मुरादाबाद में सात जगह सजते हैं Durga Puja पंडाल, षष्ठी से दशमी तक जानें क्या-क्या होगा
Durga Puja 2022 दुर्गा पूजा महोत्सव का शुभारंभ एक अक्टूबर को नवरात्र की षष्ठी तिथि से शुरू होगा। बंगाली समुदाय के लोग मुरादाबाद में दुर्गा पूजा की तैयारियां एक महीने पहले से करना शुरू कर देते हैं।
By Samanvay PandeyEdited By: Updated: Fri, 30 Sep 2022 12:57 PM (IST)
मुरादाबाद, जेएनएन। Durga Puja 2022 : दुर्गा पूजा महोत्सव का शुभारंभ एक अक्टूबर को नवरात्र की षष्ठी तिथि से शुरू होगा। बंगाली समुदाय के लोग मुरादाबाद में दुर्गा पूजा की तैयारियां एक महीने पहले से करना शुरू कर देते हैं। कोलकाता के आधा दर्जन कलाकार शहरभर में लगने वाले आधा दर्जन पंडाल के लिए दुर्गा मां की मूर्ति कांशीराम नगर स्थित कालीबाड़ी में तैयार कर रहे हैं।
रेलवे कालोनी में मनोरंजन सदन, कांशीराम नगर स्थित कालीबाड़ी, लाइनपार स्थित साईं सेलीब्रेशन, शहनाई मंडप, दीनदयाल नगर स्थित सद्भावना पार्क, मंडी चौक में दुर्गा पूजा महोत्सव होगा। दुर्गा पूजा में बंगाल के ही पंडित विधि विधान से पूजा करते हैं।
षष्ठी से लेकर दसवीं तिथि का महत्व
- षष्ठी : इस दिन मां दुर्गा की मूर्ति की स्थापना करके आमंत्रण करते हैं। एक तरह से मां का आदिवास होता है।
- सप्तमी : इस दिन मां का बोधन होता है और प्राण प्रतिष्ठा करके क्षशु दान किया जाता है। पुष्पांजलि कार्यक्रम होता है। इसमें लोग व्रत रखते हैं और मां की आराधना करके आह्वान करेंगे। दोपहर को भंडारा और रात को धुनुची नृत्य के अलावा अन्य सांस्कृतिक कार्यक्रम होंगे।
- अष्टमी : अष्टमी पूजन के बाद पुष्पांजलि होगी और इसके बाद संधि पूजन होगा। संधि पूजन में 108 दीपक व 108 कमल के फूलों के साथ मां दुर्गा की पूजा होगी।
- नवमी : नवमी पूजन के साथ ही पुष्पांजलि होगी। हवन व भंडारा होता है। रात को धुनुची नृत्य और अन्य सांस्कृतिक कार्यक्रम होंगे।
- दसमी : दसवीं पर पुष्पांजलि होगी और पीतल की परात में पानी भरकर आयना हाथ में लेकर मां की मूर्ति का सांकेतिक विसर्जन होता है और अखंड सौाग्यवती बने रहने को महिलाएं सिंदूर उत्सव खेलती हैं। एक दूसरे के सिंदूर लगाती हैं। तत्पश्चात नदी में मां की मृति का विसर्जन होता है।
दुर्गा पूजा में धुनुची नृत्य
दुर्गा पूजा में धुनुची नृत्य महाशक्ति की ऊर्जा बढ़ाने के लिए किया जाता है। धुनुची नृत्य में खोखले नारियल में हवन सामग्री रखकर हाथ में नृत्य करते हैं। महिलाएं इस नृत्य में विशेषकर हिस्सा लेती हैं। सप्तमी की शाम से धुनुची नृत्य शुरू होता है और नवमी की रात तक चलता है।दुर्गा पूजा की विशेषता
दुर्गा मां दुखों का नाश करती हैं। मां दुर्गा ने दुर्गमासुर यानि महिषासुर का वध के विजय प्राप्त की थी। जिससे दुर्गमासुर से महाशक्ति का नाम दुर्गा पड़ा। दुर्गा पूजा बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। मां का आह्वान करने के लिए भव्य पांडाल सजते हैं। मुरादाबाद में करीब 5,000 परिवार बंगाली समुदाय के अलग-अलग क्षेत्र में रहते हैं।
संधि पूजा की विशेषता
अष्टमी को विशेष रूप से संधि पूजा होती है। यानि अष्टमी और नवमी के मध्य करीब 48 मिनट की पूजा होती है। इस दिन मां दुर्गा का आशीर्वाद मिलता है। मान्यता है कि इस दौरान चंड और मुंड माता चामुंडा राक्षसों को मारने के लिए प्रकट हुए थे। चंड और मुंड ने माता चामुंडा की पीठ पर वार किया था। जिससे क्रोध में माता ने दोनों का वध कर दिया था। उस समय अष्टमी और नवमी का संधि काल था।मनोरंजन सदन की दुर्गा पूजा
सर्वजनिन बंगाली एसोसिएशन के सदस्य सचिव सौरभ चक्रवर्ती कहते हैं कि मनोरंजन सदन में 87 साल से दुर्गा पूजा विधिविधान से होती है। मां दुर्गा की मूर्ति एक महीने से काशीराम नगर स्थित कालीबाड़ी मंदिर में तैयार हो रही है। करीब करीब पांच फीट की मूर्ति पर 30000 रुपये का खर्च आएगा। हर्षोउल्लास से दुर्गा पूजा महोत्सव मनाते हैं।
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