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यूपी का एक सरकारी अस्पताल जहां मरीजों को नहीं मिल पा रही दवा, वजह जानकर हो जाएंगे हैरान

De Addiction Drug Finished in Moradabad District Hospital नशे की लत में जीवन बर्बाद कर रहे लोगों को इससे मुक्ति दिलाने के लिए चलाए जा रहे अभियान पर भी लापरवाही हावी है। ऐसे मरीजों को ओपियाड सब्सिट्यूट थैरेपी ओएसटी में अपने सामने दवा खिलाई जाती है।

By Samanvay PandeyEdited By: Updated: Wed, 08 Jun 2022 09:54 AM (IST)
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De Addiction Drug Finished in Moradabad District Hospital : 474 नशे के आदी जिला अस्पताल के ओएसटी सेंटर में पंजीकृत
मुरादाबाद, जेएनएन। De Addiction Drug Finished in Moradabad District Hospital : नशे की लत में जीवन बर्बाद कर रहे लोगों को इससे मुक्ति दिलाने के लिए चलाए जा रहे अभियान पर भी लापरवाही हावी है। जिला अस्पताल में ऐसे मरीजों की काउंसिलिंग के साथ ही उन्हें ओपियाड सब्सिट्यूट थैरेपी (नशे के इंजेक्शन के स्थान पर खाने की दवा का सेंटर) ओएसटी में अपने सामने दवा खिलाई जाती है।

मंगलवार को दवा का स्टाक खत्म होने की वजह से किसी भी मरीज को दवा नहीं खिलाई जा सकी। प्रतिदिन 200 के करीब मरीज वापस किए गए। जिला अस्पताल में नशा से मुक्ति के लिए मरीज को अपने सामने ही डाक्टर दवा खिलाते हैं। यह दवा अब खत्म हो गई है। जिला अस्पताल की तीसरी मंजिल पर बने ओपियाड सब्सिट्यूट थैरेपी ओएसटी में 474 नशे की आदी पंजीकृत हैं। 2014 से संचालित सेंटर में प्रतिदिन 200 मरीजों को दवा अपने सामने खिलाई जाती है।

107 का इलाज पूरा हो चुका है। मंगलवार को दवा खत्म होने के बाद स्टाफ भी इन्कार कर रहा है कि दवा मिलेगी या नहीं इसका कुछ पता नहीं है। सुबह से दोपहर तक नशे से पीड़ित मरीजों को दुश्वारी का सामना करना पड़ रहा है। प्रबंधन का दावा है कि लखनऊ संपर्क करने के बाद भी वहां से कोई जवाब नहीं मिला है। बहरहाल अब मरीजों के सामने दुश्वारी खड़ी हो गई है कि वह दवा कैसे खाएंगे।

डिफाल्टर के घर जाती है टीमः जो नशेड़ी दवा खाने के कुछ दिन बाद ही छोड़ देते हैं। ऐसे मरीजों को डिफाल्टर सूची में डालने के साथ ही स्वयं सेवी संस्था सदस्यों के साथ टीम का एक सदस्य माह में चार उसके घर जाता है। वहां मरीज और उसके परिजनों से बातचीत करके दोबारा दवा शुरू करने की सलाह दी जाती है। जिससे मरीज नशे की आदत को छोड़ सके।

दवा के लिए होता है हंगामाः जिला अस्पताल की तीसरी मंजिल पर बने ओपियाड सब्सिट्यूट थैरेपी ओएसटी में दवा छीनने का प्रयास किया जाता है। अस्पताल स्टाफ किसी भी मरीज को दवा नहीं देता है।

यह है नियमः नशे की आदत छुड़ाने के लिए दवा स्वास्थ्य कर्मचारी अपने सामने ही खिलाते हैं। यह दवा घर के लिए नहीं दी जाती है। मरीज के मुंह में दवा डालने के बाद पानी भी वहीं पिलाया जाता है। यह दवा खाने के लिए प्रतिदिन मरीज को जिला अस्पताल के ओएसटी सेंटर में ही बुलाया जाता है।

क्या कहते हैं अधिकारीः चिकित्सा अधीक्षक डॉ. राजेंद्र कुमार ने बताया कि ओपियाड सब्सिट्यूट थैरेपी की दवा मंगलवार को खत्म हो गई। यहां से दवा के लिए पिछले माह से रिमाइंडर भेजे जा रहे हैं। इसके बाद भी कोई व्यवस्था नहीं कराई गई है।

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