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संघर्ष से सफलता की कहानी लिखने का नाम हैं इल्मा अफ़रोज़, विदेश की नौकरी छोड़ देश में आईं- फिर बनीं IPS

हिमाचल प्रदेश कैडर की आइपीएस अफसर इल्मा बतौर बद्दी जनपद की पुलिस कप्तान होते हुए अचानक से छुट्टी पर आने के चलते सुर्खियों में है। मुरादाबाद के जिस कुंदरकी कस्बे से वह आती हैं यहां वर्तमान में विधानसभा क्षेत्र उप चुनाव है। भाजपा प्रत्याशी रामवीर सिंह ने अपने फेसबुक अकाउंट पर इल्मा प्रकरण के सहारे कांग्रेस व सपा सरकार को घेरा है।

By Jagran NewsEdited By: Mohammed Ammar Updated: Fri, 15 Nov 2024 08:09 PM (IST)
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आईपीएस इल्मा इफरोज पिछले काफी दिनों से सोशल मीडिया पर छाई हुई हैं।
जागरण संवाददाता, मुरादाबाद। इल्मा अफ़रोज़। भारतीय पुलिस सेवा (आइपीएस) 2018 बैच की अधिकारी। यह वह नाम है जिसने साल 2018 में अपनी मेहनत से सभी को चौंका दिया था। उनकी कहानी न केवल कड़ी मेहनत और समर्पण का प्रमाण है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि कैसे संघर्ष और चुनौतियों से पार पाकर कोई भी सफलता हासिल कर सकता है।

हिमाचल में थीं एसपी के पद पर तैनात, अभी आ गईं घर

हिमाचल प्रदेश कैडर की आइपीएस अफसर इल्मा बतौर बद्दी जनपद की पुलिस कप्तान होते हुए अचानक से छुट्टी पर आने के चलते सुर्खियों में है। मुरादाबाद के जिस कुंदरकी कस्बे से वह आती हैं, यहां वर्तमान में विधानसभा क्षेत्र उप चुनाव है। भाजपा प्रत्याशी रामवीर सिंह ने अपने फेसबुक अकाउंट पर इल्मा प्रकरण के सहारे कांग्रेस व सपा सरकार को घेरा है।

लिखा कि सपा व कांग्रेस अपने स्वार्थ के लिए मुस्लिम समुदाय की भावनाओं से खिलवाड़ कर रही है। इधर, घर पर परिवार संग समय बिता रहीं इल्मा इन सब सुर्खियों से खुद को दूर रख रहीं हैं। बातचीत में हिमाचल प्रकरण से लेकर स्थानीय चुनाव में नेताओं द्वारा उनके नाम को मुद्दा बनाए जाने पर कुछ भी बोलने से इन्कार किया। इस बीच हर कोई अफसर बेटी की कहानी को जानना चाहता है। आइए जानते हैं अफसर बेटी इल्मा की कहानी :

देश सेवा के लिए छोड़ दी विदेश में नौकरी 

दरअसल, कुंदरकी कस्बे में जन्मी इल्मा एक साधारण किसान परिवार से आती हैं। उनके पिता स्वर्गीय काज़ी अफ़रोज़ अहमद एक किसान थे। पिता के असमय निधन के बाद उनकी मां सुहैला अफ़रोज़ ने अकेले ही इल्मा और उनके छोटे भाई अरफ़ात अफ़रोज़ की परवरिश की।

सुहैला अफ़रोज़ एक साहसी और आत्मनिर्भर महिला हैं, जिन्होंने अपनी कठिन परिस्थितियों को बच्चों की प्रगति में बाधा बनने नहीं दिया। उन्होंने बच्चों को बचपन से ही कड़ी मेहनत और ईमानदारी का महत्व समझाया और देश की सेवा करने के लिए प्रेरित किया।

