा सुप्रीमो ने उन्हें टिकट देने की घोषणा कर दी है। वह मजबूती के साथ चुनाव लड़ेंगे।
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