Amroha Bawankhedi Massacre : शबनम के चाचा और चाची बोले, माफ नहीं सात खून, अब मिलेगा इंसाफ
Amroha Bawankhedi Massacre सत्तार अमरोहा के हसनपुर इलाके के बावनखेड़ी गांव में भाई के उसी मकान में रह रहे हैैं। जहां कभी खूनी खेल खेला गया था। आज भी उस नरसंहार को याद कर वह सहम जाते हैं।
मुरादाबाद, जेएनएन। नरसंहार के इतने साल बाद फिर से अमरोहा के बावनखेड़ी गांव में रूह कंपा देने वाली घटना की यादें ताजा हो गईं। दोषी शबनम एवं सलीम की रिव्यू पिटीशन सुप्रीम कोर्ट से खारिज होने और फांसी की तैयारी संबंधी सूचना पर शबनम के चाचा सत्तार अली एवं चाची फातिमा के आंसू छलछला उठे। बोले, हमारे अपनों के सात खून किसी हाल में माफ नहीं किए जा सकते। दोषियों को फांसी के बाद ही हमारे दिल को सुकून मिलेगा।
सत्तार फिलहाल गांव में भाई के उसी मकान में रह रहे हैैं, जहां शबनम और उसके प्रेमी ने खूनी खेल खेला था। उनका कहना है कि शबनम व सलीम ने जो कृत्य किया है, वह हैवानियत की इंतहा है। दरअसल गांव बावन खेड़ी निवासी शिक्षक शौकत अली की शिक्षामित्र बेटी शबनम का घर के सामने आरा मशीन पर मजदूरी करने वाले सलीम से प्रेम प्रसंग था। 14 अप्रैल 2008 की रात को दोनों ने मिलकर पिता शौकत अली मां हाशमी, इंजीनियर भाई अनीश, भाभी अंजुम, भाई राशिद, फुफेरी बहन राबिया की कुल्हाड़ी से गला काटकर तथा 11 माह के भतीजे अर्श की गला घोंटकर हत्या कर दी थी। 19 अप्रैल को हसनपुर कोतवाली पुलिस ने सलीम को गिरफ्तार कर तालाब से हत्या में प्रयुक्त कुल्हाड़ी तथा खून से सने कपड़े बरामद किए थे। बाद में शबनम को भी गिरफ्तार कर दोनों को जेल भेज दिया था।
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