दिल्ली के सेंट स्टीफन्स कॉलेज से की ग्रेजुएशन

बच्चों में उसकी छाप दिखी। इल्मा अफ़रोज़ की शिक्षा देश और विदेश दोनों जगहों पर हुई। उन्होंने दिल्ली के प्रतिष्ठित सेंट स्टीफ़न्स कालेज से स्नातक की पढ़ाई पूरी की। इसके बाद उन्होंने दुनिया के प्रसिद्ध विश्वविद्यालय आक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी से उच्च शिक्षा प्राप्त की।

आक्सफ़ोर्ड से पढ़ाई पूरी करने के बाद इल्मा ने संयुक्त राष्ट्र में कार्य अनुभव प्राप्त किया लेकिन, विदेश में एक शानदार करियर होने के बावजूद उनका दिल हमेशा अपने देश के लिए धड़कता रहा। देश सेवा के लिए ही विदेश में कार्य अनुभव और शिक्षा प्राप्त करने के बाद इल्मा ने भारत लौटकर सिविल सेवा परीक्षा 2017 पास की और आइपीएस अधिकारी बनीं। हिमाचल काडर के लिए चयन हुआ।

आपदाओं से निपटने में असाधारण प्रदर्शन

हिमाचल प्रदेश में तैनाती के दौरान उन्होंने राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (एसडीआरएफ) की कमान संभाली। उनके कुशल नेतृत्व में बल ने आपदाओं से निपटने में असाधारण प्रदर्शन किया। फिर बद्दी पुलिस जिले में बतौर एसपी, इल्मा कानून और व्यवस्था बनाए रखने के साथ-साथ समाज में बदलाव लाने की दिशा में भी काम किया।

450 बच्चों को शिक्षा की रोशनी देने का संकल्प

इंग्लैंड की प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटी आफ यार्क के न्यूज़लेटर में उल्लेखित पुलिस अधीक्षक के रूप में अपनी व्यस्त दिनचर्या के बावजूद इल्मा अफ़रोज़ ने एक ऐसी पहल की, जो पूरे देश के लिए मिसाल बन गई। पुलिस ज़िला बद्दी में उन्होंने हर शाम अपने कार्यालय में 450 झुग्गी-बस्तियों के बच्चों को शिक्षित करने का जिम्मा उठाया।

प्रतिदिन कार्यालय समय के बाद एसपी कार्यालय बद्दी में लगभग 450 बच्चों के लिए कक्षाएं आयोजित करतीं, जिनमें से कई बच्चे अनाथ या दिव्यांग हैं। उन्होंने व्यक्तिगत रूप से इन वंचित बस्तियों के बच्चों को आत्मनिर्भर और आत्मविश्वासी नागरिकों के रूप में ढालने का संकल्प लिया, ताकि ये बच्चे राष्ट्र की शक्ति बन सकें।

महिला सशक्तिकरण की मिसाल

इल्मा न केवल अपने काम के लिए समर्पित हैं, बल्कि महिलाओं और बच्चों के लिए प्रेरणा स्रोत भी हैं। वह महिलाओं की सुरक्षा, बच्चों की शिक्षा और समाज में कानून के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए विशेष प्रयास करती हैं। उनका जीवन इस बात का उदाहरण है कि मेहनत, आत्मविश्वास और ईमानदारी से कोई भी अपनी मंज़िल तक पहुंच सकता है। एक किसान की बेटी से लेकर आक्सफ़ोर्ड ग्रेजुएट और आइपीएस अधिकारी बनने तक का सफर प्रेरणादायक है।

सुहैला अफ़रोज़ ने जिस तरह से अपने बच्चों की परवरिश की और इल्मा को आगे बढ़ने का हौसला दिया, वह हर मां के लिए मिसाल है। इल्मा का संघर्ष और सफलता का सफर हर युवा को यह सिखाता है कि हालात चाहे कितने भी मुश्किल क्यों न हों, हार मानने का सवाल ही नहीं उठता। “संघर्ष से मिली सफलता सबसे प्यारी होती है, क्योंकि वह मेहनत और जज़्बे की गवाह होती है।” इल्मा अफ़रोज़ का जीवन इसी कथन का जीता-जागता उदाहरण है।

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