आपातकाल में आजम खां को लगा, जैसे कब्र में पहुंच गए Rampur News
देश में जब इमरजेंसी लगी तब आजम खां अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में छात्र संघ के महासचिव थे। उन्होंने महासचिव बनते ही कांग्रेस का विरोध शुरू कर दिया था।
By Narendra KumarEdited By: Updated: Sat, 29 Jun 2019 03:12 PM (IST)
रामपुर (मुस्लेमीन)। आपातकाल के वो काले दिन, उन्हे याद कर आज भी गुस्सा आता है। सांसद आजम खां ऐसी कोठरी में बंद थे जो कब्र की तरह थी। पांच गुणा आठ फीट की इस कोठरी में न तो धूप पहुंचती थी और न हवा। सिर्फ अंधेरा ही अंधेरा था। यह जमीन से भी छह फीट नीची थी। इसी कोठरी में मिट्टी के कुंडेले में राख रखी रहती थी, जिसमें लेट्रीन करते थे। इसे रोज उठाया भी नहीं जाता था। इस कारण कोठरी में दुर्गंध रहती थी। पायजामे का नाड़ा भी जेल कर्मियों ने निकाल लिया था, ताकि उससे गले में फंदा डालकर फांसी न लगा सकें। शेव भी नहीं बनती थी, ऐसे हालात में चेहरे का हुलिया ही बदल गया था। आपातकाल के दिनों को याद करते हुए आजम खां भावुक हो जाते हैं। कहते हैं यू तो 19 महीने जेल में बिताए, लेकिन इस कोठरी में 20 दिन इतने बुरे गुजरे कि उन्हे भुलाए भी नहीं भूल पाते।
कांग्रेस विरोधी होने के कारण गए जेलदेश में जब इमरजेंसी लगी तब आजम खां अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में छात्र संघ के महासचिव थे। उन्होंने महासचिव बनते ही कांग्रेस का विरोध शुरू कर दिया था। आजम खां बताते हैं कि तब छात्र संघ का नियम था कि कोई भी पदाधिकारी राजनैतिक दल का सदस्य नहीं होगा, लेकिन कांग्रेस से जुड़े वसीम उपाध्यक्ष बन गए। इसपर उन्होंने कह दिया कि वसीम कांग्रेस की सदस्यता छोड़ें, वर्ना हम शपथ नहीं लेंगे। इसपर वसीम ने कांग्रेस की सदस्या छोड़ दी। इसके बाद छात्र संघ की पहली ही मीटिंग में आजम खां ने प्रस्ताव रखा कि कांग्रेस का कोई भी नेता यूनिवर्सिटी कैंपस में प्रवेश नहीं करेगा, जो पास भी हो गया। इस कारण कांग्रेस के नेता उनसे खफा हो गए। आपात काल के समय यूनिवर्सिटी में छात्रों का आंदोलन चल रहा था। उन्हे डीआइआर (भारतीय सुरक्षा अधिनियम) के तहत गिरफ्तार कर लिया गया। बाद में मीसा (आंतरिक सुरक्षा व्यवस्था अधिनियम) भी लगाया गया। जेल की बदतरीन कोठरी में डाल दिया गया। पांच गुणा आठ फीट की इस कोठरी में कब्र जैसा मंजर था। ऐसी चार कोठरी आसपास थीं और उनके आगे 10 गुणा 20 फीट का आंगन था। अंधेरे की वजह से आंखों की रोशनी भी कम होने लगी। इसपर उन्होंने जिलाधिकारी और जेल अधीक्षक को अवगत कराया कि वह एलएलएम फाइनल के छात्र हैं । उन्हे बी क्लास जेल की सुविधा दी जाए। इसके बाद उन्हे सुपीरियर क्लास मिला, जिसमें तमाम सुविधाएं थीं।
भाई को देना पड़ा इस्तीफाआजम खां बताते हैं कि इमरजेंसी के दौरान उनके परिजनों पर भी बहुत दबाव बनाया गया। उनके बड़े बाई शरीफ खां इंजीनियर थे। उनके चीफ ने बुलाकर कहा कि अपने भाई से कहो कि वह माफी मांगे, लेकिन उन्होंने मना कर दिया। ज्यादा दबाव बनाया तो इस्तीफा दे दिया, लेकिन वह मंजूर नहीं हो सका। जेल में और भी तमाम दिक्कते उठानी पड़ीं। 19 माह बाद जेल से रिहा हुए और फिर सियासत में आ गए। रामपुर शहर से अब तक नौ बार विधायक बन चुके हैं। हाल ही में सांसद बने हैं।
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