Dev Diwali 2022 पर कैसे करें पूजन, क्या है शुभ मुहूर्त और महत्व यहां जानें सब कुछ
Dev Diwali 2022 दीपावली के 15 दिन बाद देव दीपावली का पर्व मनाया जाता है। दीपावली की ही तरह देव दीपावली का भी सनातन हिंदू धर्म में काफी महत्व है। सम्पूर्ण भारत इस त्योहार को बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है।
Dev Diwali 2022 : दीपावली के 15 दिन बाद देव दीपावली का पर्व मनाया जाता है। दीपावली की ही तरह देव दीपावली का भी सनातन हिंदू धर्म में काफी महत्व है। इस पर्व को भी हम दीपों का पर्व कहते हैं। सम्पूर्ण भारत इस त्योहार को बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है।
चंद्र ग्रहण के कारण देव दीपावली की तिथि को लेकर असमंजस
ज्योतिषाचार्य पं ऋषिकेश शुक्ल ने बताया कि हिंदू धर्म शास्त्र एवं पंचांग के अनुसार कार्तिक मास की पूर्णिमा तिथि के दिन देव दीपावली का पर्व मनाया जाता है। लेकिन, इस वर्ष इस दिन चंद्र ग्रहण (2022) भी पड़ रहा है। ऐसे में देव दीपावली की तिथि को लेकर कुछ असमंजस की स्थिति बनी हुई है।
कब मनाई जाएगी देव दीपावली
ग्रहण होने के कारण इस वर्ष सात नवंबर को देव दीपावली मनाई जाएगी। मान्यता है कि इस दिन देवता काशी की पवित्र भूमि पर उतरते हैं और दीपावली मनाते हैं। काशी में गंगा नदी के तट पर एवं अन्य नदियों के तट पर दीपों का ये उत्सव मनाया जाता है। इस दौरान वहां बहुत सजावट होती है। गंगा घाट पर हर ओर मिट्टी के दीपक प्रज्ज्वलित किए जाते हैं।
देव दीपावली की पूजा का शुभ मुहूर्त
- कार्तिक पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ - 7 नवंबर 2022 को शाम 04 बजकर 12 मिनट से शुरू
- कार्तिक पूर्णिमा तिथि समाप्त - 8 नवंबर 2022 को शाम 04 बजकर 35 मिनट तक
- प्रदोष काल देव दीपावली मुहूर्त - शाम 05 बजकर 120मिनट से 07 बजकर 45 मिनट तक
- अभिजीत मुहूर्त- सुबह 11:42 से दोपहर 12:27 मिनट तक
देव दीपावली का महत्व
धर्म शास्त्र के मान्यता के अनुसार कार्तिक मास की पूर्णिमा तिथि को ही भगवान शिव से त्रिपुरासुर राक्षस का वध किया था। इसी कारण इस दिन को खुशियों के रूप में मनाया जाता है। इस राक्षस के वध होने पर देवी-देवताओं ने खुशियां मनाई थी और काशी के तट पर एवं अन्य नदियों के तट पर दीपक जलाए थे। इसी कारण हर साल इस दिन दीपदान और नदी में स्नान करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है।
देव दीपावली की पूजा विधि
किसी भी शिव मंदिर में जाकर विधिवत षोडशोपचार पूजन करें। गौघृत का दीप करें, चंदन की धूप करें, अबीर चढ़ाएं, खीर पूड़ी, गुलाब के फूल चढ़ाएं। चंदन से शिवलिंग पर त्रिपुंड बनाएं और बर्फी का भोग लगाएं। इसके बाद इस मंत्र का जाप करें- 'ऊं देवदेवाय नम शुभ एवं कल्याणकारी होगा