मुरादाबाद जिला अस्पताल के डॉक्टर गजब हैं, दर्द आज है, मरीज को इलाज के लिए दो दिन की वेटिंग पर डाला
Moradabad District Hospital News पेट में आज दर्द है। चिकित्सक को दिखाने पर उन्होंने अल्ट्रासाउंड लिख दिया। इसके बाद मरीज रेडियोलाजी सेंटर में पहुंचा तो उसे दो दिन बाद की डेट दे दी गई। सवाल यह है कि पेट दर्द आज हुआ तो अल्ट्रसाउंड भी आज ही होना चाहिए।
By Samanvay PandeyEdited By: Updated: Sun, 05 Jun 2022 11:01 AM (IST)
मुरादाबाद, जेएनएन। Moradabad District Hospital News : पेट में आज दर्द है। चिकित्सक को दिखाने पर उन्होंने अल्ट्रासाउंड लिख दिया। इसके बाद मरीज रेडियोलाजी सेंटर में पहुंचा तो उसे दो दिन बाद की डेट दे दी गई। सवाल यह है कि पेट दर्द आज हुआ है तो अल्ट्रसाउंड भी आज ही होना चाहिए। लेकिन, मुरादाबाद जिला अस्पताल के रेडियोलाजी विभाग में ऐसे ही हालात हैं। वहां मरीजों को एक-दो दिन की डेट दी जा रही है। जिससे मरीज की हालत बिगड़ने का खतरा अधिक रहता है।
चक्कर की मिलक के रहने वाले सज्जाद हुसैन पत्नी को लेकर शनिवार की सुबह साढ़े 10 बजे जिला अस्पताल पहुंचे थे। उन्होंने फिजिशियन को दिखाया तो उन्होंने अल्ट्रासाउंड लिख दिया। इसकेे बाद वह रेडियोलाजी विभाग में पहुंच गए। वहां उन्होंने वार्ड ब्वाय को पर्चा दिखाया तो उन्होंने भी पर्चा लेकर रजिस्टर में चढ़ा दिया। इसके बाद मरीज से बोल दिया कि आप कुर्सी पर बैठ जाइये। इसके बाद वह बैठे रहे। 12:15 मिनट पर कर्मचारी ने मरीजों से कहा कि आज डाक्टर साहब नहीं आएंगे। इसलिए आपका अल्ट्रासाउंड सोमवार को हो पाएगा। डाक्टर साहब रुटीन में दोपहर 12:00 बजे से दोपहर 2:00 बजे तक ही अल्ट्रासाउंड करते हैं।
12 बजे इंतजार के बाद हुई जानकारी : जिला अस्पताल के रेडियोलाजी सेंटर में डा. निर्मल ओझा अल्ट्रासाउंड करते हैं। प्रतिदिन वह सुबह 11 बजे से दोपहर 12 बजे तक पहुंचते हैं। इस दौरान वार्ड ब्वाय मरीजों की पर्चियां इकट्ठी कर लेते हैं। 15 अल्ट्रासाउंड होने पर वह अगले दिन का नंबर बता देते हैं। इससे भी अधिक होने पर मरीजों को उसके अगले दिन का नंबर दिया जा रहा है। शनिवार को आए मरीजों को सोमवार का नंबर दिया गया। दोपहर 12 बजे तक लोग इंतजार करते रहे। इसके बाद जब पता चला कि डाक्टर नहीं आएंगे तो सबको मना कर दिया गया।
क्या बोले जिम्मेदारः चिकित्सा अधीक्षक डॉ. राजेंद्र कुमार ने बताया कि हमारे यहां पहले दो रेडियोलाजिस्ट थे। इस वजह से मरीजों को परेशानी नहीं होती थी। कोरोना संक्रमण से अब तक मरीजों की जांच के बाद उनका अल्ट्रासाउंड किया जाता है। इस बीच रेडियोलाजिस्ट को न्यायालय एविडेंस के लिए भी जाना पड़ता है। एक्सरे और दिमाग के सीटी स्कैन की भी रिपोर्ट बनाई जाती है। इस वजह से समय लग जाता है।
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