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Nagar Nigam : कूड़ा निस्तारण के लिए 30 लाख खर्च लेकिन नहीं निकला कोई नतीजा

पांच साल से बंद सालिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट को दोबारा शुरू करके भी रैंकिंग में पिछड़े। सन 2012 में बनकर तैयार हुआ था प्लांट एटूजेड कंपनी दो साल चलाकर भाग गई थी।

By Narendra KumarEdited By: Updated: Tue, 25 Aug 2020 09:16 AM (IST)
Nagar Nigam : कूड़ा निस्तारण के लिए 30 लाख खर्च लेकिन नहीं निकला कोई नतीजा
Nagar Nigam : कूड़ा निस्तारण के लिए 30 लाख खर्च लेकिन नहीं निकला कोई नतीजा

मुरादाबाद।  सौ एकड़ में बने कूड़ा निस्तारण के लिए सालिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट होते हुए भी नगर निगम प्रशासन हाथ मलते रह गया। स्वच्छता सर्वेक्षण में बंद प्लांट ही नगर निगम को ले डूबा। पांच साल से बंद प्लांट की जर्जर मशीनाें की मरम्मत पर 30 लाख रुपये खर्च किए गए लेकिन, नतीजा सिफर। दरअसल, सन 2012 में एक करोड़ रुपये से कूड़ा निस्तारण की मशीनें स्थापित की गई थीं और एटूजेड कंपनी ने इस प्लांट को चलाया। नगर निगम व एटूजेड में डोर टू डोर कूड़ा कलेक्शन व ट्रांसपोर्टेशन शुल्क के भुगतान के विवाद में यह प्लांट बंद हो गया। चार साल पहले जब स्वच्छता सर्वेक्षण शुरू हुआ था तब इसे दोबारा चलाने को सोची गई।

कई कंपनियों ने प्लांट चलाने को प्रजेंटेशन दिए। एक के बाद एक कंपनी के प्रजेंटेशन देखते-देखते नगर निगम के चार साल गुजर गए। वर्ष 2020 में हरी-भरी कंपनी से इसे चलाने को करार हुआ। चार साल से ट्रंचिंग ग्राउंड में लगे कूड़े के पहाड़ से जब जगह नहीं बची तो सालिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट की मशीनों तक कूड़ा डालना शुरू कर दिया। इससे प्लांट की मशीनें कूड़े में दब गईं और एक करोड़ रुपये की मशीनें जर्जर हो गईं। इन जर्जर मशीनों को ठीक करने व कूड़े के पहाड़ हटाने में आठ महीने का वक्त लगा। इस पर 30 लाख रुपये खर्च हुए हैं। शुभारंभ मई 2020 को हो गया, जिसमें शहर का ताजा कूड़ा विंड्रो पैड लाकर सुखाना शुरू हो गया लेकिन कूड़े से खाद बनना अभी शुरू नहीं हुआ। अगर स्वच्छता सर्वेक्षण 2021 से पहले कूड़ा निस्तारण होने लगेगा तो नि:संदेह रैंकिंग में उछाल आएगा। सबसे ज्यादा 600 अंक इसी के निर्धारित हैं।

तीन लाख रुपये के गमले भी नहीं दिला पाए सम्मान

दिल्ली रोड व कांठ रोड पर स्वच्छता सर्वेक्षण 2020 लिखकर डिवाडर पर गमले रखे गए। एक गमले की कीमत अलग-अलग पौधे व साइज के हिसाब से 300 रुपये से 500 रुपये थी। इस पर करीब पांच लाख रुपये एक हजार गमले रखने में खर्च हुए। आठ महीने पहले यह गमले रखे गए थे लेकिन अब गमले गायब हो गए। कुछ शरारती तत्वों ने डिवाइडर से गिराकर तोड़ दिए तो कुछ तेज आंधी में गिर गए। अब आधे भी गमले डिवाइडर पर नहीं बचे। यह गमले नगर निगम ने स्वच्छता सर्वेक्षण निधि से नहीं दूसरे मदों से रखवाए थे।

प्लांट चालू हो चुका है। कूड़ा निस्तारण बारिश रुकने के बाद शुरू हो जाएगा। बारिश में कूड़ा न भीगे इसके लिए टीन शेड का प्रस्ताव तैयार कराया गया है। टीन शेड लगने से बारिश में कूड़ा निस्तारित हो सकेगा। हम आसपास के शहरों से अच्छी रैंकिंग लेकर आए हैं।

संजय चौहान, नगर आयुक्त