Cartridge Scam : यूपी के चर्चित कारतूस घोटाले में एसटीएफ के हेड कांस्टेबल तलब, 30 को होगी सुनवाई
देश के चर्चित कारतूस घोटाले में 11 साल बाद भी गवाही की प्रक्रिया पूरी नहीं हो सकी है। अदालत ने कारतूस घोटाले का पर्दाफाश करने वाली एसटीएफ की टीम में शामिल हेड कांस्टेबल को गवाही के लिए तलब किया है।
By Narendra KumarEdited By: Updated: Thu, 15 Jul 2021 10:28 AM (IST)
मुरादाबाद, जागरण संवाददाता। प्रदेश के चर्चित कारतूस घोटाले में 11 साल बाद भी गवाही की प्रक्रिया पूरी नहीं हो सकी है। अदालत ने कारतूस घोटाले का पर्दाफाश करने वाली एसटीएफ की टीम में शामिल हेड कांस्टेबल को गवाही के लिए तलब किया है। इस मामले में 30 जुलाई को सुनवाई होगी।
गौरतलब है कि एसटीएफ लखनऊ ने 29 अप्रैल 2010 को कारतूस घोटाले का पर्दाफाश किया था। एसटीएफ की टीम ने रामपुर के ज्वालानगर रेलवे क्रासिंग के पास घोटाले के सूत्रधार पीएसी से सेवानिवृत्त दारोगा यशोदा नंद को गिरफ्तार किया था। उसके साथ सीआरपीएफ के दो जवान भी पकड़े गए थे। एसटीएफ को तीनों के कब्जे से 1.76 लाख रुपये और ढाई क्विंटल खोखा कारतूस बरामद हुए थे। पुलिस ने तीनों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर जांच की तो घोटाले में दूसरे जिलों के आर्मरर के नाम भी सामने आए। कुछ सिविलियन भी इसमें शामिल थे। पुलिस ने 26 नामों का खुलासा किया। ये सभी गिरफ्तार हुए थे। वर्तमान में सभी आरोपित जमानत पर हैं। इनके खिलाफ पुलिस ने आरोप पत्र अदालत में दाखिल किया था। इन सभी पर शस्त्रागारों से कारतूस खोखा चोरी करने का आरोप है। इन कारतूसों को यशोदा नंद खरीद लेता था और बाद में उन्हें नक्सलियों को सप्लाई करता था। सभी आरोपितों के खिलाफ स्थानीय न्यायालय में मुकदमा चल रहा है। कारतूस घोटाले के मुख्य सूत्रधार यशोदानंद का निधन हो चुका है। इस मामले में बुधवार को सुनवाई हुई। रामपुर के सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता कुमार सौरभ ने बताया कि इस मामले में एसटीएफ के हेड कांस्टेबल मिथलेश कुमार झा की गवाही होनी है। कोर्ट ने गवाही के लिए तलब किया है।
यह भी पढ़ें :-
प्रेमिका से मिलने की ऐसी ललक, युवक ने साड़ी पहन किया पूरा श्रृंगार, घूंघट हटते ही मच गया चोर का शोर
Cyber Crime : फेसबुक चलाते हैं तो जान लीजिए ये जरूरी बातें, इस तरह पता लगाएं कौन इस्तेमाल कर रहा आपकी आइडी
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।