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Hello Doctor: छह माह तक बच्‍चों को अवश्‍य पिलाएं मां का दूध, जंकफूड से दूरी और पौष्टिक आहार से रखें स्‍वस्‍थ

इसके साथ ही बच्चों को मोबाइल एडिक्ट होने से बचाएं और पौष्टिक आहार खूब खिलाएं। बच्चों की मनमर्जी नहीं चलने दें। बच्चे को एक गिलास सुबह-शाम दूध दें। इसके साथ ही सर्दी जुकाम आदि में बच्चों को एंटीबायोटिक दवा का सेवन न कराएं।

By Mehandi HasanEdited By: Vivek BajpaiUpdated: Mon, 28 Nov 2022 03:01 PM (IST)
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दैनिक जागरण के कार्यक्रम में पाठकों के सवालों के जवाब देते बाल रोग विशेषज्ञ डा. शलभ अग्रवाल। जागरण
मुरादाबाद, जागरण संवाददाता। रविवार को दैनिक जागरण कार्यालय में हुए हेल्थ टाक में बाल रोग विशेषज्ञ डा. शलभ अग्रवाल ने पाठकों को बताया कि बच्चों की सेहत के लिए बाहर का दूध ठीक नहीं है। छह माह तक मां का दूध बच्चे को पिलाएं। इसके बाद बच्चे को पौष्टिक आहार जैसे चावल की माड़ का पानी, खिचड़ी, दलिया आदि देना शुरू कर दें। छह माह के बाद बच्चे को कटोरी-चम्मच से खाना खिलाना शुरू करें। बच्चे को आदत पड़ेगी। इससे उसकी सेहत में सुधार होगा।

इसके साथ ही बच्चों को मोबाइल एडिक्ट होने से बचाएं और पौष्टिक आहार खूब खिलाएं। बच्चों की मनमर्जी नहीं चलने दें। बच्चे को एक गिलास सुबह-शाम दूध दें। इसके साथ ही सर्दी जुकाम आदि में बच्चों को एंटीबायोटिक दवा का सेवन न कराएं। इससे बच्चे को दिक्कत हो सकती है। सर्दी-जुकाम दो से तीन दिन में ठीक हो जाता है।

यह करें

  • नवजात से छह माह तक बच्चे को मां का ही स्तनपान कराएं।
  • बच्चे को बोतल-डिब्बे वाला दूध नहीं दें।
  • छह माह पूरे होने पर उसे कटोरी-चम्मच से खिचड़ी आदि खिलाएं।
  • वायरल इंफेक्शन में बच्चे को एंटी बायोटिक दवा नहीं देनी है।
  • बच्चे के आहार का पूरा ध्यान रखें।
  • बच्चे में ठोस आहार जाने से उसकी शारीरिक, मानसिक स्थिति बढ़ेगी।

डायपर की वजह से पता नहीं चलता कब्ज

आधुनिक होने की वजह से अधिकतर मां बच्चे को डायपर पहना देती हैं। इससे बच्चे को पेशाब कम-ज्यादा या पोटी कैसी हो रही है। पता नहीं चलता है। बच्चे को लगातार यह समस्या बनी रहने से बाद में बहुत परेशानी होती है। इससे बच्चे का शारीरिक, मानसिक विकास नहीं होता और उसे भूख भी नहीं लगती है। 12 से 14 साल की उम्र के बच्चों में खून की कमी भी देखने को मिल रही है। उन बच्चों के खून का रंग भी हलका होता है और विटामिन, बी-12 की भी कमी हो जाती है। बच्चों छह माह के बाद से आयरन देना शुरू कर दें।

प्रश्न : मेरी नातिन ढाई वर्ष की है। खांसी-जुकाम के साथ ही दस्त भी हो रहे हैं।

उत्तर : आपकी नातिन को वायरल वजह से यह समस्या हो रही है। जुकाम के लिए आप नेजल ड्राप डालें। कुछ दवाएं डाक्टर की सलाह से दें। इसके अलावा दस्तों के लिए ओआरएस का घोल नियमित पिलाएं। विंटर डायरिया दो से तीन दिन में ठीक हो जाएगा। इसके लिए चावल की माड़ का पानी, नारियल पानी, मूंग की दाल की खिचड़ी आदि का सेवन कराएं। इसमें बच्चे को दूध नहीं देना है। दिक्कत हो तो चिकित्सक से लगातार परामर्श भी करते रहें।

