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    Moradabad News : शनि अमावस्या में देर रात तक दीपक जलाने के लिए लगी रही लाइन, जगह-जगह लगे भंडारे

    मुरादाबाद में भाद्रपद मास की शनि अमावस्या पर मंदिरों में भक्तों की भारी भीड़ रही। लोगों ने शनिदेव की पूजा-अर्चना कर सुख-समृद्धि की कामना की। अंतरराष्ट्रीय हिंदू परिषद ने भंडारे का आयोजन किया। ज्योतिषाचार्य के अनुसार शनि अमावस्या पर पितरों की पूजा से पितृ दोष शांत होते हैं और जीवन में खुशहाली आती है।

    By Tej Prakash Saini Edited By: Shivgovind Mishra Updated: Sat, 23 Aug 2025 11:03 PM (IST)
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    शनि अमावस्या में देर रात तक दीपक जलाने को रही भीड़। जागरण

    जागरण संवाददाता, मुरादाबाद । भाद्रपद मास की शनि अमावस्या पर शनिवार को श्रद्धा और भक्ति का अद्भुत संगम देखने को मिला। शनि मंदिरों में देर रात तक दीपक जलाने के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ रही। इस अवसर पर अंतरराष्ट्रीय हिंदू परिषद एवं राष्ट्रीय बजरंग दल की ओर से पीतल नगरी रोडवेज के पास भंडारे का आयोजन किया गया।

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    पीलीकोठी स्थित शनि देव मंदिर, झांझनपुर मंदिर, बंगला गांव शनि मंदिर व रामगंगा विहार स्थित ओम शिव मनोकामना मंदिर सहित शहर के प्रमुख मंदिरों में सुबह से ही पूजा-पाठ का क्रम आरंभ हो गया। भक्तों ने शनिदेव की विशेष आराधना कर परिवार व समाज की सुख-समृद्धि की कामना की।

    मंत्रोच्चारण और भजन-कीर्तन से वातावरण बना भक्तिमय 

    मंत्रोच्चारण और भजन-कीर्तन से वातावरण भक्तिमय बना रहा। रात 12 बजे तक मंदिरों में श्रद्धालुओं की भीड़ बनी रही। हर कोई दीप प्रज्वलित कर भगवान शनि से जीवन में सुख-शांति व कष्टों से मुक्ति की प्रार्थना करता दिखाई दिया। शनि अमावस्या के इस पावन पर्व ने एक बार फिर यह संदेश दिया कि भक्ति और सेवा से बढ़कर कोई साधना नहीं है।

    ये रहे मौजूद

    अंतरराष्ट्रीय हिंदू परिषद एवं राष्ट्रीय बजरंग दल की ओर से पीतल नगरी रोडवेज के पास भंडारे में प्रदेश अध्यक्ष रोहन सक्सेना, सुरेश कुमार गुप्ता, अमित अग्रवाल, गौरव सैनी, गोविंद सिंह, पंकज कुमार, अर्पित सक्सेना, डा. मुदित अग्रवाल, अनुज आर्य, रोहित भटनागर, दिव्यांशु कुमार, अभिषेक श्रीवास्तव, दिशांत सैनी, विजय शर्मा, शिवम प्रजापति सहित अनेक पदाधिकारी एवं कार्यकर्ता मौजूद रहे।

    इनसेट पितरों की कृपा और मान्यता ज्योतिषाचार्य पंडित ऋषिकेश शुक्ला के अनुसार इस वर्ष भाद्रपद अमावस्या शनिवार को पड़ने से इसे शनि अमावस्या कहा गया है। इस दिन पितरों की पूजा, श्राद्ध और तर्पण का विशेष विधान है।

    भाद्रपद अमावस्या को कुशग्रहणी अमावस्या भी कहा जाता है। इस दिन घर में वर्ष भर की पूजा-पाठ और श्राद्ध कर्मों के लिए कुशा को खोदकर सुरक्षित रखा जाता है। इसे पिठोरी अमावस्या भी कहते हैं। इस तिथि पर पितरों की पूजा करने से पितृ दोष शांत होते हैं और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।