Amroha Bawankhedi Massacre : फांसी से बेखबर कातिल शबनम, जेल में सिखा रही सिलाई और कढ़ाई
अमरोहा के बावनखेड़ी गांव में अपनों के नरसंहार की दोषी रामपुर जेल की महिला बैरक में बंद है। जुलाई 2019 को उसे मुरादाबाद से लाया गया था तब से वह अन्य महिला कैदियों को हुनर सिखा रही है। फांसी की तैयारियों की उसे अभी जानकारी नहीं दी गई है।
मुरादाबाद, जेएनएन। मां-बाप समेत परिवार के सात लोगों की कातिल शबनम फिलहाल फांसी की तैयारियों से बेखबर है। नए सिरे से शुरू हुई प्रक्रिया की फिलहाल उसे जेल प्रशासन ने कोई जानकारी नहीं दी। ऐसे में वह सामान्य कैदियों की तरह जिला जेल में जिंदगी बसर कर रही है। हां, यहां वह खाली वक्त में अपने हुनर को दूसरों से बांटने की भरसक कोशिश करती रहती है। महिला कैदियों को जहां सिलाई-कढ़ाई सिखाती है तो उनके साथ बंद छोटे बच्चों को पढ़ाती है। मुरादाबाद जेल में रहते हुए भी उसके ये काम सुर्खियां बने थे।
अमरोहा जिले के बावनखेड़ी गांव की शबनम स्कूल में शिक्षा मित्र थी। 14 अप्रैल 2008 की रात उसने प्रेमी सलीम के साथ मिलकर अपने पिता मास्टर शौकत अली, मां हासमी, भाई अनीस व राशिद, भाभी अंजुम, भतीजे अर्श और फुफेरी बहन राबिया की कुल्हाड़ी से गर्दन काटकर हत्या कर दी थी। घटना के बाद से ही मुरादाबाद की जेल में बंद रही, लेकिन जुलाई 2019 में रामपुर भेज दिया गया। तब से ही वह रामपुर जेल की महिला बैरक में बंद है। इन दिनों उसके साथ करीब 50 महिलाएं बंद हैं। सभी के साथ उसका व्यवहार अच्छा है। हालांकि, वह ज्यादातर गुमसुम रहती है। उसने जो घोर अपराध किया है, उस पर भी पछतावा करती है। बैरक में महिला कैदियों के साथ दो बच्चे भी हैं। उन्हें दुलारती है और पढ़ाती भी है। इसके अलावा महिला कैदियों को सिलाई और कढ़ाई भी सिखाती है। उसे शीघ्र ही फांसी होने जा रही है, इससे वह पूरी तरह अनजान है। इन दिनों उसका स्वास्थ्य ठीक नहीं है। जेल के चिकित्सालय में इलाज चल रहा है। जेल चिकित्सक डा. उसमान ने बताया कि शबनम को मौसम परिवर्तन के समय होने वाली खांसी जुकाम जैसे सामान्य लक्षण हैं, जिसके लिए उसे दवा दी गई है।
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