प्रश्न : मेरा सात साल का बेटा है। उसके कान के पीछे गांठ है।

उत्तर : जिन गांठों का साइज कम या ज्यादा होता रहे तो वह गांठे टीबी की बीमारी की नहीं होती हैं। इसलिए सबसे पहले तो आपको घबराने की जरूरत नहीं है। आपको अपने बच्चे के आहार पर ध्यान देना है। मोटा अनाज, छिलके वाले फल, हरी सब्जियां खिलाएं। जंकफूड बिलकुल नहीं खाने देना है। मेदा पेट के लिए सबसे खतरनाक है। बच्चे को प्रतिदिन नियमित शौच जाने की आदत डालिये। नित दिनचर्या की आदत होने से पेट साफ रहेगा तो बच्चे की आधी से अधिक परेशानी वैसे ही दूर हो जाएगी।

प्रश्न : मेरी तीन साल की बेटी है। उसे जुकाम की परेशानी है। दस्त भी हो रहे हैं।

उत्तर : विंटर में इस तरह की समस्या बच्चों में देखने को मिलती है। इसके साथ ही बेटी को चावल की माड़ का पानी, नारियल का पानी और ओआरएस का घोल देते रहें। इसके अलावा जिंक ड्राप लगातार 14 दिन तक देना है। बाल रोग विशेषज्ञ से परामर्श कर लें। वह जो दवा लिखें उसे समयानुसार देते रहें। इससे आपकी बच्ची की सेहत में सुधार हो जाएगा। बाहरी खानपान से बच्चे को दूर रखें।

प्रश्न : मेरी चार साल की बेटी है। दूध नहीं पी रही है।

उत्तर : आपकी बच्ची को एक-एक कप सुबह-शाम दूध काफी है। इसके अलावा आप उसे नार्मल खुराक खिलाएं। जैसे दाल, चावल, हरी सब्जियां, फल आदि संतुलित आहार देने से उसकी सेहत भी ठीक होगी और बिना जरूरत दूध पिलाने न पिलाएं। बच्चे को खाना खिलाने के बाद कुछ देर बाहर खेल में भी लगाएं। पिज्जा, बर्गर आदि चीजें सेहत के लिए ठीक नहीं हैं। इसलिए उसके खानपान पर पूरा ध्यान देने की जरूरत है।

प्रश्न : मेरी आठ माह की भांजी है। एक-दो दिन से जुकाम हो रहा है।

उत्तर : आप एक नेजल ड्राप लेकर बच्ची की नाक में डालें। इसमें कोई दवा नहीं होती है। बल्कि नमक पानी होता है। जिससे नाक में फंसा म्यूकस साफ हो जाता है। इसे आप कई बार भी डाल सकते हैं। नाक का रास्ता खुलने से बच्ची दूध भी पी लेगी और उसे सांस लेने में भी परेशानी नहीं होगी। इसके अलावा एक टेम्प्रेचर मीटर भी मंगवाकर रख लें। 99 से ऊपर है तो बुखार की दवा देनी होगी। अगर इससे नीचे है तो दवा नहीं देनी है। कई बार बच्चों का शरीर कहीं गर्म तो कहीं ठंडा होता है। इस वजह से गंभीर होने की जरूरत नहीं है। बुखार माप लेंगे तो यह समस्या भी दूर होगी।

इन्होंने पूछे प्रश्‍न

मुहल्ला डिप्टी गंज से सुरेश चंद्र सक्सेना, आशीष गुप्ता, अगवानपुर से प्रेमपाल सिंह, बिलारी रुस्तमनगर सहसपुर से वीनू कुमार सक्सेना, मोरा की मिलक से राजीव कुमार, दौलतबाग से मुहम्मद फहीम, हरथला से मुबीन, तहसील स्कूल से मुहम्मद फैसल, कांशीराम नगर से राबिया, चक्कर की मिलक से शमशाद, करूला दस सराय से रवि कुमार आदि ने प्रश्न किये।

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